सोना पहनना वैभव का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यह सब से महंगी और शुद्ध धातु मानी जाती है. इस कारण सोने की खरीदारी सभी करते हैं. वहीं, इस की शुद्धता को ले कर सवाल भी सभी के मन में रहते हैं. लोग सोचते हैं कि जो सोना खरीदा है उस में कितनी शुद्धता है. सोने की शुद्धता तय करने का काम कैरेट करता है. शुद्ध सोना 24 कैरेट का माना जाता है जिस में सोने की मात्रा 99.9 फीसदी होती है. इस को ऐसे भी समझें कि सोने के मामले में कैरेट का इस्तेमाल उस की शुद्धता को मापने के लिए किया जाता है. अगर सोना 24 कैरेट है, मतलब इस में 99.99 फीसदी शुद्ध सोना है.
24 कैरेट सोने का इस्तेमाल ज्वैलरी बनाने में अब नहीं होता है. इस का इस्तेमाल सोने के सिक्के और ईंट बनाने में किया जाता है. सोने के सिक्कों की कीमत इसीलिए ज्यादा होती है. इस में 99.9 फीसदी पूरी तरह शुद्ध गोल्ड का प्रयोग किया जाता है. गोल्ड बार यानी सोने की ईंट भी पूरी तरह शुद्ध 24 कैरेट से बनाई जाती है. जो लोग बचत के लिए सोने की खरीदारी करते हैं वे पूरी तरह से शुद्ध सोना ही खरीदते हैं. 24 या 22 कैरेट के गहने में वह कीमत नहीं मिलती जिस कीमत पर खरीदा जाता है. उस की वजह यह होती है कि गहने की कीमत में उस की बनवाई और टांका भी शामिल होता है. जब कोई बेचने के लिए जाता है तो बनवाई और टांका काट कर बचे सोने का ही मूल्य मिलता है.
24 कैरेट सोना 99.9 फीसदी शुद्ध होता है. जबकि 22 कैरेट में सोने की शुद्धता 91.7 फीसदी होती है. वहीं, 18 कैरेट सोने की शुद्धता 75 फीसदी होती है. 14 कैरेट में सोने की शुद्धता 58.3 फीसदी होती है. 12 कैरेट में सोने की शुद्धता 50 फीसदी होती है. 10 कैरेट में सोने की शुद्धता 41.7 फीसदी और 9 कैरेट में सिर्फ 37.5 फीसदी सोने की शुद्धता होती है.
एक कैरेट 200 मिलीग्राम या 0.00643 ट्राय के बराबर द्रव्यमान की एक इकाई है. इस का प्रयोग रत्न और मोती को मापने के लिए किया जाता है. 1 कैरेट एक ग्राम के 1/5 या 0.200 ग्राम के बराबर होता है. सवाल उठता है, कैसे पहचानें कि सोना कितने कैरेट का है?
हालमार्क वाली ज्वैलरी पर हालमार्क का निशान और कुछ अंक जैसे 999, 916, 875 लिखे होते हैं. इन्हीं अंकों में सोने की शुद्धता का राज छिपा होता है. हालमार्क के निशान के साथ 999 नंबर वाले सोने की ज्वैलरी 24 कैरेट की होती है. 999 का मतलब इस में सोने की शुद्धता 99.9 फीसदी है.
पुरुषोत्तम दास घनश्याम दास ज्वैलर्स अमीनाबाद, लखनऊ के राम रस्तोगी कहते हैं, ‘‘आज के दौर में ज्वैलरी पर हालमार्क लगा होता है, जिस से ज्वैलरी की शुद्धता की जानकारी होती है. इस बारे में ग्राहक को बता दिया जाता है कि ज्वैलरी कितने शुद्ध सोने से बनी है. हमारा खरीदार के साथ पीढि़यों का रिश्ता होता है. यही कारण है कि ग्राहक उसी दुकान पर खरीदारी करता है जिस पर उस का भरोसा होता है. इस बिजनैस में दुकान का नाम ही शुद्धता की गारंटी माना जाता है. अब कई मशीनें भी आ गई हैं जो ज्वैलरी में सोने की शुद्धता की पहचान कर लेती हैं.’’
दिखावा और बचत एकसाथ
ज्वैलरी खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप किस जरूरत के लिए उसे खरीद रहे हैं. आमतौर पर आज जिस तरह की ज्वैलरी का निर्माण हो रहा है वह 22 कैरेट गोल्ड पर बनती है. कुछ ज्वैलरी 18 कैरेट पर भी बनती है. 24 कैरेट पर ज्वैलरी बनाना सरल नहीं होता है क्योंकि यह सोना काफी लचीला होता है. ज्वैलरी के टूटने का खतरा रहता है. इस को बनाने में लाख का प्रयोग किया जाता है, जिस से इस की बनी ज्वैलरी टूटे नहीं.
हमारे देश में ज्वैलरी की खरीदारी के 2 कारण होते हैं. पहला कारण शादीविवाह में इस का लेनदेन और इन उत्सव में इन को पहनना. दूसरा कारण यह होता है कि अगर जरूरत पड़े तो इन को बेच कर या रहन पर रख कर लोन लिया जा सके.
आज कई बैंक भी गोल्ड लोन देने का काम करते हैं. बचत के लिए सोने की खरीदारी करने वाले 24 और 22 कैरेट का सोना लेते हैं क्योकि इस में रिटर्न अच्छा मिल जाता है. इस तरह से 24 और 22 कैरेट में बने गहने पहनने और बचत दोनों के काम आते हैं.
कम कीमत वाले सोने की ज्वैलरी
हर दौर में सोने की ज्वैलरी महिलाओं की सब से पहली पसंद रही है. अब समाज में महिलाओं की भूमिका बदल गई है. वे कामकाजी हैं जिस से सोने के भारी गहने नहीं पहन सकती हैं. एक तो भारी गहने काम करने में असुविधा पैदा करते हैं. दूसरे, उन के खोने या कई बार बदमाशों द्वारा उन्हें छीने जाने की घटनाएं भी होती हैं. ऐसे में सोने के वे गहने ज्यादा पसंद किए जाते हैं जो मजबूत और कम पैसे में मिल सकें. इन को पहन कर दिखावा तो होता है पर ये बचत के लिए ठीक नहीं रहते हैं.
अगर रोजाना पहनने या औफिस पहन कर जाने के लिए कोई आभूषण बनवाना है तो बेहतर होगा कि 18 कैरेट या फिर 14 कैरेट वाले सोने के गहने खरीदें. ये आभूषण 22 और 24 कैरेट वाले की तुलना में ज्यादा टिकाऊ होते हैं. इसी तरह, अगर आप ऐसी जगह आभूषण पहन कर जाते हैं जहां इस पर असर पड़ता है तो 14 कैरेट वाला ज्यादा बेहतर होगा. यह सस्ता होने के साथ ज्यादा टिकाऊ भी रहता है.
सोने में मिलावट
सोने के आभूषण में मिश्रण के लिए उन्हीं धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है जो इस की चमक और क्वालिटी पर खास असर नहीं डालती हैं. 22 कैरेट सोने के साथ चांदी, तांबा और जिंक जैसी धातुओं का मिश्रण किया जाता है. जबकि 18 कैरेट वाले गहने में जिंक, तांबे के साथ निकल की कुछ मात्रा भी मिलाई जाती है. 14 कैरेट वाले गहने में 58 फीसदी सोना और 42 फीसदी चांदी, तांबा, जिंक और निकल जैसी धातुओं का मिश्रण किया जाता है.
सोने में कितनी बरकत
साल 2003 में सोने का भाव 5,600 रुपए प्रति 10 ग्राम था जो कि 10 साल बाद 2013 में बढ़ कर 30,000 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया. आज यानी 2023 में इस का भाव प्रति
10 ग्राम 65,000 रुपए के लगभग है. यानी 20 साल में 59,400 रुपए का फायदा निवेशक या खरीदार को हुआ.
आज से 20 साल पहले ही जमीनों के भाव भोपाल में औसतन प्रति एकड़ 50 हजार रुपए था जो कि अब
60 लाख रुपए से कम नहीं. 2013 में जमीनों का औसत भाव 10 लाख रुपए प्रति एकड़ था.
जिन्होंने 10 साल पहले 10 लाख का सोना खरीदा वह अब 20 लाख का है जबकि जिन्होंने 10 लाख की जमीन खरीदी वह 60 लाख की है. जमीन खरीदने वालों को कम से कम 6 गुना ज्यादा जबकि सोना खरीदने वालों को सिर्फ दो गुना फायदा हुआ.