भारतीय स्त्रियों का सोने के प्रति सम्मोहन जबरदस्त है. सोने के गहने पहन कर वे जितनी खुश होती हैं, किसी अन्य चीज से नहीं होतीं. आप को जान कर आश्चर्य होगा कि भारतीय महिलाओं के पास करीब 21,000 टन सोना है जिस की कीमत एक ट्रिलियन डौलर यानी करीब 100 लाख करोड़ रुपए के आसपास है. इतना सोना दुनिया के 5 सब से बड़े बैंकों के पास भी नहीं है. मगर भारतीय स्त्री सोने को अपनी आर्थिक संपत्ति के रूप में देखती है और जरूरत पड़ने पर, परिवार पर कोई आपदा आने पर, बेटी की शादी पर या कोर्टकचहरी के चक्कर में फंसने पर वह अपनी इस संपत्ति को बेच कर या गिरवी रख कर उस कठिन समय को पार करती है. पुराने समय से यह रिवाज चला आ रहा है कि बहनबेटियों को शादी में सोने के आभूषण भेंट किए जाते हैं. इस के पीछे मुख्य कारण यही है कि बहनबेटियों पर कोई संकट या विपत्ति का पहाड़ टूटे तो उस समय आभूषण काम आ सकें.

कई बार जब हम बाजार में अपना सोना बेचने जाते हैं तो हमें पता नहीं होता कि सुनार उस के दाम कैसे लगाएगा. हम सोचते हैं कि हम ने अगर 5 साल पहले 50 हजार रुपए के कंगन खरीदे थे तो 5 साल में सोने के जो दाम बढ़े हैं उस के अनुसार हमें अब कम से कम 70 या 80 हजार रुपए मिल जाएंगे. लेकिन जब सुनार हमारे कंगन के दाम 50 हजार या उस से भी कम बताता है तो हम आश्चर्य में पड़ जाते हैं और उस सुनार को ठग समझ लेते हैं. जबकि वह सोने का कैरेट और मिलावट को अलग कर के बचा हुआ दाम आप को बताता है.

दरअसल सोने के रूप में जो संपत्ति आप के पास है उस की असल कीमत क्या है, उस की शुद्धता कितनी है, उस में मिलावट कितनी है, खरीदते वक्त उस का मेकिंग चार्ज कितना था, इन तमाम बातों की जानकारी अगर आप को होगी तभी आप अपना सोना ठीक कीमत पर सुनार को बेच सकते हैं, वरना गहनों के बाजार में ठग बहुत बैठे हैं.

सोना कई प्रकार के कैरेट में होता है. पहला 24 कैरेट- जो सोने का सब से शुद्ध रूप है और बहुत मुलायम होता है, इसलिए इस के गहने नहीं बनते हैं. दूसरा 22 कैरेट- जिस में अन्य धातु की थोड़ी मिलावट की जाती है ताकि वह थोड़ा सख्त हो जाए और उस को गहनों के रूप में ढाला जा सके. तीसरा 20 कैरेट- इस में भी अन्य धातु की मिलावट होती है. चौथा 18 कैरेट- इस में अन्य धातुओं की काफी ज्यादा मिलावट होती है और यह ज्यादा सख्त होता है. इस के अलावा 14 कैरेट के सोने से भी आभूषण बनते हैं.

जब आप अपना सोना बाजार में बेचने जाते हैं तो सब से पहले तो यह जान लेना जरूरी है कि क्या सच में आप का सोने का गहना 22 कैरेट का है या नहीं. कई बार लोकल सुनार झठ बोल कर आप को 18 कैरेट का सोना 22 कैरेट के हिसाब से बेच देते हैं, फिर वही सुनार आप से सोना वापस लेते समय कटौती काट लेता है, क्योंकि उसे पता है कि सोना 18 कैरेट का ही है.

इसलिए सोना न तो छोटे सुनार से खरीदें और न उस को बेचें. सोना हमेशा हालमार्क ही लें या ब्रैंडेड दुकानों जैसे तनिष्क, कल्याण या पीसीजे आउटलेट से खरीदें. यहां आप के सोने की शुद्धता की गारंटी है और ये आप को पक्का बिल भी देते हैं जिस पर सोने की शुद्धता और धातु की मिलावट, मेकिंग चार्ज आदि की पूरी जानकारी होती है. तनिष्क 18 कैरेट सोने का आभूषण बनाता है और कल्याण ज्वैलर्स 18 और 22 कैरेट के आभूषण बनाता है. ये दोनों ही अच्छे प्रतिष्ठान हैं. यहां आप को पक्की रसीद मिलेगी और सही आभूषण मिलेगा, जिस पर 916 लिखा होगा और हालमार्क का निशान लगा होगा. गहनों पर विक्रेता का भी नाम अंकित होगा. जबकि पड़ोस के सुनार आप से मीठीमीठी बात कर के गलत आभूषण दे देंगे और वे पक्की रसीद भी नहीं देंगे. आप वहां पर ठग लिए जाएंगे.

यदि आप अपने खरीदे हुए सोने का कैरेट चैक करवाना चाहते हैं तो बड़ेबड़े  आउटलेट्स में आप को कैरेटो मीटर मिल जाएगा जहां आप यह जांच सकते हैं कि आप का सोना कितने कैरेट का है.

सुनार जो आभूषण बनाते हैं वे अलगअलग कैरेट के हालमार्क आभूषण होते हैं. 24 कैरेट 100 फीसदी होता है जिस का आभूषण नहीं बनाया जाता. आभूषण 22 कैरेट से शुरू हो कर 20, 18 या 14 कैरेट का हो सकता है. आभूषण बनाने में 10 फीसदी से ले कर 30 फीसदी तक मेकिंग चार्ज जुड़ता है.

सोने के आभूषण में तांबा कितने प्रतिशत मिलाना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सोने की शुद्धता कितनी रखनी है. जैसे, अगर 22 कैरेट के आभूषण बनाने हैं तो उस में 91.60 फीसदी सोना और बाकी 8.40 फीसदी में तांबा व चांदी का मिश्रण, जिसे अलोय कहते हैं, डाला जाता है. तांबा गहनों में मजबूती के लिए डाला जाता है पर निर्धारित मात्रा में, क्योंकि ज्यादा तांबा आभूषण के रंग को बदल देता है और उसे ज्यादा कठोर कर सकता है.

सुनार कैरेट के हिसाब से सोने का भाव लगा कर मेकिंग चार्ज लगाते हैं. अगर आभूषण बनाने में ज्यादा खर्चा आता है तो कुछ हिस्सा मेकिंग के अतिरिक्त पौलिश के रूप में चार्ज किया जाता है ताकि ग्राहक को मेकिंग ज्यादा न लगे.

भाव कैसे तय करते हैं ?

मान लीजिए आज 24 कैरेट सोने के एक तोले यानी 10 ग्राम का भाव 40,000 रुपए है. आप को आभूषण 22 कैरेट का लेना है तो पहले 22 कैरेट का भाव निकाला जाता है- 100/ 24*22

40,000/24 = 1,666.66

1,666.66 × 22 = 36,666

अब 22 कैरेट का भाव हुआ 36,666 रुपए प्रति 10 ग्राम

36,666 + मेकिंग

मेकिंग चार्ज अलगअलग डिजाइन के हिसाब से अलगअलग हो सकता है

36,666 + 10 फीसदी मेकिंग

36,666+ 3,666 = 40,332

40,332 + 3 फीसदी जीएसटी

40,332+1,210 = 41,542

इस के अलावा कुछ डिजाइनों में मेकिंग चार्ज ज्यादा हो सकता है और पौलिश चार्ज भी लगाया जा सकता है. सोने की शुद्धता मापने का सब से अहम पैमाना कैरेट होता है. कैरेट जितना ज्यादा होगा, सोना उतना ही खरा होगा. ज्यादा कैरेट मतलब ज्यादा दाम. इसी तरह से कैरेट जितना कम होगा, सोना उतना ही सस्ता होगा.

पुरानी गोल्ड ज्वैलरी को एक्सचेंज या अपसाइकिल करते समय की जरूरी बातें

भारत में लोग अपनी संस्कृति और विरासत को संजो कर रखते हैं. हमारी मां और दादी हमें जो गहने देती हैं भले वे आज के स्टाइल के न हों फिर भी हम इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं, एक निशानी के तौर पर.

इस के उलट, मांबाप जब अपने बच्चों को गहने देते हैं तो अपने पुराने गहनों को अपग्रेड या ‘अपसाइकिल’ करना चाहते हैं लेकिन उस समय दिमाग में कई तरह के सवाल चल रहे होते हैं कि कहीं हमारे असल गहनों में कुछ मिलावट कर दी तो?

ऐसे में गहनों के एक्सचेंज या अपसाइकिल कराने जा रहे हैं तो निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है-

  • आप को बीआईएस से मान्यता प्राप्त जौहरी के पास जाना होगा.
  • अपने सोने के गहनों को पहले हालमार्क करवाना हमेशा अच्छा होता है.
  • कुछ जौहरी अपने स्टोर परिसर में ही इन सेवाओं की पेशकश करते हैं लेकिन अपनी ज्वैलरी का टैस्ट करवाने के लिए बीआईएस लाइसैंस प्राप्त एसेइंग एंड हालमार्क सैंटर (एएचसी) पर जाना बेहतर होता है, क्योंकि जौहरी सोने के गलत वजन और कैरेट का दावा कर के आप के आभूषणों की कीमत कम बता सकता है या हो सकता है कि उस के पास सोने की शुद्धता और उत्कृष्टता को परखने के लिए सही उपकरण न हों.
  • एएचसी में आभूषण टैस्ट कराते हुए पहले 4 गहनों पर 200 रुपए का शुल्क लगता है, उस के बाद प्रति इकाई 45 रुपए का शुल्क.
  • सोने की शुद्धता के सुबूत के बिना आप इसे साबित नहीं कर सकते हैं. अपने सोने के आभूषणों को एक्सचेंज या अपसाइकिल कराते समय बिल का साथ होना हमेशा अच्छा रहता है. हालांकि यदि आप के पास मूल रसीद नहीं है तो हालमार्क आप के काम आएगा.
  • एक्सचेंज या अपसाइकिल करना चाहते हैं तो उस से एक सप्ताह पहले सोने की कीमतों का आकलन करें. इस तरह आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जब सोने की दर अपने चरम पर हो तो आप ज्वैलरी स्टोर पर जाएं और अपने एक्सचेंज से अधिकतम राशि प्राप्त करें.
  • अगर आप अपने अपसाइकिल या कस्टममेड ज्वैलरी पीस को हालमार्क करवाना चाहते हैं तो निकटतम एएचसी पर हालमार्क करवाएं.
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