सब से कम समय में फल देने वाला पौधा है, इसलिए कोई भी इसे लगाना पसंद करता है. पपीता न केवल आसानी से उगाया जाने वाला फल है, बल्कि जल्दी फायदा देने वाला फल भी है. यह पोषक तत्त्व से भरपूर और लोकप्रिय है. पपीता में कई पाचक एंजाइम भी पाए जाते हैं. इस के ताजे फलों का सेवन करने से लंबी कब्ज की बीमारी भी दूर की जा सकती है.

पपीते की उन्नत खेती के बारे में फार्म एन फूड की बात प्रो. रवि प्रकाश मौर्य, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया, उत्तर प्रदेश से हुई. उन्होंने बड़े ही सरल तरीके से पपीते की खेती करने के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पपीते की अच्छी खेती गरम नमीयुक्त जलवायु में की जा सकती है. इसे अधिकतम 38 डिगरी सैल्सियस से 44 डिगरी सैल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है. न्यूनतम तापमान 5 डिगरी सैल्सियस से कम नहीं होना चाहिए. लू और पाले से पपीते को नुकसान होता है. इन से बचने के लिए खेत के उत्तरी पश्चिम में हवारोधक पेड़ लगाने चाहिए. पाला पड़ने की आशंका हो, तो खेत में रात्रि के अंतिम पहर में धुआं कर के व सिंचाई भी करते रहना चाहिए.

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भूमि व रोपाई पपीते की अच्छी उपज लेने के लिए जमीन उपजाऊ हो और खेत को अच्छी तरह जोत कर समतल बनाना चाहिए और जिस में जल निकास अच्छा हो, भूमि का हलका ढाल हो, तो पपीते की खेती उत्तम होती है. गड्ढे तैयार करना मई महीने में 2 ङ्ग 2 मीटर की दूरी पर 50 सैंटीमीटर लंबा, 50 सैंटीमीटर चौड़ा और 50 सैंटीमीटर गहरा गड्ढा बनाना चाहिए व महीनेभर के लिए खुला छोड़ देना चाहिए, जिस से मिट्टी में जो नुकसानदायक कीट आदि हैं, वे मर जाएं. इन गड्ढों में एक महीने बाद तकरीबन 10 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद, एक किलोग्राम नीम की खली के हिसाब से हर गड्ढे में अच्छी तरह मिट्टी में मिला कर 15 सैंटीमीटर की ऊंचाई तक भर देना चाहिए. पपीते की उन्नत किस्में पपीते से अच्छी उपज मिले, इस के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए.

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