केंद्र व राज्य सरकारों ने अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक देखभाल व कल्याण संबंधी कानून बनाए हैं परंतु इन कानूनों तथा अपने अधिकारों की ज्यादा जानकारी बुजुर्गों को नहीं है. जरूरत है इन कानूनों के व्यापक प्रचार की ताकि अपने अधिकारों को जानते हुए वृद्ध अपनी संतानों की उपेक्षा का शिकार न बनें.

पिता उंगली थाम कर बच्चों को सहारा देते हैं. उन का पालनपोषण करते हैं. पिता से ही बच्चों के सारे सपने पूरे होते हैं. पिता के कारण ही बाजार के सारे खिलौने बच्चों के होते हैं. लेकिन जब वही पिता अपने ही बच्चों से प्रताड़ित होते हैं, तो जरा सोचिए उन के दिल पर क्या बीतती होगी? जीवन की सांझ में सहारा देने की जगह बच्चे अगर जख्म देने लगें, तो कहां जाएं ये वृद्ध?

लाल सिंह की उम्र 65 साल है. कैंसर से 3 साल पहले उन की पत्नी की मौत हो चुकी है. बड़ा बेटा गाड़ी चलाता है. छोटा बेटा विकलांग है. लाल सिंह का आरोप है कि उन का बड़ा बेटा उन से मकान हथियाना चाहता है. रातदिन उन्हें परेशान करता है. शराब के नशे में देररात उठ कर उन्हें जलाने की धौंस देता है. 6 महीने तक उन्होंने भरपेट खाना नहीं खाया. हालात बद से बदतर हो गए. बेटे ने खाना देने से इनकार कर दिया. मजबूरन टिफिन के सहारे जिंदगी काट रहे हैं. उन्हें कभी मंदिर तो कभी किसी रिश्तेदार की चौखट पर दिन गुजारने पड़ रहे हैं. एएसपी के सामने बोलतेबोलते उन की आंखें डबडबा गईं. फिर वे कहने लगे, ‘‘बेटों से उन्हें बहुत प्रेम था. जिंदगीभर उन्हें मातापिता की सेवा करने की शिक्षा दी है, लेकिन अब एक बेटा उन की जान का दुश्मन हो गया.’’

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