मैनेजमैंट कंसल्टैंट पैट्रिक फोरसिथ ने अपनी किताब ‘डिटौक्स योर कैरियर’ में लिखा है, ‘ऐसा औफिस जहां पौलिटिक्स न हो, दरअसल होता ही नहीं है.’ औफिस में कर्मचारी की मेहनत को नजरअंदाज करना, पीछे से उस के खिलाफ षड्यंत्र करना, बुराई करना, उस के खिलाफ झूठी खबरें उड़ाना, दूसरे के काम का श्रेय लूटना, जानबूझ कर बौस या सहकर्मी द्वारा सताया जाना जैसी अनेक समस्याएं औफिस पौलिटिक्स के अंतर्गत आती हैं, जिन का सामना प्राय: सभी को कभी न कभी करना पड़ सकता है. ऐसे में जरा सी सूझबूझ से काम ले कर इन समस्याओं से आसानी से निबटा जा सकता है.
मुझे इग्नोर किया जाता है
कनाडा के वकील, मध्यस्थ और थियोलोजियन जौन बर्टन, जो लोगों और संस्थाओं को बेहतर रिलेशनशिप बनाने में मदद करते हैं, कहते हैं, ‘अगर आप को लगातार इग्नोर किया जाता है, तो किसी वरिष्ठ सहकर्मी की मदद लें. ‘संस्थान में आप को एकआध अच्छा व्यक्ति जरूर मिल जाएगा. कार्यालय में बात न बने तो दूसरे विभाग या किसी बाहरी व्यक्ति से मदद लें.’
मेरे काम का श्रेय दूसरे ले लेते हैं
औफिस में नए आइडियाज की बड़ी कद्र होती है. कई चालाक कर्मचारी दूसरों से बातचीत कर के उन के आइडियाज अपने नाम से सीनियर्स तक पहुंचा देते हैं और सारी वाहवाही खुद लूट लेते हैं. अगर आप ऐसी स्थिति से बचना चाहते हैं, तो अपने आइडियाज लोगों के साथ शेयर न कर के सीधे बौस से शेयर करें, बातचीत का मौका न मिले, तो ईमेल या एसएमएस का सहारा लें. अगर कोई कठिन जौब आप निबटा रहे हैं तो बौस को कार्य की प्रगति से अपडेट कराते रहें ताकि उन्हें पता चल जाए कि यह काम आप कर रहे हैं. मीटिंग में मुखर हो कर अपने आइडियाज प्रकट करें ताकि दूसरा उन्हें चुरा न सके.
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