तैला या जैसिड : इस के बच्चे व जवान दोनों कीड़े हरे रंग के व छोटे आकार के होते हैं. ये पत्तियों का रस चूसते हैं, जिस से पत्तियां किनारों से ऊपर की तरफ मुड़ जाती हैं. पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है और बाद में वे सूख जाती हैं.
रोकथाम
* कीटनाशी थायोमिथाक्सोम 25 डब्ल्यूपी 100 जी या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 125 मिलीलीटर या डायमेथोएट की 1 लीटर मात्रा का 500-600 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.
सफेद मक्खी : इस मक्खी का प्रकोप बरसात की फसल में ज्यादा होता है. इस के बच्चे और जवान दोनों सफेद रंग के होते हैं. ये कीड़े पत्ती में मोड़क बीमारी फैलाते हैं.
रोकथाम
* पीले रंग के कार्ड खेत में कई जगह लगाएं.
* नीम का तेल 5 फीसदी (5 मिलीलीटर प्रति लीटर) या 5 किलोग्राम नीम की खली प्रति एकड़ डालें.
* इमिडाक्लोप्रिड 05 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी के हिसाब से मिला कर 8-10 दिनों के अंतर पर छिड़काव करें.
फलीबेधक व तनाभेदक कीड़ा : यह कीड़ा फलियों में छेद कर के बीजों को नुकसान पहुंचाता है. फली खाने लायक नहीं रहती है. यह कीड़ा पौधे की आखिरी शिरा में छेद कर देता है, जिस से पौधे का ऊपरी हिस्सा मुरझा जाता है.
रोकथाम
* कीड़ा लगी शाखा व फल को तोड़ कर हटा दें.
* प्रकाश प्रपंच व फिरोमोन जाल की व्यवस्था करें.
* फसल की शुरू से निगरानी रखें. जैसे ही पौधे पर कीड़े का हमला दिखाई दे तो ट्राइकोकार्ड (ट्राइकोग्राम किलोनिस) नामक परजीवी कीट के 1,00,000 अंडे/प्यूपा प्रति हेक्टेयर की दर से 5-6 बार 15 दिनों के अंतर पर फसल पर छोड़ने चाहिए. ज्यादा प्रकोप होने पर कीटनाशक लैम्डा सायहेलोथ्रिन 5 ईसी की 800 मिलीलीटर मात्रा या फेंथोएट 50 ईसी की 1 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें.
जड़ सड़न या डेंपिंग आफ : इस बीमारी में पौधा शुरुआत में ही जमीन के पास से सड़ जाता और गिर कर सूख जाता है. बारिश के मौसम में ज्यादा बुरा असर होता है.
रोकथाम
* बीजों को बोआई से पहले बाविस्टीन या थीरम से उपचारित करें.
* फफूंदनाशक से जमीन को भी उपचारित करना चाहिए.
पीला विषाणु रोग : इस बीमारी में पौधे की पत्तियों की नसें पीली पड़ जाती हैं. बाद में पूरी पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और सिकुड़ जाती हैं. यह बीमारी सफेद मक्खी द्वारा फैलाई जाती है.
रोकथाम
* खेत के पास लगे बीमार पौधों को उखाड़ कर दबा दें. * सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए मेलाथियान 50 ईसी की 1.5 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में मिला कर 800 लीटर घोल का प्रति हेक्टेयर की दर से 15 दिनों के अंतर पर छिड़काव करें. * इमिडाक्लोप्रिड 05 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. * रोग के लक्षण दिखते ही फौरन दवा का छिड़काव करें व बीमार पौधों को खेत से निकाल कर जला दें या कहीं दबा दें.