तेजी से बदलती जीवनशैली का प्रभाव क्या केवल आप के जीवन पर ही पड़ रहा है? क्या समय की कमी सिर्फ आप को ही परेशान करती है? औफिस की व्यस्तता और मल्टीटास्किंग से क्या आप ही परेशान हैं? नहीं, ये तमाम बातें आप के अलावा आप के बच्चों को भी परेशान करती हैं. जिन की वजह से अकसर वे चिड़चिड़े और आलसी दिखते हैं और आप की बात नहीं मानते हैं. उन्हें छोटीछोटी बातें समझाने में भी दिक्कत आती है.

पेरैंट्स होने के नाते आप परेशान हो जाते हैं. 6 से 12 साल की उम्र बहुत से बदलावों की होती है. इस दौरान शारीरिक बदलावों के साथसाथ बच्चों में स्वभाव को ले कर भी कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं. लेकिन वह उम्र होती है जब बच्चों को कई अहम बातों के बारे में बताना जरूरी होता है. ऐसे में विशेषज्ञों की राय काफी महत्त्वपूर्ण हो जाती है. खासतौर से कामकाजी पेरैंट्स के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं कि वे अपने छोटे या बढ़ते बच्चों को कैसे समझाएं या उन के साथ कैसे डील करें.

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  • पढ़ाई में लगाएं फन का तड़का.
  • बच्चों के साथ उन की फन ऐक्टिविटीज में भाग लें.
  • बच्चों को पेंटिंग का बहुत शौक होता है. इस कार्य में उन का अच्छा दोस्त बना जा सकता है.
  • उन्हें बताएं कि कौन से 2 रंग मिलाने पर कौन सा नया रंग बनता है.
  • उन से अपने बचपन की बातें शेयर करें. उन्हें यह न बताएं कि आप बचपन में हर काम में बहुत निपुण थे, बल्कि बताएं कि फलां कार्य करने में आप को भी बहुत परेशानी होती थी.
  • बच्चों के संग समय बिताएं. उन के साथ टीवी देखें. उन की पसंदनापसंद के बारे में पूछें.
  • अपना टेस्ट उन के साथ शेयर करें. मसलन, अगर आप उन्हें बताना चाहते हैं कि बाहर गरमी से आने पर तुरंत फ्रिज का ठंडा पानी पीने से गला खराब हो सकता है, तो इस बात पर अमल भी कर के दिखाएं.
  • अगर आप पिता हैं तो छुट्टी वाले दिन उन के साथ उन के स्कूल बैग का हालचाल जानें. उन के दोस्त बनें, डांटफटकार करने वाले पिता नहीं.
  • अपनी रुचियां उन पर न थोपें, बल्कि उन की पसंदीदा चीजों संग अपनी रुचि भी जाहिर करें.
  • उन्हें मजेमजे में बताएं कि शैतानियों में क्या अच्छाबुरा होता है. जैसेकि हर इनसान को पेड़ पर चढ़ना आना चाहिए, लेकिन पेड़ से गिरने पर जोर की चोट भी लग सकती है. इसलिए अपने सामने उन्हें ऐसा करने की सलाह दें.
  • किसी अनजान से बात न करें. यह बात उन्हें किसी ऐक्टिविटी के माध्यम से समझाने की कोशिश करें. हो सके तो इस तरह की बातें अपने बच्चों को उन के दोस्तों के सामने समझाएं.
  • छुट्टी वाले दिन सुबह जल्दी उठ कर पार्क जाएं, जौगिंग करें. यह बात केवल मौखिक रूप से न समझाएं, बल्कि छुट्टी वाले दिन आप खुद भी जल्दी उठ कर बच्चों के साथ पार्क जाएं.
  • गुड और बैड टच के बारे में प्यार से समझाएं
  • च्चे बहुत जिज्ञासु होते हैं खासतौर पर बढ़ती उम्र में जब वे अपने और अपने पेरैंट्स के शरीर में अंतर देखते हैं.
  • वे इस बात की ओर भी बहुत जल्दी ध्यान देते हैं कि लड़के और लड़की के शरीर में काफी अंतर होता है.
  • जब बच्चा आप से अपने प्राइवेट अंगों के बारे में कुछ पूछे तो उसे समझाएं कि लड़की और लड़के में यह अंतर उन के प्रजनन अंगों की वजह से होता है.
  • बच्चे को निजी अंगों के वैज्ञानिक नाम बताने से झिझकें नहीं. आप नहीं बताएंगे तो वह बाहर से कुछ और ही सीख कर आएगा.
  • उन्हें बताएं और किताब का हवाला दें कि देखो किताब में इसे पेनिस या इसे वैजाइना कहते हैं.
  • 2-3 साल के बच्चे को अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में बताने का सब से अच्छा समय होता है. उन्हें बताएं कि कोई अनजान उन के निजी अंगों को नहीं छू सकता. केवल मातापिता उन्हें छू सकते हैं.

उन्हें बताएं कि अगर कोई अनजान व्यक्ति उन के निजी अंगों को छूता है तो उन्हें क्या करना चाहिए.

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