बरसात का कहर और धमाचौकड़ी थमने के बाद सितंबर महीने का आगाज होता है. खेतीकिसानी के लिहाज से यह खासा खुशगवार महीना होता है. बारिश के चहबच्चों से राहत पा कर किसान सुकून के आलम में दोगुने जोश से काम करते हैं. खेतीबारी के लिहाज से सितंबर महीने का भी अच्छाखासा वजूद होता है. गन्ने व चावल की अहम फसलों के बीच सितंबर में आलू की बुनियाद भी डाली जाती है. इस माह मटर व टमाटर का भी जलवा रहता है.
आइए गौर करते हैं सितंबर महीने में होने वाली खेतीकिसानी संबंधी गतिविधियों पर :
* यों तो सितंबर तक बरसात का जोश हलका पड़ जाता है, पर थोड़ीबहुत बारिश गन्ने की सिंचाई के लिहाज से ठीक रहती है. अगर बारिश न हो तो गन्ने की सिंचाई का खयाल रखें.
* अगर ज्यादा पानी बरस जाए और खेतों में पानी भर जाए, तो उसे निकालना बेहद जरूरी है, वरना गन्ने की फसल पर बुरा असर पड़ेगा.
* इस बीच गन्ने के पौधे खासे बड़े हो जाते हैं, लिहाजा उन का ज्यादा खयाल रखना पड़ता है. ये मध्यम आकार के पौधे तीखी हवाओं को बरदाश्त नहीं कर पाते, इसलिए उन्हें गिरने से बचाने का इंतजाम करना चाहिए. पौधों की अच्छी तरह बंधाई करने से वे सही रहते हैं.
* सितंबर के दौरान गन्ने के तमाम पौधों को चेक करें और बीमारी की चपेट में आए पौधों को जड़ से उखाड़ दें. इन बीमार पौधों को या तो जमीन में गहरा गड्ढा खोद कर गाड़ दें या फिर उन्हें जला कर नष्ट कर दें.
* धान के खेतों की जांच करें और पानी न बरसने की हालत में जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें.