इंडियन काउंसिल औफ मैडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के नैशनल इंस्टिट्यूट औफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) ने 28 सितंबर को देश की खानपान आदतों पर एक रिपोर्ट जारी की है.’ भारत क्या खाता है’ टाइटल से प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत के शहरों और गांवों में खानपान से जुड़ी आदतों में एक बहुत बड़ा अंतर सामने आया है.

यह रिपोर्ट कहती है कि शहरों में एब्डोमिनल ओबेसिटी यानी तोंद की समस्या 53.6 प्रतिशत लोगों को यानी हर दूसरे व्यक्ति को है. वहीं, गांवों में यह 18.8 प्रतिशत लोगों की समस्या है. बात जब ओवरवेट और ओबेसिटी (मोटापे) की आती है तो उस में भी शहर (31.4 प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत) गांवों (16.6 प्रतिशत और 4.9 प्रतिशत) से आगे है. यह रिपोर्ट कहती है कि शहरों में क्रौनिक एनर्जी डैफिशियंसी 9.3 प्रतिशत है, जबकि गांवों में यह 35.4 प्रतिशत है. इस का मतलब है कि गांवों में रहने वाला हर तीसरा व्यक्ति खानपान से जुड़े किसी न किसी विकार से जूझ रहा है. शरीर को एनर्जी की जरूरतों को पूरा करने लायक खाना उन्हें नहीं मिल पा रहा है. शहरों में लोग हर दिन 1943 किलो कैलोरी ले रहे हैं, जो 289 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 51.6 ग्राम फैट्स, 55.4 ग्राम प्रोटीन से आ रही है. वहीं, ग्रामीण इलाकों में लोग 2081 किलो कैलोरी ले रहे हैं. यह 368 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 36 ग्राम फैट्स और 69 ग्राम प्रोटीन से आ रही है.

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फूड ग्रुप्स देखें तो शहरों में 998 किलो कैलोरी अनाज से, 265 किलो कैलोरी फैट्स से और 119 किलो कैलोरी दालोंफलियों से आती है. वहीं, गांवों में एनर्जी सोर्स के तौर पर अनाजों की भागीदारी (1358 किलो कैलोरी) सब से ज्यादा है. इस के बाद फैट्स (145) दाल व फलियां (144) आती हैं. रिपोर्ट कहती है कि 66 प्रतिशत प्रोटीन का सोर्स दालें, फलियां, नट्स, दूध, मांस होना चाहिए. लेकिन, ऐसा हो नहीं रहा. फल और सब्जियां कम खाने से डाइबिटीज और दूध व दूध के प्रोडक्ट्स कम खाने से हाइपरटैंशन (हाई ब्लड प्रैशर) का खतरा बढ़ता जा रहा है. आईसीएमआर के हैदराबाद स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट औफ न्यूट्रिशन के मुताबिक अनाज आप की 45 प्रतिशत एनर्जी का सोर्स होना चाहिए. हकीकत यह है कि शहरों में 51प्रतिशत और गांवों में 65.2 प्रतिशत एनर्जी सोर्स के तौर पर अनाज का सेवन हो रहा है.

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