लेखक-आरएस सैंगर
आमतौर पर हम गन्ने और खजूर के रस से बने गुड़ के बारे में ही जानते हैं, लेकिन कर्नाटक के इस किसान द्वारा किए गए प्रयोग के बाद अब बाजार में तरबूज के रस से बना गुड़ मिले, तो आप को ताज्जुब नहीं करना चाहिए. कर्नाटक के शिवमोगा जिले के रहने वाले किसान जयराम नगैय्या शेट्टी पहले मुंबई में होटल चलाया करते थे. लौकडाउन के दौरान वे अपने घर लौटे और होटल के कर्मचारियों के साथ मिल कर तरबूज की खेती करने लगे. इस बार उन्होंने उस रस से गुड़ बनाया है. उन के इस प्रयोग से इलाके के किसान काफी प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने 3 एकड़ जमीन पर तरबूज की खेती की थी.
लेकिन उचित दाम नहीं मिलने के कारण वे इसे बेच नहीं रहे थे. उन्होंने सोचा कि पैदावार को नष्ट करने के बजाय कुछ अलग आजमाना चाहिए. यहीं से प्रेरणा ले कर उन्होंने तरबूज के रस से गुड़ का उत्पादन कर दिया. उन के पास इस समय 200 किलोग्राम गुड़ है, जिसे वे लोगों में मुफ्त में बांट रहे हैं. कम भाव मिल रहा था, इसलिए बना डाला गुड़ एक अखबार की खबर के मुताबिक, जयराम नगैय्या शेट्टी ने बताया कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लौकडाउन के बाद उन्होंने अपना होटल बंद कर दिया. खाली समय में उन्होंने तरबूज की खेती करने की सोची.
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3 एकड़ में तरबूज लगाया. फसल तैयार होने के बाद बाजार में इस की कीमत एक रुपए प्रति किलोग्राम मिल रही थी, जबकि पिछले साल कीमत 4 रुपए थी. वे कहते हैं कि उन्होंने तय किया कि वे तरबूज को नहीं बेचेंगे, क्योंकि इस बार खुद से मंडी ले जा कर बेचना पड़ता. एक तो कीमत कम मिल रही थी और ऊपर से ट्रांसपोर्ट का खर्चा अलग से. शिवमोगा जिले में केरल के व्यापारी आ कर तरबूज की खरीद करते थे. लेकिन लौकडाउन के कारण वे नहीं आए और किसानों के लिए यह परेशानी का सबब बन गया. उन्होंने बताया कि उन का 8 टन तरबूज सड़ जाता, इसलिए उन्होंने इस से गुड़ बनाने का निर्णय लिया. अपने होटल में वे पहले भी एक बार तरबूज के रस से गुड़ बना चुके थे.
लेकिन उन्हें इस बार बड़े पैमाने पर यह काम करना था और उन्हें इस में भी सफलता हाथ लगी. 100 लिटर रस में बन जाता है 8 किलोग्राम गुड़ मुंबई से अपने गृहनगर लौटने के बाद शेट्टी होटल के मुलाजिमों के साथ मिल कर तरबूज की खेती करने लगे थे. उन का भाई अभी भी मुंबई में होटल चला रहा है. उन्होंने बताया कि अपने मुलाजिमों के साथ मिल कर पहले तरबूज का रस निकाला और इसे मध्यम तापमान पर उबाला. कुछ समय बाद यह कर्नाटक के प्रसिद्ध गुड़ जोनी बेला की तरह बन गया.
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वे बताते हैं कि तरबूज के रस को 2 घंटे तक ही उबालना सही रहता है. इस से ज्यादा देर तक उबालने पर यह ताजगी खो देता है और कड़वा लगने लगता है. उन्होंने यह भी बताया कि 100 लिटर तरबूज के रस से 8 किलोग्राम गुड़ आसानी से बन जाता है. किसानों से अपील करते हुए वे कहते हैं कि उन्हें अपने उत्पादों से बाईप्रोडक्ट बनाना चाहिए, ताकि नुकसान से बचा जा सके.