लेखक- डा. राकेश सिंह सेंगर प्रोफैसर,

एक कहावत तो हम सब ने सुनी ही है कि आम के आम और गुठलियों के दाम. यह बात अरहर की फसल पर भी लागू होती है, क्योंकि इस की फसल से भी आप दूसरे कई फायदे ले सकते हैं. जैसे कि आप चाहें तो इस की हरी पत्तियों से टोकरी बना सकते हैं. इस के अलावा इस की हरी फलियां सब्जी के लिए, खली चूरी पशुओं के लिए रातब, हरी पत्ती चारा और तना ईंधन, झोंपड़ी बनाने के काम में लाया जाता है. इस के पौधों पर लाख के कीट का पालन कर के लाख भी बनाई जाती है. इस में मांस की तुलना में प्रोटीन भी ज्यादा 21-26 फीसदी पाया जाता है. अरहर की दाल खाने से कैल्शियम और फोलिक एसिड भी भरपूर मिलता है, जो हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत तो बनाता ही है, साथ ही साथ दिमाग की हड्डियों को मजबूत और सेहतमंद बनाता है. इस का इस्तेमाल बच्चों को जरूर करना चाहिए,

क्योंकि दाल में वे सभी पोषक तत्त्व होते हैं, जिन की हमारे शरीर को जरूरत होती है. उपयुक्त जलवायु अरहर नम व शुष्क जलवायु का पौधा है. इस की वानस्पतिक वृद्धि व बढ़वार के लिए नम जलवायु की जरूरत होती है. अरहर के पौधे में फूल, कली व दाने बनते समय शुष्क जलवायु की जरूरत होती है. 75 से 100 सैंटीमीटर वर्षा वाले स्थानों में अरहर की खेती कामयाबी के साथ की जा सकती है. किसान अरहर की खेती भारी वर्षा वाले स्थानों में बिलकुल न करें. भूमि का चुनाव खेती करने से पहले आप अपनी मिट्टी की जांच करा लें. मिट्टी की जांच करने के बाद आप को पता चल जाएगा कि मिट्टी खेती के लिए सही है या नहीं. इस से आप को आगे होने वाली समस्या का सामना करने से बचाव मिल जाएगा.

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