‘मुझे सब पता है,’ अकसर यह जुमला आप ने अपने घर में बच्चेबड़े सभी के मुंह से सुना होगा, लेकिन क्या आप को लगता है कि यह सही है? हो सकता है आप को वह बात न पता हो जो सामने वाला बताने जा रहा है. इसलिए जरूरी है कि हर बात में यह बोलने से पहले कि मुझे सब पता है एक बार सोच लें अन्यथा इस के नैगेटिव प्रभाव मन में मलाल पैदा करेंगे. क्या है ‘मुझे सब पता है’

ओवर कौन्फिडैंस : ऐसे लोगों को लगता है कि उन्हें सब पता है, किसी से कुछ जानने की उन्हें आवश्यकता ही नहीं है, लेकिन जब वे अपने इस ओवर कौन्फिडैंस के चलते बिना सोचेसमझे और बिना जाने कोई कदम उठाते हैं और नुकसान होने पर उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है तो उन्हें समझ आता है कि वाकई उन्हें इस बात की जानकारी सामने वाले से कम थी और उन के इसी ओवर कौन्फिडैंस के कारण बनता काम बिगड़ गया.

घमंड : ‘मैं किसी से क्यों सीखूं, मैं तो जीनियस हूं?’ सोचने वाले लोगों को अपनी अक्ल से ज्यादा अपने पैसे, रुतबे और शोहरत का घमंड होता है. उन्हें लगता है कि किसी से कुछ पूछना मतलब अपनी नाक कटवाना. अगर कुछ न भी पता हो तो भी उन्हें किसी और से पूछना अपनी तोहीन लगती है. ऐसे लोग मुंह पर भले बोल दें कि उन्हें सब पता है लेकिन चोरीछिपे उस बात के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने को उत्सुक रहते हैं.

कुछ नया न सीखने की इच्छा रखना : हमेशा कुछ नया सीखना आगे बढ़ने के लिए अच्छा होता है लेकिन कुछ लोगों में यह आदत होती है कि वे हर नई चीज को जानने व सीखने से बचना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि गाड़ी चल तो रही है, फिर अपने दिमाग में एक चीज और डाल कर उसे कष्ट क्यों देना.

पुरातनवादी सोच होना : ऐसे लोग लकीर के फकीर होते हैं. वे अपनी घिसीपिटी, पुरानी परिपाटी पर चलते रहते हैं. जब उन्हें कोई नई बात बताई जाए तो वे कहते हैं कि यह तो हमें पता है और इस काम को जैसा हम करते आ रहे हैं वैसे ही ठीक है.

आलसी : कुछ स्टूडैंट इतने आलसी होते हैं कि उन्हें ढंग की या मतलब की बात बताओ तो भी वे सुनने की जहमत नहीं उठाते, क्योंकि उन का दिमाग तो टीवी, गर्लफ्रैंड या फिर कहीं और चल रहा होता है इसलिए सामने वाले की बात सुनने का उन के पास टाइम नहीं होता. जब उन्हें उस काम को करने की आवश्यकता पड़ती है तब समझ आता है कि काश सामने वाले की बात उस वक्त सुन ली होती, तो अब परेशानी न होती. इन्हें लापरवाह भी कह सकते हैं.

बड़बोला होना :  इन्हें पतावता कुछ होता नहीं, लेकिन प्रैजेंट ऐसे करते हैं जैसे दुनिया भर की खबर इन के पास ही है. बातें बनाने में नंबर वन होते हैं. हर चीज के लिए कह देते हैं कि इस में क्या है यह तो मुझे पता है, यह तो बहुत आसान है, लेकिन करने के नाम पर इन के पसीने छूटने लगते हैं, क्योंकि काम करना तो दूर उस की एबीसीडी तक इन्हें पता नहीं होती.

नुकसान

लोग आप से कटने लगेंगे : अगर आप खुद को ज्यादा स्मार्ट समझते हैं और आप को लगता है कि आप को सब पता है, किसी से कुछ पूछने की जरूरत नहीं है, तो लोग आप से बात करने में हिचकिचाने लगेंगे, आप से कटने लगेंगे, क्योंकि उन्हें लगेगा कि आप को सब पता है तो कुछ बताने की जरूरत ही नहीं है. ऐसे में आप को न तो कोई नई बात पता चलेगी और न ही कोई नेक सलाह मिलेगी. इस में नुकसान आप का ही होगा.

आप को बदतमीज समझेंगे : अकसर बड़े लोगों को लगता है कि छोटे उन के द्वारा बताई जाने वाली हर बात को सुनें, क्योंकि उन्हें जिंदगी का ज्यादा अनुभव है और अगर वे कुछ बता रहे हैं तो सोचसमझ कर भले के लिए ही बता रहे हैं, लेकिन जब वह बात नहीं सुनी जाती या फिर उसे इग्नोर किया जाता है तो बड़ों को अपना अपमान लगता है और वे बच्चे को बदतमीज समझते हैं. इसलिए अगर आप नहीं चाहते कि लोग आप को बदतमीज समझें तो उन की बात को सुनें. वैसे भी वह है तो आप के भले के लिए ही. अगर अच्छी लगी तो अपना लें वरना एक कान से सुनें और दूसरे से निकाल दें.

अपना मजाक खुद उड़वाएंगे इसलिए मजाक का पात्र न बनें : किसी के कुछ बताने पर आप का यह कहना कि मुझे सब पता है जैसे कि अगर आप को कोई एड्रैस, जहां आप को पहुंचना है, की लोकेशन बताना चाहे और आप तुरंत कह दें कि मुझे पता है, वह एरिया, मेरा देखाभाला है, तो सामने वाला आप का जवाब सुन कर चुप हो जाएगा, लेकिन जब आप उस जगह पहुंचेंगे और आप को वहां सारी बिल्डिंगें एक सी लगेंगी और कोई लैंडमार्क नहीं होने की वजह से आप रास्ता भटकेंगे तो पछताएंगे कि पहले रास्ता समझ लिया होता तो कितना अच्छा होता. ऐसे में जब आप दोबारा उस से फोन कर के लोकेशन के बारे में पूछेंगे तो उस की नजरों में गिर जाएंगे और मजाक का पात्र बनेंगे. सामने वाला मजाक बनाता हुआ कह सकता है, ‘भाई, अब क्यों पूछ रहा है, तुझे तो सब पता है?’

बात के मालूम न होने पर जब गलती होगी तो लोगों के ताने सुनने को मिलेंगे : बात के मालूम न होने पर जब बात बिगड़ जाएगी तो घर वालों, दोस्तों और रिश्तेदारों को आप की उस नादानी पर गुस्सा आना स्वाभाविक है, क्योंकि समय रहते आप ने उस बात को महत्त्व नहीं दिया और उस गलती का खमियाजा सब को भुगतना पड़ता है.

एक अच्छी और नई बात सीखने से अनभिज्ञ रह जाएंगे : कुछ बातें ऐसी होती हैं कि जिस वक्त हमें कोई बता रहा होता है उस वक्त तो हमारे लिए उन बातों का कोई महत्त्व नहीं होता, लेकिन कुछ समय बीतने पर जब उन से संबंधित कोई अन्य घटना या बात हमारे सामने आती है तो हमें एहसास होता है कि काश हम ने उस समय ध्यान से उस की बात सुनी होती, तो आज ऐसी स्थिति उत्पन्न न होती.

क्या करें

बात को काटें नहीं सुनें : किसी भी दूसरे व्यक्ति की बात बीच में ही काटने से पहले एक बार पूरी बात अवश्य सुन लें, हो सकता है वह आप को कुछ ऐसी बात बता रहा हो जो आप को न पता हो या उस के बारे में आप को आधीअधूरी जानकारी हो. ऐसा करने से फायदा आप को ही होगा.

शालीनता का परिचय दें बदतमीजी का नहीं : अगर कोई बड़ा कोई बात बताने की कोशिश कर रहा है तो उस की बात ध्यान से सुनें, फिर चाहे वह बात आप को पता ही क्यों न हो. जब उन की बात खत्म हो जाए तब आप आराम से उन्हें वह बताएं जो आप को पता था और उस बारे में डिस्कस करें.

मुंहफट न बनें : मुंहफट न बनें, बल्कि अगर किसी बात के लिए इनकार भी करना है तो उसे समझाते हुए और उस बात को न माने जाने की वजह बताते हुए बातचीत को आगे बढ़ाएं न कि एकदम मुंह पर साफ मना कर दें.

समझें, फिर रिऐक्ट करें : सामने वाला जो कह रहा है उस बात को समझें, फिर रिऐक्ट करें. हो सकता है वह बात आप के भले की ही हो.

जानकारी हासिल करें : अगर आप को कोई बात नहीं पता है, तो निसंकोच अपने किसी परिचित से उस के बारे में जानकारी हासिल करें. ऐसा कर के आप उस की नजरों में और भी अच्छे बन जाएंगे कि आप को कोई बात पूछने में किसी से कोई भी ईगो नहीं है.

खुद को अपडेट रखें : उस वक्त वह बात ध्यान से सुन ली होती तो इतनी परेशानी न होती. हमेशा खुद को अपडेट करते रहना चाहिए. नई बातें और जानकारी हासिल करते रहना ज्ञान में वृद्धि करता है. ऐसा कर के आप समय के साथ चल पाते हैं और लोगों के बीच बैठ कर किसी भी नए टौपिक पर बात कर सकते हैं, क्योंकि आप के पास लोगों की अपेक्षा अधिक जानकारी होगी.                                       

‘मुझे सब पता है,’ न कहने के फायदे

–       सुनने की क्षमता विकसित होती है. सिर्फ अच्छे वक्ता ही नहीं बल्कि अच्छे श्रोता भी कहलाते हैं.

–       इस में नुकसान तो कोई नहीं. अलबत्ता कोई काम की ही बात पता चल जाती है.

–       लोगों की नजरों में एक अच्छी इमेज बनती है कि आप सीरियस हैं और हर बात को ध्यान से सुनते हैं.

–       इधरउधर से बातें ध्यान से सुनने के कारण नौलेज ज्यादा हो जाती है, जो कभी न कभी काम आ ही जाती है.

–       हर वह बात जो अन्य लेगों को देर से पता चलती है, आप को सब से पहले पता चलेगी.

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