कुछ सालों पहले 20-22 साल की लड़की के गालब्लैडर का औपरेशन हुआ था. उस के कुछ ही दिनों बाद उस के पेट में दर्द हुआ तो वह एक अस्पताल में सर्जरी विभाग में पहुंची. उस के गालब्लैडर का औपरेशन करने वाले डाक्टरों ने जांच की पर उन को दर्द की कोई वजह समझ नहीं आई. लड़की को महिला रोग विभाग भेजा गया. लड़की कुंआरी थी. डाक्टरों को जांच में पेट में सूजन का एहसास हो रहा था. लड़की से जब सैक्स करने के बारे में पूछा गया तो उस ने साफ इनकार कर दिया. डाक्टर ने जब एकदो टैस्ट किए तो मामला साफ हो गया कि उस लड़की ने असुरक्षित सैक्स किया था और परिणामस्वरूप गर्भ बच्चेदानी में ठहरने के बजाय अंडवाहिनी यानी फेलोपियन ट्यूब में ठहर गया था. गर्भ के बढ़ने से फेलोपियन ट्यूब फूल रही थी जिस की वजह से लड़की के पेट में दर्द हो रहा था. उस दौरान फेलोपियन ट्यूब को फटने से बचाने के लिए डाक्टरों को उस का औपरेशन करना पड़ा.

इस मामले में लखनऊ स्थित किंग जौर्ज मैडिकल कालेज के, महिला रोग विभाग की प्रोफैसर अमिता पांडेय से विस्तार से बातचीत हुई. पेश हैं उस के खास अंश: 

 

जब गर्भ बच्चेदानी में ठहरने के बजाय अंडवाहिनी यानी फेलोपियन में ठहर जाए तो क्या होता है?

सामान्य रूप में गर्भ हमेशा बच्चेदानी में ठहरता है. यहीं भ्रूण का विकास होता है. भ्रूण का विकास जब गर्भाशय के बजाय बाहर की अंडवाहिनी यानी फेलोपियन ट्यूब में होने लगता है तो इस को एक्टोपिक प्रैग्नैंसी कहा जाता है.  जैसेजैसे भ्रूण का आकार बढ़ता जाता है, फेलोपियन ट्यूब की हालत खराब होने लगती है. एक समय वह फटने की हालत तक पहुंच जाती है जो महिला के लिए जानलेवा हो सकती है. 2 प्रतिशत मामलों में एक्टोपिक प्रैग्नैंसी का खतरा बना रहता है.

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