Gen Z Special: घर से दूर रह रहे युवाओं को उनके माता-पिता पढ़ाई के लिए बाहर भेजते हैं ताकि वे काबिल और सफल बनकर लौटें। मगर इनमें से कुछ ऐसे कार्यों में लिप्त हो जाते हैं जो उनके भविष्य को गर्त में ले जाने के लिए काफी होते हैं।

आज की युवा पीढ़ी कहती है — “हम अपनी शर्तों पर जीना चाहते हैं। समय बहुत बदल गया है। हमारे माता-पिता हमें हर वक्त रोकते-टोकते हैं। क्या हम हमेशा उनके अनुसार जीवन जिएंगे? अब हम बालिग हैं, यह हमारी जिंदगी है, इसे हम जैसे चाहें वैसे जिएं।”

आज यह समस्या लगभग हर युवा की है कि वे पारिवारिक बंदिशों से कैसे छुटकारा पाएं। इसी कारण कई बार वे परिवार से विद्रोह भी कर बैठते हैं।

कॉलेज की अंतिम वर्ष की छात्रा निशा कहती है —

“आज की जनरेशन पुरानी बातों में यकीन नहीं रखती। हमारे माता-पिता समझते ही नहीं कि शादी ही जीवन का आखिरी विकल्प नहीं है। यदि हम अपने पार्टनर से खुश नहीं हैं तो तलाक ले सकते हैं — समझौता क्यों करें? आजकल डेटिंग ऐप्स उपलब्ध हैं, डेट करना बहुत नॉर्मल बात है। हम किसी अनजान व्यक्ति के साथ पूरी जिंदगी नहीं गुजार सकते, इसलिए एक-दूसरे को समझने के लिए डेट करते हैं। विचार न मिलें तो अपनी राहें अलग कर लेते हैं।”

पुनीत कहता है —

“मैं इस बात से सहमत हूं कि वक्त के साथ बदलना जरूरी है। लेकिन क्या हमारे बढ़ते कदम सार्थक हैं या हमें गर्त में धकेल रहे हैं? जिसे हम मौज-मस्ती और अपनी आजादी कह रहे हैं, क्या वह हमारे भविष्य की सही दिशा तय करेगी? हमारे पेरेंट्स हमें बार-बार टोकते हैं — यह मत करो, ऐसे मत रहो — जो हमें नागवार गुजरता है। आखिर वे समझते क्यों नहीं कि वक्त बदल गया है? हम उनके बनाए बंधनों में नहीं रहना चाहते। यही तो जनरेशन गैप है।”

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