हर दिन इस्तेमाल की जाने वाली मिर्च की खेती बरसात में जुलाई से अक्तूबर तक, सर्दी में सितंबर से जनवरी तक और जायद मौसम में फरवरी से जून तक की जाती है. मिर्च को सुखा कर बेचने के लिए सर्दी के मौसम की मिर्च का इस्तेमाल होता?है. मिर्च की खासीयत यह है कि यदि पौध अवस्था में ही इस की देखभाल ठीक से कर ली जाए तो अच्छा उत्पादन मिलने में कोई शंका नहीं होती है. भरपूर सिंचाई समयानुसार करने से ज्यादा फायदा लिया जा सकता है. टपक सिंचाई अपनाने से मिर्च की फसल से दोगुनी उपज हासिल की जा सकती है. टपक सिंचाई से 50-60 फीसदी जल की बचत होती है और खरपतवार से नजात मिल जाती है.
मिर्च की नर्सरी ऐसे लगाएं
पौधशाला, रोपणी या नर्सरी एक ऐसी जगह?है, जहां पर बीज या पौधे के अन्य भागों से नए पौधों को तैयार करने के लिए सही इंतजाम किया जाता है. पौधशाला का क्षेत्र सीमित होने के कारण देखभाल करना आसान व सस्ता होता है.
पौधशाला के लिए जगह का चुनाव
* पौधशाला के पास बहुत बड़े पेड़ न हों.
* जमीन उपजाऊ, दोमट, खरपतवार रहित व अच्छे जल निकास वाली हो, अम्लीय क्षारीय जमीन का चयन न करें.
* पौधशाला में लंबे समय तक धूप रहती हो.
* पौधशाला के पास सिंचाई की सुविधा मौजूद हो.
* चुना हुआ क्षेत्र ऊंचा हो ताकि पानी न ठहरे.
* एक फसल के पौध लगाने के बाद दूसरी बार पौध उगाने की जगह बदल दें यानी फसलचक्र अपनाएं.
क्यारियों की तैयारी व उपचार
पौधशाला की मिट्टी की एक बार गहरी जुताई करें या फिर फावड़े की मदद से खुदाई करें. खुदाई करने के बाद ढेले फोड़ कर गुड़ाई कर के मिट्टी को?भुरभुरी बना लें और उगे हुए सभी खरपतवार निकाल दें. फिर सही आकार की क्यारियां बनाएं. इन क्यारियों में प्रति वर्गमीटर की दर से 2 किलोग्राम गोबर या कंपोस्ट की सड़ी खाद या फिर 500 ग्राम केंचुए की खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं. यदि मिट्टी कुछ भारी हो तो प्रति वर्गमीटर 2 से 5 किलोग्राम रेत मिलाएं.