एक औसत व्यक्ति के लिए इतिहास वह होता है जो किताबों में लिखा होता है, जिस में राजाओं की हारजीत की बड़ीबड़ी गाथाएं होती हैं. इतिहासकार बड़ी कठिनाई से कतराकतरा जोड़ कर इजिप्ट के फैरो के बारे में या चीन के सम्राटों या अपने देश के अशोक, अकबर, गांधी जैसे व्यक्तियों के बारे में तथ्य जुटा कर कथा बनाते हैं जो हमें अतीत की याद दिलाएं. यह एक समाज के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इन्हीं यादों के बल पर वर्तमान शासक अपने राज को सुखद, दुखद या क्रूर बना पाते हैं और हर हाल में उन्हें जनता का समर्थन मिलता है.

यह खेद है कि हमारे यहां पारिवारिक इतिहास लिखने की परंपरा नहीं है. उन मूल भारतीयों से मिलो जो दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, फिजी या मौरिशस में रह रहे होते हैं जो पहले यह जानना चाहते हैं कि उन के पूर्वज कहां से, कब भारत छोड़ कर वहां आए थे.

पारिवारिक इतिहास की कीमत तब समझ आती है जब आप उस से दूर रह रहे हों. जो पार्टीशन में पाकिस्तान के इलाकों से आए उन वृद्धों की आंखें अपने पूर्वजों के गांवों के बारे में याद करने से नरम हो जाती हैं. वे गर्व से अपने परिवार के बारे में बताना चाहते हैं पर हमारे यहां यह बूढ़ों का रोना माना जाने लगा है जो बिखरते परिवारों का एक कारण है.

आज 10-15 साल का किशोर अपने परिवार के अनुशासन की अवहेलना करने में नहीं हिचकता क्योंकि उसे नहीं मालूम कि उस के पिता या मां की सफलता उस परिवार की देन है जिस ने उन दोनों को सुरक्षा का घेरा दिया.

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