लेखक- वरुण कुमार, सौरभ वर्मा, एसके वर्मा

उत्तर प्रदेश में धान खरीफ की मुख्य फसल है. धान की अनेक प्रजातियां हालात के मुताबिक रिसर्च द्वारा विकसित की गई हैं. लेकिन खेती में बढ़ती हुई लागत चिंता की बात है. यही वजह है कि किसानों को ज्यादा फायदा नहीं मिल पा रहा है. बढ़ती हुई लागत को देखते हुए आज यह जरूरी हो गया है कि ऐसी तकनीकों का विकास और प्रचारप्रसार किया जाए, जिन से कृषि लागत में कमी आए और ज्यादा उत्पादन लिया जा सके. ऐसी कुछ तकनीकों का विकास भी किया गया है, जैसे धान की सीधी बोआई जीरो टिलर मशीन द्वारा, श्री पद्धति, पैडी ड्रम सीडर द्वारा बोआई, लीफ कलर चार्ट द्वारा नाइट्रोजन का इस्तेमाल आदि. धान की खेती में नर्सरी उगाना और हाथों से पौध की रोपाई करना किसानों के लिए हमेशा से समस्या और ज्यादा लागत की वजह रही है.

इन समस्याओं से नजात पाने, समय की बचत और फसल की लागत में कमी करने के लिए पैडी ड्रम सीडर से धान उत्पादन एक सही विकल्प के रूप में सामने आया है. इस में लेवयुक्त खेत में सीधी बोआई की जाती है, जिस से नर्सरी उगाने व रोपाई के खर्च में बचत होती है. पैडी ड्रम सीडर एक मानवचालित कृषि यंत्र है, जिस के माध्यम से अंकुरित धान के बीज की सीधी बोआई की जाती है. यह एक सरल, सस्ती और समय की बचत करने की बेहतरीन तकनीक है. इस का इस्तेमाल कर के किसान फायदा उठा सकते हैं, लेकिन इस के लिए खेत का बराबर होना व सिंचाई की सुविधा बहुत जरूरी है. ड्रम सीडर से बोआई के लाभ * कम लागत और ज्यादा उपज व प्रति हेक्टेयर कम मानव श्रम की जरूरत.

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