जलजनित बीमारी गंभीर चिंता का विषय है और लोगों के स्वास्थ्य पर इस के पड़ने वाले प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दूषित जलस्रोतों के मिलने, अपर्याप्त स्वच्छता और स्वच्छता संबंधी गलत आदतों से सालाना लाखों लोग प्रभावित होते हैं।
जलजनित बीमारियां
जलजनित बीमारियां अकसर सूक्ष्म परजीवियों, बैक्टीरिया और वायरस के कारण होती हैं। ये बीमारियां देश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी बोझ डालती हैं। हैजा से ले कर हैपेटाइटिस ए तक की ये बीमारियां उसी पानी के माध्यम से चुपचाप घरों में प्रवेश करती हैं जिसे हम जिंदा रहने के लिए ग्रहण करते हैं।
ऐसे संक्रमणों के परिणाम गंभीर होते हैं, जिस से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं और यहां तक कि मौत भी हो जाती है। इस का प्रभाव संवेदनशील स्थिति वाली आबादी पर सब से गहरा पङता है, जिस में बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग शामिल हैं।
डा. प्रदीप डी कास्टा, सीनियर कंसल्टैंट, इंटर्नल मैडिसिन, सह्याद्रि सुपर स्पैशियल्टी हौस्पिटल, नागर रोड, पुणे ने स्वास्थ्य पर जलजनित बीमारियों का प्रभाव कैसे होता है, विस्तार से बताया :
प्रभाव
जलजनित बीमारियों से हर साल लगभग 37.7 मिलियन भारतीय प्रभावित होते हैं। टाइफाइड, हैपेटाइटिस ए, पीलिया, पेटदर्द, उलटी और दस्त आम बीमारियां हैं, जो दर्द, परेशानी और सब से खराब स्थिति में मरीज के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकती हैं।
हैल्थ ऐक्सपर्ट के मुताबिक बंद नाक, सर्दी और बुखार सहित ऊपरी श्वसन मार्ग के संक्रमण (यूआरआई) से पीड़ित बाल रोगियों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है।
जलजनित बीमारियों के कारण अस्पताल में भरती होना एक सामान्य घटना है, जिस से चिकित्सा संस्थानों के संसाधनों पर असर पड़ता है।
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