समयसमय पर देखने में आया है कि फसलों में अनेक तरह के खरपतवार उग जाते हैं, जो फसल को पनपने नहीं देते. इस के अलावा अनेक तरह के कीट व रोगों का प्रकोप भी खेतों में होता है, जिन से उपज पर खासा असर होता है.

इन सब पर काबू पाने के लिए किसानों को कृषि रसायनों का इस्तेमाल करना पड़ता है या जैविक घोलों का छिड़काव करना होता है. वह भी एक सीमित मात्रा में करना होता है. यह काम हाथ से या अन्य किसी तरीके से संभव नहीं है. इस के लिए किसान को खेत में छिड़काव करने वाले यंत्र स्प्रेयर का इस्तेमाल करना पड़ता है.

आज अनेक प्रकार के स्प्रेयर बाजार में मौजूद?हैं. जैसे नैपसैक स्प्रेयर, रौकिंग स्प्रेयर, फुट स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, बैटरी स्प्रेयर, सोलर से चलने वाला स्प्रेयर, अल्ट्रा लो वौल्यूम स्प्रेयर और शक्तिचालित पावर स्प्रेयर, मिस्ट ब्लोअर स्प्रेयर जैसे नामों से मिलते हैं.

आमतौर पर यह उपकरण हाथ से, पैर से या ट्रैक्टर आदि से चलने वाले होते हैं. छोटे व मध्यम दर्जे के किसान ज्यादातर हाथ से चलने वाले स्प्रेयर को ही तवज्जुह देते हैं. क्योंकि उन की कीमत कम और रखरखाव भी बेहतर तरीके से किया जा सकता है.

शक्तिचालित स्प्रेयर यंत्र बड़े रकबे व बागबगीचों के लिए ठीक रहते हैं. दूसरी बात यह कि वह महंगे भी पड़ते हैं.

इसी तरह से कई बार सूखे पाउडर के रूप में दवाओं का खेत में भुरकाव किया जाता है. शुष्क पाउडर के भुरकाव के लिए डस्टर जैसे यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है.

मौजूदा समय में छोटे स्प्रे पंप से ले कर बड़े टंकीनुमा स्प्रेयर भी बाजार में मौजूद?हैं. पौधों में कीड़ेमकोड़ों और रोगों की रोकथाम के लिए छोटे?स्प्रेयर यंत्र की जरूरत होती है, जबकि खरपतवारों की रोकथाम के लिए बड़े स्प्रे यंत्र की जरूरत होती?है. कुछ छोटे?स्प्रेयर हैं, जिन का इस्तेमाल करना आज किसानों के लिए बहुत ही आसान है.

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