Gen Z Special: जेनरेशन जेड यानी जेन जी अकेलेपन, डिजिटल लत और पहचान संकट से जूझ रही है जिस की जड़ें माता पिता की व्यस्तता व अनदेखी करने वाली परवरिश में हैं.
दरअसल जेन जी की असल समस्या उस खालीपन की है जिसे तकनीक ने तो जरूर भरा लेकिन भावनाओं ने नहीं. इसी खालीपन का एहसास उन्हें भटका रहा है.
भारत के अहम पड़ोसी देश नेपाल के काठमांडू में युवा इस कदर भड़के कि सियासी बवाल मच गया. काठमांडू में हिंसा सोशल मीडिया पर बैन, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी को ले कर हुई. नेपाल सरकार की ओर से फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे 26 सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाने से वहां के युवा भड़क गए. उन युवाओं ने 8 सितंबर को ‘जेनरेशन जेड रिवोल्यूशन’ के नाम से प्रदर्शन शुरू किया, जिस में 22 लोगों की जानें चली गईं और 200 के करीब घायल हुए.
नेपाल में जो प्रदर्शन हुए उसे जेन जी आंदोलन इसलिए कहा गया क्योंकि उस में सब से बड़ी भागीदारी युवाओं की थी, खासकर, 18 से 25 साल की उस पीढ़ी की जिसे जेनरेशन जेड यानी जेन जी कहा जाता है. नेपाल की जेन जी पीढ़ी इस बात से आक्रोशित थी कि सत्ता में बैठे लोग अपने बच्चों को तो ऐशोआराम वाली जिंदगी दे रहे हैं जबकि आम लोग बदहाली का जीवन बिताने को मजबूर हैं. जेन जी का कहना था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधि ईमानदार व पारदर्शी शासन का वादा कर के सत्ता में आते हैं लेकिन सत्ता पाने के बाद सारे वादे भूल जाते हैं.
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