निधि और सुधीर का वर्ष 2000 में अलीगढ़ में परीकथा जैसा प्रेम हुआ था जो बाद में विवाह में परिवर्तित हो गया था. शुरू के कुछ सालों तक सब ठीक रहा पर बाद में दोनों के वैचारिक मतभेद खुल कर सामने आने लगे. दोनों का प्रेमविवाह था, इसलिए अपने परिवार से उन्हें किसी सहायता की उम्मीद नहीं थी. खराब रिश्ते के कारण घर में घुटन इस कदर बढ़ी कि उन की बेटी आनंदी एक दिन बिना बताए न जाने कहां गुम हो गई.

नागपुर में रहने वाली सोनल और चेतन का विवाह भी बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा था. दरअसल, चेतन का अपने साथ काम करने वाली महिला सहकर्मी से रिश्ता कायम हो गया था, जो वह अब चाह कर भी भुला नहीं पा रहा था. घर में रातदिन की सोनल और चेतन की किचकिच का सीधा असर उन की बेटी देविका पर हो रहा था. चेतन अपराधबोध के कारण न तो विवाह से बाहर आ पा रहा था और न ही प्रेम के कारण अपनी महिला सहकर्मी को छोड़ पा रहा था. ऐसे में सोनल ने एक समझदार मां और महिला का परिचय देते हुए न केवल चेतन को इस अनचाहे रिश्ते से आजाद कराया बल्कि खुद को और अपनी बेटी देविका को भी दर्द के रिश्ते से आजाद कर दिया था.

यह सच है कि बच्चे को माता और पिता दोनों की आवश्यकता होती है, पर एक घुटनभरे माहौल में दोनों मातापिता के साथ से अच्छा है कि बच्चा माता या पिता किसी एक के साथ सुकूनभरी जिंदगी के सारे रंग जिए.

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