लेखक-विजय प्रकाश श्रीवास्तव 

ग्रेजुएशन के बाद अधिकतर छात्रों की ख्वाहिश होती है कि वे ऐसा प्रोफैशनल कोर्स करें जिस से उन का भविष्य ऊंचाइयां छुए. बिसनैस लाइन से जुड़े एमबीए कोर्स की भारी डिमांड रहती है. ऐसे में सभी के मन में सब से पहला उमड़ने वाला सवाल यह होता है कि यह कोर्स कहां से करें? तकरीबन 2 दशकों पहले तक हमारे देश के युवाओं में से बहुतेरों की ख्वाहिश इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की होती थी और उस में सब से अधिक मांग सूचना प्रौद्योगिकी या सौफ्टवेयर इंजीनयरिंग के पाठ्यक्रमों की थी. कारण यह था कि देश में मौजूद तमाम देशीविदेशी आईटी कंपनियां बड़े पैमाने पर ऐसे इंजीनियरों की भरती कर रही थीं. देश में इंजीनियरों की मांग अभी भी बनी हुई है,

पर इस बीच भारतीय किशोरों व युवाओं में मैनेजमैंट का कोर्स करने का क्रेज ज्यादा है. कारण चाहे जो भी हो, पर आज इंजीनयरिंग तथा विज्ञान आदि विषयों से ग्रेजुएट एमई, एमटेक या एमएससी करने के बजाय एमबीए करने को वरीयता दे रहे हैं. इस मांग को देखते हुए ढेरों नए प्रबंधन संस्थान खुल गए हैं. प्रबंधन की पढ़ाई करने के इच्छुक युवाओं की पहली पसंद आईआईएम होते हैं. आईआईएम का मतलब इंडियन इंस्टीट्यूट औफ मैनेजमैंट से है. पहले देश में गिनेचुने आईआईएम हुआ करते थे, अहमदाबाद, कोलकाता, बेंगलुरु आदि. कई नए आईआईएम खुलने के बाद इन की संख्या 20 हो चुकी है. फिर भी इन में सीमित संख्या में ही लोगों को प्रवेश मिल पाता है.

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आईआईएम के बाद नामी प्रबंधन संस्थानों की एक दूसरी श्रेणी है जिन की डिग्री की कौर्पोरेट जगत में काफी सम्मान है. इन में भी कुल मिला कर सीटें मांग से कम हैं और आवेदन करने वालों में से केवल कुछ को ही प्रवेश मिल पाता है. इस के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में फैले सैकड़ों संस्थान हैं जिन में से कुछ औल इंडिया काउंसिल फौर टैक्निकल एजुकेशन, जो देश में तकनीकी शिक्षा हेतु विनियामक है, द्वारा निर्धारित शर्तों को मुश्किल से पूरा करते हैं. अपने सभी प्रयासों के बावजूद यदि आप देश के किसी शीर्ष बिजनैस स्कूल में प्रवेश नहीं पा सके हैं और तब भी प्रबंधन की पढ़ाई करना चाहते हैं तो आप को इस हेतु संस्थान के चयन में अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए. एमबीए पाठ्यक्रमों में प्रवेश के नियम कड़े रहे हैं. पहले लिखित परीक्षा होती है जो अब ज्यादातर औनलाइन होने लगी है.

इस के बाद इंटरव्यू तथा गु्रप डिस्कशन होता है. तब जा कर चुने गए लोगों की सूची बनती है. लिखित परीक्षा में सब से पहला नाम कौमन ऐडमिशन टैस्ट का है जो कैट के नाम से ज्यादा प्रचलित है. कैट मुख्यतया आईआईएम में प्रवेश के लिए है पर कैट स्कोर को देश के तमाम बिजनैस स्कूल स्वीकार करते हैं. इस के अलावा कई और मैनेजमैंट प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं. उन में से कुछ केवल एक संस्था में प्रवेश के लिए होती हैं, जबकि कुछ के स्कोर विभिन्न संस्थानों द्वारा स्वीकार किए जाते हैं. आप ने मैनेजमैंट की कोई प्रवेश परीक्षा दी हो, आप को जानेअनजाने संस्थानों से प्रवेश के प्रस्ताव मिलने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए. चूंकि अब देश में प्रबंधन संस्थानों की आपूर्ति मांग से कहीं ज्यादा हो गई है, बहुत से बिजनैस स्कूल उन के यहां उपलब्ध रिक्तियों के अनुसार विद्यार्थी जुटा पाने में कठिनाई महसूस करते हैं तथा सीटें भरने के लिए अवांछनीय कदम भी उठाया करते हैं. पुणे, नोएडा, हैदराबाद में बिजनैस स्कूलों की भरमार तो है ही, प्रबंधन की शिक्षा की बढ़ती लोकप्रियता का लाभ उठाने के लिए ऐसे संस्थान मेरठ, लुधियाना आदि जैसी जगहों में भी खुल चुके हैं.

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सरकार द्वारा स्थापित संस्थाओं को छोड़ दें तो और जगहों पर प्रबंधन शिक्षा का खर्च काफी ज्यादा है. तमाम विद्यार्थियों को इस के लिए बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों से एजुकेशन लोन लेना पड़ता है. एमबीए करने में युवाओं को जीवन के 2 कीमती वर्ष देने होते हैं. पैसे और समय की दृष्टि से यह एक बड़ा निवेश है. इस निवेश से बड़ी उम्मीदें जुड़ी होती हैं. सो, इस निवेश को करने में आप को काफी सावधानी बरतनी चाहिए और एमबीए ऐसे बिजनैस स्कूल से करना चाहिए जो इस निवेश के लिए योग्य हो. ऐसे बिजनैस स्कूल से बचें जो आप को किसी प्रवेश परीक्षा के स्कोर के बगैर या इंटरव्यू या गु्रप डिस्कशन, जो सामान्यतया चयन प्रक्रिया के आवश्यक अंग माने जाते हैं, लिए बिना प्रवेश का आश्वासन दे रहे हों. यहां सम?ा लें कि संस्था आप पर कोई उपकार नहीं कर रही बल्कि आप को प्रवेश लेने के लिए लुभा रही है. अच्छा बिजनैस स्कूल वह भी नहीं है जो आप को मैनेजमैंट की किसी विशेष शाखा (जैसे मार्केटिंग मैनेजमैंट आदि) में प्रवेश लेने हेतु प्रभावित करे. मैनेजमैंट के विद्यार्थियों को एक स्पेशियलाइजेशन चुनना होता है. पर यह चयन आप का होना चाहिए, संस्था का नहीं. कोई संस्था आप को शुल्क में छूट की पेशकश करती है या इस में सौदेबाजी करती है तो उसे छोड़ देना ही बेहतर होगा.

जहां आप से प्रवेश देने के बदले बिल्डिंग या विस्तार योजनाओं के नाम पर डोनेशन मांगा जाए, वहां भी मना कर दें. कई बिजनैस स्कूल अपने विज्ञापनों में बड़ेबड़े दावे करते हैं. उन पर आंख मूंद कर विश्वास न करें. प्लेसमैंट के दावे बढ़ाचढ़ा कर बताना आम है. इसी प्रकार विदेशी संस्थानों से संबंद्धता अर्थात एफिलिएशन का जिक्र किया जाता है. यदि 200-300 विद्यार्थियों में से 1-2 को 18-20 लाख रुपए का सालाना पैकेज मिल जाता है तो इस का मतलब यह नहीं कि सब को ऐसी आस लगा लेनी चाहिए. प्लेसमैंट की गारंटी भी छलावा हो सकती है जिस में विद्यार्थियों को उम्मीद से काफी कम वेतन पर ऐरीगैरी कंपनियों में नियुक्ति के प्रस्ताव थमाए जाते हों.

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इस प्रश्न का उत्तर भी ढूंढ़ना होगा कि ऊपर बताए गए एफिलिएशन की वास्तविकता क्या है? तथा विद्यार्थी के रूप में आप इस से किस प्रकार लाभान्वित होंगे? कुछ पत्रिकाएं तथा वैब पोर्टल समयसमय पर बिजनैस स्कूलों की रेटिंग जारी किया करते हैं. इन रेटिंग में बिलकुल ऊपर के स्थानों पर आईआईएम के नाम होते हैं, इस से रेटिंग प्रामाणिक भले ही लगे, आप को प्रवेश का निर्णय केवल रेटिंग के आधार पर नहीं लेना चाहिए. कई बार बिजनैस स्कूल के विज्ञापनों में रेटिंग मोटे अक्षरों में दर्शाई गई होती है, पर इस रेटिंग के मिलने के मानदंड नहीं बताए गए होते. कुछ मामलों में तो रेटिंग करने वाली संस्था का नाम तक नहीं दिया गया होता. सो, किसी भी बिजनैस स्कूल में प्रवेश लेने से पूर्व रैंकिंग या रेटिंग के उस के दावों की वास्तविकता को सम?ा लें. मुफ्त कंप्यूटर या विदेशयात्रा का आकर्षण दिया जाए, तो भी आप को सम?ा लेना चाहिए कि इन की कीमत उस संस्था को आप के द्वारा दिए गए पैसों से ही वसूल की जाएगी. कई बिजनैस स्कूल पाठ्यक्रम शुल्क थोड़ा कम रखते हैं पर होस्टल व मैस के लिए भारीभरकम रकम वसूलते हैं. सो, खर्चों को पूरा जोड़ कर देखें, न कि इस के किसी एक हिस्से को. कुछ बिजनैस स्कूल शहरों से काफी दूर खोले गए हैं. हो सकता है अपनी बिल्डिंग,

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खुली जगह आदि के कारण बाहर से ये अच्छे लगते हों, पर उन में प्रवेश का निर्णय तभी लें यदि वहां शिक्षा का स्तर ऊंचा हो. बेहतर होगा कि जिस संस्था में प्रवेश लेने के बारे में आप सोच रहे हों, वहां पढ़ाई कर रहे या वहां से पढ़ाई पूरी कर चुके विद्यार्थियों से सीधे जानकारी जुटाएं. सोशल मीडिया तथा इंटरनैट पर भी विद्यार्थियों द्वारा दिए गए रिव्यू पड़े. आप को रिव्यू ध्यान से देखने होंगे क्योंकि इन में से कई वास्तविक न हो कर प्रचार के तौर पर होते हैं. यह जानना भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि कौर्पोरेट जगत तथा सरकारी नौकरियों में 2 वर्ष का पूर्णकालिक अथवा पोस्टग्रैजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमैंट ही मान्य होता है.?

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