नेहा का 10 वर्षीय बेटा चेतन जब भी बाहर खाने की जिद करता तो वह हमेशा उसे बहलाफुसला कर मना कर देती कि बेटा, यह अच्छा नहीं है, यह ताजा बना हुआ नहीं है. मैं घर पर तुम्हें इस से भी अच्छा और स्वादिष्ठ खाना बना कर दूंगी. दरअसल, नेहा को लगता था कि बाहर का खाना घर के खाने की तुलना में महंगा होता है. अगर इसे घर में बनाया जाए तो यह सस्ता पड़ता है. इसलिए वह हमेशा हर चीज घर पर ही बनाती थी, बाजार से अलगअलग तरह की सामग्री खरीद कर लाती और किचन में घंटों मेहनत कर के बनाती. नेहा की तरह ही अधिकांश लोग सोचते हैं कि इतनी महंगाई में बाहर का खाना कौन खाए, इतने में तो घर में 10 चीजें बन जाएंगी और भरपेट भी खा लेंगे. पर क्या कभी आप ने घर पर बने खाने की कीमत को जोड़ कर देखा है कि उस की कीमत कितनी पड़ती है. पहले के समय में बात अलग थी, परिवार में ज्यादा सदस्य हुआ करते थे, एक बार में ही ज्यादा खाना बनता था, चीजें ज्यादा इस्तेमाल हुआ करती थीं.

पहले घर में जो बनता था, सब वही खाते थे, लेकिन अब परिवार छोटा हो चुका है, सब की पसंद भी अलग हो चुकी है. किसी को दाल में प्याज, टमाटर का तड़का चाहिए तो किसी को सिर्फ जीरे का. किसी को समौसे मीठी चटनी के साथ खाने हैं तो किसी को हरी चटनी के साथ. आज अगर घर पर दाल मक्खनी बनानी हो तो इस की कीमत लगभग 200 रुपए पड़ती है. इस के लिए दाल, क्रीम, मक्खन, मसाले इत्यादि चीजें खरीदनी पड़ती हैं. लेकिन अगर इसी दाल मक्खनी को बाहर खाया जाए तो 70-80 रुपए में 3 लोग आराम से खा सकते हैं.

घर पर बनाने पर 3 लोगों के हिसाब से सामग्री इतनी ज्यादा होती है कि सोचना पड़ता है कि इन बची हुई चीजों का इस्तेमाल किस में किया जाए. हफ्ते में 2 बार दाल मक्खनी भी नहीं बना सकते, क्योंकि बच्चे व पति कहने लगते हैं, ‘‘यह क्या है, कल ही आप ने दाल मक्खनी बनाई थी, आज फिर से.’’ एक के लिए खाना बनाया जाए या 2 लोगों के लिए मेहनत, समय व गैस उतनी ही लगती है जितनी 4 लोगों के लिए लगती है. अब आप समोसे का ही उदाहरण ले लीजिए. बाहर हम 16-20 रुपए में 2 समोसे आराम से खा सकते हैं, लेकिन अगर इसे घर पर बनाने की सोचें तो समौसे के लिए मैदा, आलू, तेल, मसाले, प्याज, मिर्ची के साथ गैस का खर्च मिला कर कई गुना ज्यादा पड़ेगा.

कहने का तात्पर्य है कि आज के समय में बाहर का खाना महंगा नहीं है बल्कि आप के बजट में है. आप आराम से परिवार के साथ बाहर का खाना खा सकते हैं.

बाहर का खाना कैसे सस्ता

घर पर अगर हमें कोई स्पैशल डिश बनानी हो जैसे चिकन बनाना हो तो इस की सारी सामग्री प्याज, टमाटर, चिकन, लहसुन, अदरक से ले कर गरम मसाले तक सभी चीजें खरीदनी पड़ती हैं, गैस का खर्च अलग आता है. लेकिन बाहर लगभग 150-200 रुपए में आराम से चिकन खाया जा सकता है. बाहर खाने का फायदा यह होता है कि खाने में सलाद व चटनी साथ में मिल जाती है, घर पर इस के लिए भी सभी चीजों को खरीदना पड़ता है और इसे बनाना पड़ता है. बाहर खाना खाने पर न तो बरतन धोने का झंझट होता है और न ही किचन साफ करने व कूड़ा फेंकने की समस्या होती है.

बाहर खाने के फायदे

बोरियत से मिलता है बदलाव : हर दिन एक ही तरह का खाना खा कर बच्चे ऊब जाते हैं, बाहर के खाने से उन्हें एक बदलाव मिलता है. आप घर पर उन का पसंदीदा खाना कितना भी अच्छा क्यों न बनाएं पर उन्हें जो खुशी बाहर के खाने में मिलती है, वह घर के खाने में नहीं मिलती. बजट का रहता है ध्यान : हम सोचते हैं कि घर के खाने में हम बजट में रहते हैं और बाहर खाने पर खर्च ज्यादा होता है, लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि हम बाहर के खाने में ज्यादा अच्छे से बजट में रहते हैं. घर पर खाना बनाने में जरूरत से ज्यादा खर्च करते हैं, ज्यादा खाना बना लेते हैं. सोचते हैं बच गया तो क्या हुआ, फ्रिज में रख देंगे. चाहे बाद में खाएं चाहे न खाएं, पर बना जरूर लेते हैं. खाते समय भूख से ज्यादा खाना खा लेते हैं. लेकिन जब हम बाहर खाते हैं तब कम खाना और्डर करते हैं. सोचते हैं–पहले इतना खा लेते हैं, कम पड़ेगा तो फिर और्डर करेंगे. अगर घर में खाते समय दाल खत्म हो जाती है तो हम फिर से एक कटोरी दाल ले लेते हैं, भले ही प्लेट में सब्जी हो. लेकिन जब हम बाहर खाते हैं तो ऐसा नहीं करते. आधी रोटी के लिए फिर से दाल या सब्जी नहीं लेते, क्योंकि हमें अपना बजट पता होता है, इसलिए यह कभी न सोचें कि बाहर के खाने से आप का बजट बढ़ सकता है.

परिवार के लिए समय : कामकाजी महिलाओं के लिए संभव नहीं होता है कि दिनभर के औफिस के बाद वे बच्चों को पढ़ाएं, घर का कामकाज करें, सब की पसंद का कुछ बनाएं. ऐसे में जब रविवार आता है तो बच्चे व पति जिद करने लगते हैं कि आज कुछ स्पैशल खाना है और छुट्टी वाले दिन भी आप परिवार के साथ समय बिताने के बजाय किचन में व्यस्त रहती हैं. लेकिन बाहर खाना खाने से आप को किचन के कामों से छुट्टी मिलती है. आप को इस बात की टैंशन नहीं रहती है कि खाना बनाना है, किचन साफ करना है, बरतन धोने हैं. बल्कि आप अपने परिवार को समय दे पाती हैं, अपने बच्चों के साथ खेल सकती हैं, पति से बातें कर सकती हैं, रविवार का पूरा दिन परिवार के साथ बिता सकती हैं.

कब खाएं बाहर का खाना

किटी पार्टी में किफायती : आप अपने घर पर किट्टी पार्टी कर रही हैं तो सुबह से ही अलगअलग वैराइटी बनाने के बजाय बाहर से टिफिन मंगवा लें. आजकल टिफिन वाले टिफिन में स्नैक्स भी देने लगे हैं, जिस की कीमत 50-60 रुपए तक होती है. आप इस में अपनी सुविधानुसार चीजें रखवा सकती हैं. इस से आप को न तो सामग्री खरीदने व बनाने का झंझट होता है और न ही बरतन धोने की टैंशन. इस से आप का समय भी बचता है और पार्टी भी बजट में आसानी से हो जाती है.

पिकनिक पर खाएं बाहर का खाना: अगर आप परिवार व दोस्तों के साथ पिकनिक पर जा रही हैं तो आप के लिए संभव नहीं है कि आप इतने सारे लोगों का खाना अकेले बना कर ले जाएं. बच्चों की पसंद और बड़ों की पसंद अलगअलग होती है और ऐसे में किसी को खाना पसंद न आए या बच्चे यह कहने लगें कि मुझे यह नहीं खाना तो सारा मूड खराब हो जाता है. पिकनिक पर मस्ती करने का मन ही नहीं करता. हमें लगता है कि हम ने इतनी मेहनत कर के बनाया, लेकिन फिर भी किसी को पसंद नहीं आया. इसलिए पिकनिक के लिए घर से खाना बना कर ले जाने के बजाय बाहर के खाने का मजा लें. 

मनाएं बर्थडे पार्टी बाहर : आज के बच्चों को घर पर कितना भी स्वादिष्ठ खाना बना कर क्यों न दिया जाए, उन्हें बाहर के बर्गर के आगे फीका ही लगता है. बच्चे बर्थडे पार्टी में पावभाजी या छोलेभठूरे देने पर कहते हैं, ‘‘आंटी, मेरी मम्मी इस में ये नहीं डालतीं, मैं ये नहीं खाऊंगा. इस में शिमला मिर्च है.’’ सारा खाना बरबाद होता है. पैसे भी खर्च होते हैं और बच्चे एंजौय भी नहीं करते. लेकिन अगर वहीं उन्हें बाहर का बर्गर या पिज्जा दिया जाए तो मना नहीं करते, बल्कि अच्छे से खाते हैं. आजकल तो इन जगहों पर आसानी से बर्थडे पार्टी की जा सकती है, यहां न तो सर्व करने की, घर गंदा होने की टैंशन होती है और न ही पार्टी के बाद कूड़ा फेंकने का झंझट होता है. घर पर सामान खरीद कर बनाने में जितना खर्च आता है, बाहर आराम से बर्गर व कोल्ड डिं्रक के साथ पार्टी की जा सकती है.

पौष्टिकता का रखें ध्यान : जब भी बाहर खाएं तो पौष्टिकता का ध्यान रखें. हमेशा वैसी ही चीजें खाएं जिस में पौष्टिकता ज्यादा हो और हैल्दी भी. कुछ भी और्डर करने से पहले मैन्यू को अच्छी तरह से देखें और उस में से ऐसी डिशेज को चुनें जिस में प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्त्व हों.

आधा घर का आधा बाहर का

 आप चाहें तो आधा घर का और आधा बाहर के खाने का अनुपात रख सकती हैं. जैसे हर चीज को घर पर बनाने के बजाय कुछ रेडीमेड चीजों का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस से आप का समय भी बचेगा और मेहनत भी कम लगेगी. जैसे आप को सूप बनाना है और आप इसे घर पर बनाती हैं तो आप को सारी सब्जियों को खरीदना पड़ेगा, उन्हें धो कर काटना पड़ेगा. इस में काफी समय लगता है. आप इन सब्जियों को थोड़ाथोड़ा भी खरीदेंगी तो भी वे ज्यादा हो जाएंगी. इसलिए आधा घर का और आधा बाहर का मिला कर खाना बनाएं. इस से समय भी बचेगा और पैसा भी. सूप बनाने के लिए आप सूप पैकेट ले कर आइए और बस पानी में सूप पाउडर डाल कर उबाल लें. मिनटों में गरमागरम सूप तैयार. आज तो मसाले भी गे्रवी वाले आने लगे हैं. बस, गे्रवी को गरम कीजिए और इस में पनीर या सब्जियां मिलाइए. आप की मनपसंद सब्जी तैयार.

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