विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि घर में बंद होने पर ऐसी खबरों से बचें जो आप को परेशान करती हैं, इन में कोरोना से जुड़ी खबरें भी शामिल हैं.

घर पर बंद होने से कोरोना वायरस से तो बच जाएंगे, लेकिन मानसिक बीमारी से बचना मुश्किल होगा. कोरोना महामारी के चलते दुनिया लगभग थम सी गई है. देशव्यापी लॉकडाउन के चलते लोग घरों में सिमटे हुए हैं. ऐसे में बोरियत होना स्वाभाविक है.

सावधानी बरतें
लंबे समय तक घर में बंद होने का असर बोरियत से आगे बढ़ कर मानसिक परेशानियों में भी बदलने लगा है. दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग एंग्जायटी यानी घबराहट और अन्य मानसिक तकलीफों की शिकायत करने लगे हैं. अमेरिका, इटली, चीन समेत कई देशों में इस से जुड़ी एडवाइजरी और हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं. भारत जैसे देश में जहां पहले ही मानसिक बीमारियों के प्रति जागरुकता कम है, वहां थोड़ा ज्यादा ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है. लेकिन सरकारी या किसी बाहरी मदद के पहले कुछ सावधानियां व्यक्तिगत स्तर पर भी रखी जा सकती हैं.

ये भी पढ़ें-Lockdown Food Tips: इन 4 तरीकों से चावल को बनाएं और भी मजेदार

भ्रमित और बेचैन न हों

अकेलेपन पर हुए शोधों  में पाया कि कोरोना वायरस के चलते घरों में बंद पड़े स्वस्थ लोगों में कई बदलाव देखे गए हैं. इस के नतीजे बताते हैं कि लंबे समय तक अकेले रहने का असर दिमाग पर ठीक वैसा ही होता है जैसा किसी दुखद त्रासदी का होता है. ऐसे में अगर व्यक्ति तक लगातार परेशान करने वाली खबरें भी पहुंच रही हैं तो वह ज्यादा भ्रमित और बेचैन होगा. इससे उसके मानसिक रूप से बीमार होने की आशंका बढ़ सकती है.

तनाव बना सकता है मानसिक रोगी

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एडवाइजरी में कहा गया है कि ऐसी खबरों को देखने, सुनने और पढ़ने से बचें जो आप को परेशान करती हों. इन में कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारियां भी शामिल है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि बेहतर होगा, अगर कोरोना से संबंधित जानकारी के लिए दिन में केवल दो बार किसी विश्वसनीय माध्यम का इस्तेमाल किया जाए. लगातार परेशान करने वाली खबरों का लोगों तक पहुचाना उन में तनाव का स्तर बढ़ा कर उन्हें मानसिक रोगी बना सकता है.

स्थिति से करें समझौता

मनोविश्लेषक सलाह देते हैं कि तनाव से बचने का एक तरीका स्थितियों को स्वीकार कर लेना भी है. हो सकता है कि कोरोना वायरस से पैदा हुई इस आपात स्थिति में कुछ लोग मानसिक या शारीरिक परेशानियों के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठा रहे हों. ऐसे में केवल यह याद रखे जाने की जरूरत है कि जान है तो जहान है. हो सकता है, कुछ लोगों को यह समाधान स्थितियों का अति-सरलीकरण लगे लेकिन फिलहाल कोई और विकल्प मौजूद नहीं है. अगर आर्थिक नुकसान नहीं है और केवल डर या बेचैनी है तो यह मान लेने में कोई बुराई नहीं कि आपको डर लग रहा है. मनोविज्ञान कहता है कि ऐसा करते ही दिमाग डर की बजाय डर के कारण और उस से निपटने के तरीकों पर केंद्रित हो जाता है. एक बार तनाव के कारणों को पहचान लेने के बाद इससे बाहर आने के लिए, प्रोग्रेसिव मसल्स रिलेक्सेशन और ध्यान जैसे तरीके ऑनलाइन सीखे जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें-19 दिन 19 टिप्स: शादी के बाद इन 7 तरीकों से करें खुद को एडजस्ट

बच्चों को भी सजग करें

इस मामले में उन लोगों को खास तौर पर ध्यान देने की ज़रूरत है जिन के घरों में बच्चे हैं. माता-पिता के लगातार परेशान होने का असर बच्चों पर बहुत जल्दी और बुरा पड़ता है. जानकार सलाह देते हैं कि बच्चों के साथ भी कोरोना वायरस के बारे में बात किए जाने की ज़रूरत है ताकि उन्हें पता चल सके कि घर और बाहर का माहौल क्यों बदला हुआ है. साथ ही, उन्हें यह बताना भी ज़रूरी है कि बहुत सी बातें आपके यानी माता-पिता के नियंत्रण में भी नहीं होती हैं.

एक्सरसाइज स्वस्थ रखने के साथसाथ तनाव कम करने में भी सहायक

मनोविज्ञानियों का मानना है कि अच्छी नींद, पोषक भोजन, साफ वातावरण, व्यायाम और लोगों से मेल-जोल इंसान की मूलभूत ज़रूरतें हैं, इसलिए इस के विकल्प तलाशे जाने की ज़रूरत है. उदारहरण के लिए अपने घर वालों या दोस्तों से लगातार फोन पर संपर्क रखना या वीडियो चैट करना, दोनों तरफ के लोगों को सामान्य बने रहने में मदद करेगा. इस के अलावा भूलेबिसरे दोस्तों या कभी न मिलने वाले रिश्तेदारों को फोन कर उन के हालचाल जाने जा सकते हैं. कुछ जानकार खाना खुद बनाने से ले कर घर की सफाई करने या बाकी घरेलू काम निपटाने के विकल्प का भी इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. चूंकि ये काम सातों दिन चलते हैं इसलिए इन के साथ खुद को रोज व्यस्त रखना आसान है. इस के अलावा, वे लोग जो हमेशा समय की कमी के चलते स्वास्थ्य पर ध्यान न देने की बात करते हैं, कम से कम इन दिनों में एक्सरसाइज आदि को अपना सकते हैं. यह स्वस्थ रखने के साथसाथ तनाव कम करने में भी सहायक होगा.

यूट्यूब और ऑनलाइन ट्यूटोरियल खासे मददगार

कोरोना वायरस से बिगड़ी स्थिति को संभलने में अभी थोड़ा वक्त और लग सकता है. इसलिए  इस वक्त का इस्तेमाल करने के लिए मनोविश्लेषक किसी म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट, कोई नई भाषा या फिर कैलिग्राफी या बीटबॉक्सिंग जैसा कोई कौशल सीखने की भी सलाह देते हैं. इस से व्यस्त रहने के साथसाथ कुछ करने की संतुष्टि भी बनी रहती है. इस में यूट्यूब और ऑनलाइन ट्यूटोरियल खासे मददगार साबित हो सकते हैं. इन सब के अलावा पेंटिंग, राइटिंग, कुकिंग या सिलाई-बुनाई जैसे तमाम शौक पूरे करने का भी यह बहुत अच्छा वक्त है.

पत्रिकाएं ज्ञान का खजाना

पत्रिकाएं और किताबें इंटरनेट पर मौजूद ज्ञान का खजाना हैं, एमेजॉन प्राइम और नेटफ्लिक्स जैसे मंचों पर मौजूद शानदार कंटेट भी वक्त बिताने का बेहतरीन जरिया हो सकते हैं. इस मामले में सलाह दी जाती है कि फिल्में देखने या किताबें पढ़ने जैसे काम अगर लगातार कई दिनों तक किए जाएं तो वे भी तनाव बढ़ाने लगते हैं. इसलिए इन्हें करना अच्छा है लेकिन थोड़ा ब्रेक ले कर. वैसे, यह बात सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर भी पूरी तरह लागू होती है लेकिन फिर भी कुछ इस तरह के मज़ेदार वीडियोज तो देखे ही जा सकते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...