मौनसून में खानपान का खयाल रखना चाहिए. अगर मौनसून में खानपान सही तरीके का नहीं हुआ तो बीमारियां शरीर पर हमला कर देती हैं. खासतौर पर खाने में गड़बड़ी होने से लिवर इन्फैक्शन होने की संभावना ज्यादा रहती है जिस से पेट खराब हो जाता है.

खाने के साथसाथ साफ पानी भी पीना चाहिए. अगर स्वच्छ पानी की व्यवस्था नहीं है तो पानी को उबाल कर ठंडा कर लेना चाहिए. उस को साफ कपड़े से ढक कर रखना चाहिए.

मौसम के बदलने से शरीर पर प्रभाव पड़ता है. साफसुथरा खाने से मौसमी बीमारियों का खतरा नहीं रहता है. डाइटीशियन स्वाति आहलूवालिया कहती हैं, ‘‘बदलते मौसम में हैल्दी डाइट से बीमारियों को शरीर से दूर रखा जा सकता है.’’

खानपान के इस प्रभाव को समझने के लिए ही कहा जाता है कि ‘जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन.’ खानपान का संबंध केवल पेट की भूख मिटाने भर से नहीं है. खाने का संबंध हमारे शरीर के साथसाथ हमारे मन से भी होता है. बदलते मौसम में शरीर पर कई तरह की बीमारियों का खतरा मंडराता रहता है. इस से बचने के लिए संतुलित आहार की बहुत जरूरत है. खासतौर पर जब मौनसून की बात हो तो जरूर सतर्क हो जाएं. इस मौसम में बैलेंस्ड डाइट आवश्यक है.

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बैलेंस्ड डाइट लें

हमारे शरीर को हवा, सूर्य की रोशनी और पानी के अलावा कार्बोहाइड्रैट, फैट और प्रोटीन की भी जरूरत होती है. ये तत्त्व हमारे शरीर को बीमारियों से लड़ने की क्षमता और काम करने के लिए एनर्जी देते हैं. मौनसून के स्वास्थ्य आहार में फल, सब्जी, स्टार्च (इस में दालें, अनाज, दूध, दही सोयाबीन, अंडा और मछली आती है) लेना चाहिए. इस के साथ ही साथ प्रोटीन के लिए दूध, पनीर, दही, सोयाबीन, अंडा जरूर लेना चाहिए.

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