खरीफ फसलों में धान की खेती खास माने रखती है. देश के अनेक हिस्सों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल वगैरह में काफी मात्रा में धान की खेती की जाती है.

धान की फसल से बेहतर पैदावार लेने के लिए अच्छी प्रजाति के बीज के साथ ही जल प्रबंधन का भी खास ध्यान रखना होता है. इस के अलावा फसल में लगने वाली कीट बीमारी से बचाना भी बहुत जरूरी है. यहां इसी विषय पर खास जानकारी दी जा रही है.

सिंचाई से पहले के हालात

  1. 1.दीमक

दीमक के श्रमिक ही हानिकारक होते हैं. ये जड़ और तने को खा कर नष्ट करते हैं. प्रकोपित सूखे पौधे को आसानी से उखाड़ा जा सकता है. उखाड़ने पर पौधों के साथ मिट्टी और गंदले सफेद पंखहीन, 6-8 मिमी लंबे श्रमिक दीमक दिखाई देते हैं.

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2.प्रबंधन

* दीमक से प्रभावित क्षेत्र में कच्चे गोबर की खाद का प्रयोग न करें.

* फसलों के अवशेष को नष्ट करें.

प्रकोप होने पर

* सिंचाई के साथ क्लोरोपायरीफास  20 ईसी 4-5 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें.

3.पत्ती लपेटक कीट

इस की सूंड़ी हानिकारक होती है. इन सूंडि़यों का शरीर पीले हरे रंग का और गहरे भूरे रंग के सिर वाली 2-2.5 सैंटीमीटर लंबी होती हैं. ये पत्तियों के दोनों सिरों को जोड़ कर नाली जैसी संरचना बना देती हैं और उसी के अंदर रह कर हरे भाग को खुरच कर खाती रहती हैं. इस के कारण सफेद रंग की पारदर्शी धारियां बन जाती हैं. एक सूंड़ी अपने जीवनकाल में कई पत्तियों को नुकसान पहुंचाती है.

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