आयरन ऐसा मिनरल है जो शरीर में हीमोग्लोबीन का उत्पादन करने और कोशिकाओं, बालों, त्वचा व नाखूनों जैसे शरीर के हिस्सों का रखरखाव करने के लिए जिम्मेदार होता है. आयरन व्यक्ति द्वारा लिए जा रहे आहार के जरिए शरीर में प्रवेश करता है और इसे शरीर की उन कोशिकाओं द्वारा सोख लिया जाता है जो गैस्ट्रोइंटैस्टिनल ट्रैक्ट में मौजूद होती हैं और फिर वहां से आयरन रक्तप्रवाह में शामिल हो जाता है.

रक्तप्रवाह के दौरान ट्रांसफरिन नामक प्रोटीन खुद को इस मिनरल से जोड़ लेता है और आयरन को लिवर तक पहुंचाता है. इस के बाद आयरन लिवर में इकट्ठा हो जाता है और फिर जब भी बोनमैरो (अस्थिमज्जा) में लाल रक्त कोशिकाओं के विकास की जरूरत महसूस होती है, तो यह लिवर से थोड़ीथोड़ी मात्रा में जारी होता है. लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी) अपना जीवनचक्र पूरा होने के बाद स्प्लीन में चली जाती हैं, जहां शरीर उन की रीसाइक्लिंग करता है.
एनीमिया किस को

शरीर में आयरन की कमी को एनीमिया कहते हैं और यह विशेषतौर पर भारतीय बच्चों में बहुत सामान्य होती है. यह बीमारी वयस्क लड़कियों और गर्भवती महिलाओं में बहुत नजरअंदाज की जाती है. इस के अलावा एनीमिया रोग निम्न लोगों में भी देखा जाता है-

  1. जिन महिलाओं को मासिकधर्म के दौरान भारी रक्तस्राव होता है.
  2. गर्भवती महिलाएं या शिशु को स्तनपान करा रही महिलाएं.
  3. बड़ी सर्जरी करा चुके व्यक्ति.
  4. गैस्ट्रोइंटैस्टिनल बीमारी से पीडि़त व्यक्ति क्योंकि लिवर में आयरन का स्टोरेज होता है.
  5. अल्सर की समस्या से जूझ रहे लोग क्योंकि इस का असर लिवर की गतिविधियों पर पड़ता है.
  6. बेरियाट्रिक सर्जरी करा चुके लोग.
  7. शाकाहारी व्यक्ति क्योंकि उन के भोजन में आयरन से भरपूर तत्त्वों की कमी होती है.
  8. अधिक मात्रा में दूध का सेवन करने वाले बच्चे.

एनीमिया के लक्षण

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