Writer- डा. पंकज चतुर्वेदी
इंगलैंड में 30 साल के एक युवक की अचानक मौत हो गई. डाक्टरों ने पाया कि इस असामयिक मौत का कारण सीजेडी अर्थात क्रूजफेल्ड जैकब डिजीज था. गहन जांच से पता चला कि युवक जब 15 साल का था, तभी उसे लंबाई बढ़ाने के लिए मानव वृद्धि हार्मोंस दिए जा रहे थे. हार्मोंस एक मुर्दे से निकाले गए थे और दाता टिश्यू के साथसाथ संक्रमण एजेंट भी आ गए थे. अनुमान है कि आज ऐसे हजारों लोग असामयिक काल के गाल में समा रहे हैं.
‘बच्चों के लिए पौष्टिक आहार, लंबाई बढ़ाएं तंदुरुस्ती बनाएं’, ‘वजन घटाना अब बहुत आसान, बस एक गोली रोज’, ‘बगैर कमजोरी के मोटापा कम करें’, ‘खुराक का बेहतरीन विकल्प, केवल एक कैप्सूल प्रतिदिन’, ‘मुंह में पंप करें, महीने में 7 किलो वजन घटाएं’, ‘स्लिम बनें, रंगरूप निखारें’ जैसे विज्ञापनों की प्रचार माध्यमों में भरमार है. इन के साथ यह भी प्रचारित किया जाता है कि नुस्खे अमेरिका में सफलता से आजमाए जा रहे हैं.
दूसरी ओर अमेरिका की सरकार ने मोटापा घटाने वाली नई लोकप्रिय दवाओं पर पाबंदी लगा दी थी, जिस का सेवन दुनियाभर में 50 लाख से अधिक लोग अपनी काया सुडौल बनाने के लिए करते थे. इस दवा के कारगर होने की प्रक्रिया शरीर के ‘मूल आचार व्यवहार में परिवर्तन’ के माध्यम से संचालित होती है जिस तरह मस्तिष्क कोशिकाओं से ‘न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटौनिक’ का स्राव होता है.
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असल में मोटापा घटाने वाली दवाओं के सेवन में मस्तिष्क कोशिकाओं का क्षय होने लगता है. हालांकि दवा निर्माता कंपनियों ने इस बात से असहमति जताई है लेकिन न्यूरोकैमिकल परीक्षणों से प्राप्त नतीजे इस बात को सिद्ध करते हैं कि मस्तिष्क की कुछ कोशिकाएं इस के कारण प्रभावित हो सकती हैं. खासतौर से पतली और लंबी शाखाओं वाली कोशिकाओं की न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटौनिक के प्रति अनुकूल होने की क्षमता घट जाती है.