रूस और यूक्रेन के युद्ध में जो बड़ा खतरा दुनिया को लग रहा है वह  सोवियत युग के बने चैरनोबिल में न्यूक्लियर रिएक्टर से निकलने वाले रेडिएशन से है. आज 40 वर्षों बाद भी ऐक्सिडैंट के बाद उस रिएक्टर को ठंडा किया जा रहा है जबकि चैरनोबिल के आसपास का इलाका अब रेडियोधर्मी यानी रेडिएशन अफेक्टेड माना जाता है. युद्ध इस रिएक्टर के आसपास भी हो रहा है.

दिल्ली में वर्षों पहले मायापुरी स्थित स्क्रैप मार्केट के रेडियोधर्मी कबाड़ से रेडिएशन (विकिरण) से प्रभावित होने की घटना ने न केवल जनसाधारण को अचंभित कर दिया बल्कि सरकार को भी इस से बचने के लिए कड़े उपाय अपनाने की दिशा में विवश कर दिया था. कहीं न कहीं चूक हुई और वर्षों से प्रयोगशाला में अनुप्रयुक्त कोबाल्ट-60 युक्त रेडियोधर्मी उपकरण स्क्रैप (कबाड़) व्यापारी के यहां पहुंच गया.

कबाड़ गलाने की प्रक्रिया में 3-4 लोग रेडिएशन से गंभीर रूप से प्रभावित हुए जिस में एक की मृत्यु हो गई और अन्य को सघन उपचार के उपरांत बचाया जा सका था. उस के बाद देश में इस तरह की कोई गंभीर घटना नहीं हुई या फिर प्रकाश में नहीं आई.

रेडिएशन उच्च ऊर्जायुक्त रेज या अल्फा, बीटा या न्यूट्रौंस, रेडौन और प्लूटोनियम नामक रेडियोएक्टिव पदार्थों से उत्पन्न होता है. यह 75 उपयोगी स्रोतों से भी उत्पन्न होता है जैसे कि एक्सरे और रेडियोथेरैपी मशीनें आदि.

रेडिएशन की मात्रा की माप विभिन्न इकाइयों में की जाती है जो एकत्रित ऊर्जा की मात्रा से संबंद्ध होती है. ये इकाइयां हैं- रेंटजन (आर), ग्रे और सीबर्ट (एसयू). सीबर्ट जिंदा लोगों पर विभिन्न प्रकार के रेडिएशन के प्रभावों से संबद्ध है.

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