इस मशीनीकरण के युग से खेती भी अछूती नहीं रही है, लेकिन मशीनों की ऊंची कीमतों की वजह से आम किसान उन्हें खरीद नहीं पाते है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, सब मिशन आन आयल सीड एंड आयलपाम व सब मिशन आन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन के तहत किसानों को वित्तीय वर्ष 2016-17 में अनुदान दिए जाने की योजना है ताकि किसान मशीनों को खरीद कर खेती में उन का इस्तेमाल कर के ज्यादा आमदनी ले सकें.
मल्टी क्राप थ्रेसर
फसलों की गहाई में थ्रेसर का काफी योगदान है. गहाई मशीनों से समय पर गहाई कर के पैदावार के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सका है. मशीनों से गहाई का काम बहुत आसान हो गया है. महीनों तक चलने वाला गहाई का काम अब कुछ दिनों में ही पूरा हो जाता है. आजकल मल्टी क्राप हार्वेस्टिंग मशीन बाजार में आ चुकी है, जिस से विभिन्न फसलों जैसे सोयाबीन, मक्का, ज्वार, बाजरा, सरसों, अलसी, मूंग, चना व उड़द आदि की गहाई तेजी से की जा सकती है. आईएसआई प्रमाणित थ्रेसर पर ही अनुदान दिया जाता है.
देखभाल
* गहाई के बाद गहाई मशीन को खाली चलाएं जिस से मशीन के अंदर से अनाज के दाने, भूसा व डंठल आदि बाहर निकल जाएं.
* गहाई मशीन को शक्ति स्रोत से अलग कर लें और चलनियों से सारा भूसा, डंठल व अनाज आदि अलग कर लें.
* गहाई मशीन में जहां से हवा खींची या फेंकी जाती है, उसे साफ कर लें.
* रबर के सभी पार्ट्स जैसे पट्टे वगैरह निकाल कर सुरक्षित जगह पर रखें.
* मशीन को साफ व सूखी जगह पर रखें और धूल व जंग से बचाने के लिए कवर से ढकें.
सावधानियां
* थ्रेसर के इस्तेमाल के समय अपने कपड़ों का खयाल रखें. कई बार इन की वजह से दुर्घटना हो जाती है.
* फसल निकलते समय थ्रेसर के राउंड फसल के मुताबिक सेट करें.
* इस्तेमाल के समय थ्रेसर और टैक्टर के पीटीओ (जाइंट) से दूर रहें.
अनुदान
* राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत मूल्य का 50 फीसदी या अधिकतम 40000 रुपए तक अनुदान देय है.
* सब मिशन आन आयल सीड एंड आयल पाम व सब मिशन आन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन योजना के तहत एससी, एसटी, लघु, सीमांत व महिला किसानों के लिए मूल्य का 50 फीसदी या अधिकतम 63000 रुपए का अनुदन देय होगा. अन्य किसानों के लिए 40 फीसदी या अधिकतम 50000 रुपए अनुदान देय है.
बीज व उर्वरक ड्रिल
(ट्रैक्टर चालित)
यह एक बहुत ही कारगर मशीन है, जो किसानों के लिए खेती में मददगार साबित हो रही है. इस से विभिन्न फसलों के बीज व खाद को एकसाथ खेत में डाल कर बोआई कर सकते हैं.
इस मशीन में मुख्य रूप से बीज बाक्स, खाद बाक्स, बीज नियंत्रित प्रणाली, खाद नियंत्रित प्रणाली, बीज नली, खूंड ओपनर व ट्रांसपोर्ट व्हील वगैरह होते हैं. सीड ड्रिल में एक अक्ष होता है, जो फ्लूटेड रोलर को चलाता है और यह सीड बाक्स के नीचे होता है. फ्लूटेड रोलर बीजों को बाक्स से लेता है और बीजनली में डाल देता है. चूंकि बीजनली खूंड ओपनर से जुड़ी होती है, इसलिए बीज सीधे खूंड ओपनर से होते हुए खूंड में गिर जाते हैं. यह मशीन भारत के उत्तर भाग में बहुत प्रचलित है.
देखभाल
* बक्से में खाद व बीज भरते समय खाद कम या ज्यादा करने वाली पत्ती के नीचे वाली पत्ती बंद होनी चाहिए और चलते समय केवल इस पत्ती को ही खोलना चाहिए.
* ज्यादा समय तक बक्से में खाद नहीं रखनी चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि उस में रखी हुई खाद में नमी न आए और खाद का छिड़काव ठीक
ढंग से हो सके.
* उर्वरक को बक्से में भरते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि खाद में ढेले न हों.
* चलाते समय खाद बाक्स का ढक्कन बंद ही रखना चाहिए और साधारण गति से ही चलाना चाहिए जो कि तकरीबन 3-5 किलोमीटर प्रति घंटा होती है.
* हैंडल को आम गति से ही घुमाना चाहिए (30-40 चक्कर प्रति मिनट), क्योंकि हैंडल के चक्र कम या ज्यादा होने से खाद के एकसार छिड़काव पर असर पड़ता है.
* खाद छिड़कने के बाद यंत्र को अच्छी तरह से साफ कर के रखना चाहिए और बक्से में खाद नहीं होनी चाहिए.
* खाद के बक्से में घूमने वाले पट पर आने वाले उर्वरक की दर का नियंत्रण फीड पट या पट्टी की सहायता से किया जाता है, इसलिए सही दर हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि हर मशीन में इसे कम या ज्यादा करने का सिस्टम हो.
* ट्रैक्टर आगे चलने की गति व मशीन की आगे चलने की गति भी खाद छिड़काव की दर को प्रभावित करती है. अगर ट्रैक्टर की गति ज्यादा होगी, तो एक सेटिंग पर मशीन द्वारा प्रति हेक्टेयर कम खाद पड़ती है. इस के विपरीत यदि ट्रैक्टर की गति कम होगी, तो पट की पूर्व गति व बक्से से आने वाली खाद की दर वही रहने पर भी खेत में अधिक उर्वरक छिड़का जा सकता है.
सावधानियां
* बीज व खाद के बक्सों, खाद वाली शाफ्ट और खाद मापने वाली पत्ती को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए.
* बीज व खाद वाले शाफ्टों का फ्री घुमाव देख लेना चाहिए. सभी चलने वाले भागों में ग्रीस व तेल डाल देना चाहिए.
* प्लास्टिक की नालियां लगाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि नाली में ज्यादा मोड़ न आने पाए वरना बीज व खाद रुक जाते हैं.
* मशीन के फाल, फसल के मुताबिक सही दूरी पर लगा देने चाहिए. इस के लिए फालों में लोहे के क्लैंप लगे होते हैं, जिन को खिसका कर फालों की दूरी को कम या ज्यादा किया जा सकता है.
* अच्छे अंकुरण के लिए बीज व
खाद को सही नमी में ठीक अंतर व गहराई पर डालना जरूरी है. फालों की गहराई फसल के मुताबिक कम या ज्यादा की जा सकती है.
* खाद व बीज की मात्रा कम या ज्यादा करने वाले लीवर को आसानी से चलना चाहिए. सही खाद व बीज की मात्रा पर सेट करने के बाद इस के नट कस लेने चाहिए ताकि बोआई के समय बीज व खाद सारे खेत में एक तरह से पड़ सकें.
अनुदान
* राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत मूल्य का 50 फीसदी या अधिकतम 15000 रुपए तक अनुदान देय है.
* सब मिशन आन आयल सीड एंड आयल पाम व सब मिशन आन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन योजना के तहत एससी, एसटी, लघु, सीमांत व महिला किसानों के लिए मूल्य का 50 फीसदी या अधिकतम 19000 रुपए का अनुदान देय होगा.
अन्य यानी साधारण वर्ग के किसानों के लिए 40 फीसदी या अधिकतम 15000 रुपए अनुदान देय है.
रीपर ट्रैक्टर चालित (35 हार्स पावर से ज्यादा)
यह मशीन अनाज वाली फसलों को काटने के काम आती है. यह जमीन से 5-8 सेंटीमीटर ऊपर तक की कटाई करती है. इस में मुख्य भाग फ्रेम, कटरबार, चाकू, व्हील, बियरिंग वगैरह होते हैं. कटरबार हाई कार्बन स्टील का बना होता है. इसे ट्रैक्टर के द्वारा चलाते हैं. आजकल आधुनिक रीपर बाजार में आ गए हैं, जिन से समय व मजदूरी की बचत होती है.
देखभाल
* यदि रीपर से कटाई एक जैसी न हो रही हो, तो यह देखना चाहिए कि लेजर प्लेट कहीं से टूटी तो नहीं है और यदि ऐसा हो तो उसे बदल देना चाहिए.
* यंत्र को चलाने समय सभी नटबोल्ट अच्छी तरह से कसे होने चाहिए और दोनों कनवेयर बेल्ट और स्टार व्हील आसानी के साथ बिना रुकावट के चलने चाहिए.
सावधानियां
* यंत्र के सभी घूमने वाले भागों में अच्छी प्रकार से ग्रीस या तेल डालते रहना चाहिए.
* छूरों की धार को समयसमय पर तेज करते रहना चाहिए.
* खेत में काम खत्म होने के बाद कटरबार की सफाई करना बेहद जरूरी है.
* रीपर का इस्तेमाल उन्हीं फसलों की कटाई के लिए किया जाता है, जिन के बीच में कोई दूसरी फसल न बोई गई हो.
* यंत्र के काम करते समय इस के पास किसी भी व्यक्ति को नहीं होना चाहिए, वरना उस के कपड़े मशीन में फंस सकते हैं और दुर्घटना हो सकती है.
अनुदान
* सब मिशन आन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन योजना के तहत एससी, एसटी, लघु, सीमांत व महिला किसानों के लिए मूल्य का 50 फीसदी या अधिकतम 30000 रुपए का अनुदान देय होगा. अन्य किसानों के लिए 40 फीसदी या अधिकतम 24000 रुपए अनुदान देय है.
स्प्रिंग टाइन कल्टीवेटर
ये देशी हल की तरह जमीन को कुरेदने वाले यंत्र होते हैं, मगर उतने ही वक्त में देशी हल के मुकाबले 3-4 गुना ज्यादा काम कर सकते हैं, क्योंकि इन में कई फाल होते हैं. इन फालों का आकार जरूरत के हिसाब से बदल दिया जाता है. इन का इस्तेमाल ज्यादातर हलों से जुताई के बाद मिट्टी को भुरभुरी करने, ढेलों को तोड़ने और ठूंठ आदि से मिट्टी, अलग करने के लिए किया जाता है. इस से बीज खेत में बिखेर कर मिट्टी में मिलाए जा सकते हैं. लाइनों में बोई गई फसलों में सही फासला होने पर इसे लाइनों के बीच में निराईगुड़ाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इस की चौड़ाई को कम या ज्यादा कर के विभिन्न अंतर पर बोई गई फसलों में इस्तेमाल किया जा सकता है. 3-4 इंच गहरी जुताई की जा सकती है. इस में जुताई को ज्यादा या कम गहरा करने का इंतजाम होता है, जोकि ट्रैक्टर के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है.
देखभाल
आमतौर पर सभी नटबोल्टों की जांच करते रहना चाहिए, ताकि वे हमेशा टाइट और फिट रहें. सब से बढि़या तरीका यह है कि रोजाना काम शुरू करने से पहले इन की जांच कर लें.
* फालों के घिस जाने पर उन्हें पलट देना चाहिए या फिर नए फाल लगाने चाहिए.
* रोजाना काम खत्म करने के बाद यंत्र के सही भंडारण के लिए उस की पालिश की गई सतहों पर ग्रीस लगाना चाहिए, जिस से कि यंत्र में जंग न लगने पाए.
* आपरेटर को मशीन के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि वह टूटे या घिसे हुए भागों को काम शुरू करने से पहले ठीक कर लें.
सावधानियां
* बोआई करते समय फालों के बीच की दूरी तय होनी चाहिए और फालों की गहराई भी बराबर होनी चाहिए.
* खेत की तैयारी करते समय लाइनों के बीच की दूरी इतनी ज्यादा नहीं होनी चाहिए, जिस से खेत बिना जुता हुआ रहे.
* खाद (उर्वरक) डालते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उर्वरक सूखा व भुरभुरा है या नहीं. यदि भुरभुरा न हो तो उसे सुखा देना चाहिए.
* उर्वरक डालने के लिए यंत्र में लगने वाले भाग में प्लास्टिक का इस्तेमाल करना चाहिए.
* यंत्र से निराईगुड़ाई करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि लाइनों में बोए हुए पौधे नष्ट न हों.
अनुदान
* सब मिशन आन आयल सीड एंड आयल पाम योजना के तहत एससी, एसटी, लघु, सीमांत व महिला किसानों के लिए मूल्य का 50 फीसदी या अधिकतम 10000 रुपए का अनुदान देय होगा. अन्य किसानों के लिए 40 फीसदी या अधिकतम 8000 रुपए अनुदान देय है.
* सब मिशन आन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना के तहत एससी, एसटी, लघु, सीमांत व महिला किसानों के लिए मूल्य का 50 फीसदी या अधिकतम 15000 रुपए का अनुदान देय होगा. अन्य किसानों के लिए 40 फीसदी या अधिकतम 12000 रुपए अनुदान देय है.
रोटावेटर
(35 हार्स पावर तक)
रोटवेटर मशीन के इस्तेमाल से खेत की मिट्टी को अच्छी तरह तैयार किया जाता है. यह मशीन बोआई के लिए खेत की जमीन को कम समय में तैयार करती है. यह मशीन पिछली फसल कटने के बाद जो अवशेष खेत में रह जाते हैं, उन्हें जड़ से खोद कर अच्छी तरह से मिट्टी में मिला देती है.
देखभाल
* यदि रोटावेटर के ब्लेड घिस गए हों, तो उन्हें बदल देना चाहिए. रोटावेटर को हमेशा ट्रैक्टर की कम स्पीड पर चलाना चाहिए, ताकि मिट्टी ठीक से भुरभुरी हो जाए.
* रोटावेटर के बगल में लगे हुए गहराई नियंत्रक भाग को ठीक तरीके से सेट कर के ही इसे चलाना चाहिए.
* घिसे हुए रोटावेटर ब्लेड का हमेशा पूरा सेट बदलना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर रोटावेटर ब्लेड पर लगने वाले विभिन्न बलों का संतुलन बिगड़ सकता है, जिस के कारण ट्रैक्टर को ज्यादा कूवत से काम करना पड़ता है, नतीजतन तेल की खपत बढ़ जाती है.
* गीयर बाक्स के तेल के स्तर की जांच समयसमय पर की जानी चाहिए.
* रोटावेटर को ट्रैक्टर के पीटीओ से जोड़ने वाली शाफ्ट में 1 सिअर बोल्ट लगा रहता है, जो ज्यादा लोड आने पर टूट जाता है. यह सिअर बोल्ट ट्रैक्टर की पीटीओ शाफ्ट की हिफाजत के लिए लगा रहता है.
* यदि यह सिअर बोल्ट ज्यादा लोड पर नहीं टूटता है, तो ट्रैक्टर के पीटीओ शाफ्ट के टूटने का खतरा रहता है. खेत में रोटावेटर ले जाते समय हमेशा 2-4 सिअर बोल्ट अलग से रखने चाहिए, ताकि उस के टूटने पर उसे आसानी से बदला जा सके.
सावधानियां
* खेत में रोटावेटर को चलाने से पहले उस के ब्लेडों को ठीक से कस लेना चाहिए.
* मिट्टी भुरभुरी बनाने के लिए खेत में बहुत ज्यादा नमी नहीं होनी चाहिए.
* रोटावेटर के गीयर बाक्स और साइड के पावर सिस्टम में निशान तक तेल भरा रहना चाहिए.
अनुदान
* राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत मूल्य का 50 फीसदी या अधिकतम 35000 रुपए तक अनुदान देय है.
* सब मिशन आन आयल सीड एंड आयल पाम व सब मिशन आन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन योजना के तहत एससी, एसटी, लघु, सीमांत व महिला किसानों के लिए मूल्य का 50 फीसदी या अधिकतम 44000 रुपए का अनुदान देय होगा. अन्य किसानों के लिए 40 फीसदी या अधिकतम 35000 रुपए अनुदान देय है.
अनुदान के लिए जरूरी प्रक्रिया और कागजात
* अधिकृत/पंजीकृत क्रयविक्रय सहकारी समिति, ग्राम सेवा सहकारी समिति या राज्य के किसी भी जिले के पंजीकृत निर्माता या विक्रेता से ही कृषि यंत्र खरीदने पर अनुदान देय होगा.
* यदि किसान के द्वारा खरीदे गए यंत्र की खरीद किसी अन्य जिले के पंजीकृत स्रोत से की गई है, तो किसान के द्वारा उस जिले के पंजीकृत आपूर्ति स्रोत का प्रमाण अनुदान क्लेम के साथ पेश करना होगा.
* किसान को अनुदान पाने के लिए अपने नजदीकी ई मित्र कियोस्को पर निर्धारित शुल्क (यदि है) जमा करवा कर अपने निर्धारित दस्तावेजों की फोटो काफी के साथ आनलाइन आवेदन करना अनिवार्य होगा. अनुदान के लिए आवेदन की पावती कियोस्को द्वारा किसान को दी जाएगी.
* किसान की स्वप्रमाणित पासपार्ट साइज फोटो.
* ट्रैक्टर का पंजीयन प्रमाणपत्र.
* स्वहस्ताक्षरित कृषि यंत्र के बिल की प्रति.
* आधारकार्ड/भामाशाह कार्ड की प्रति.
* अनुदानित यंत्र की खास जगह पर बड़े व साफ अक्षरों में ‘कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2016-17 में अनुदानित’ का अंकन पेंट द्वारा अनिवार्य रूप से किया जाना जरूरी है.
* अनुदान क्लेम विभाग के स्थानीय अधिकारियों के द्वारा प्रमाणित होना चाहिए.
* बचत खाते की पासबुक की स्वप्रमाणित फोटो काफी व अन्य जरूरी दस्तावेजों की काफी लगाना जरूरी है.
* उपनिदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद कार्यालय द्वारा प्राप्त आवेदनों को रजिस्टर में दर्ज कर के भौतिक सत्यापन के बाद किसान को बजट की मौजूदगी के मुताबिक वरीयता क्रम से अनुदान दिया जाएगा.
* ज्यादा जानकारी के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क करें.