श्यामली 45 वर्ष की उम्र में भी काफी चुस्त थी. पूरे घर का काम, खाना बनाना, सफाई करना, कपड़े धोना, बाजार जा कर राशन लाना सब अकेले ही करती थी. कभी सिरदर्द की शिकायत उस को नहीं हुई. वजन भी काबू में था. जबकि उस की ही उम्र की उस की सहेलियां थुलथुल और बेडौल हो चुकी थीं. श्यामली और उस के पति आशीष ने कमरतोड़ मेहनत की और अपने दोनों बेटों को इंजीनियर बनाया. बेटों के इंजीनियर बन कर नौकरी में लगते ही उन के परिवार के रहनसहन में फर्क आ गया. जल्दी ही यह परिवार एक बड़े फ्लैट में शिफ्ट हो गया. स्टैंडर्ड हाई हुआ तो घर में 2 नौकर भी आ गए. बड़े बेटे की शादी हुई, बहु के आने के बाद तो श्यामली घर के काम से बिलकुल फ्री हो गई. पति और दोनों बेटों की मेहनत से घर में पैसे बरसने लगे. मगर श्यामली के स्वास्थ्य के लिए यह अमीरी मुसीबत बन गई.
दरअसल बिना काम के दिनभर बैठे रहने या सोते रहने के कारण उस का वजन बढ़ने लगा. पहले 57 किलो वजन वाली श्यामली जहां खूब चुस्तदुरुस्त थी, दौड़दौड़ के काम करती थी, बीते 10 सालों में उस का वजन बढ़ कर 70 किलोग्राम हो गया. इस बढ़े वजन ने न सिर्फ उस की खूबसूरती हर ली बल्कि डबल चिन, डबल कमर और मोटेमोटे हाथपैरों को देख कर उस में हीनभावना आने लगी. हर कपड़ा बदन पर कसने लगा. श्यामली की बहू ने उस को सलाह दी कि वह फिटनैस के लिए पास की जिम जौइन कर ले. उस ने कहा, ‘वहां हलकेफुलके व्यायाम आदि से बौडी शेप में आ जाएगी और आप हलका महसूस करेंगी.’