अच्छी फसल होने और उपज बढ़ने से ही किसानों की माली हालत सुधरती है और वे संपन्न होते हैं. अच्छी फसल के लिए अनुकूल मौसम और किसानों की मेहनत के साथ खेतों में खाद डालना भी जरूरी होता है. यही वजह है कि किसानों द्वारा रासायनिक खाद भारी मात्रा में खरीदी जाती है. किसानों की इसी मजबूरी का फायदा उठा कर खाद व्यापारी खाद की मनमानी कीमतें वसूलते हैं. पूर्वोत्तर राज्य असम में किसान अच्छी उपज की आशा में महंगे दामों पर खाद खरीद कर खेती तो करते हैं, मगर उन के उत्पाद की कीमत लागत से भी काफी कम मिलती है. ज्यादा कीमत पर खाद खरीद कर एक ओर तो किसान बेहाल हो रहे हैं, तो दूसरी ओर खाद विक्रेता किसानों से खाद का मनमाना दाम वसूल कर मालामाल हो रहे हैं. सूबे के बरपेटा शहर में रासायनिक खाद बेचने वाले व्यापारी 50 किलोग्राम यूरिया की कीमत किसानों से 5 सौ रुपए वसूलते हैं, जबकि सरकारी रेट 284 रुपए है. इसी प्रकार खाद व्यापारी 50 किलोग्राम डीएपी रासायनिक खाद किसानों को  2 हजार रुपए में बेच रहे हैं, जबकि इस का सरकारी रेट 12 सौ रुपए है. इसी तरह 50 किलोग्राम पोटाश का सरकारी रेट 240 रुपए है, लेकिन व्यापारी इसे किसानों को 280 रुपए में बेचते हैं. गौरतलब है कि बरपेटा में एक बहुत बड़ी सब्जी मंडी है, यहां के किसान अपनी तमाम सब्जियां इस मंडी में ला कर बेचते हैं. बरपेटा  और उस के आसपास के अंचलों के किसानों द्वारा पैदा की गई तमाम तरह की सब्जियां बरपेटा की सब्जी मंडी में बिकने आती हैं. इस के अलावा यहां की सब्जियां गुवाहाटी और उस के आसपास की सब्जी मंडियों में बेची जाती हैं. बरपेटा जिले की सब्जी मंडी में थोक भाव से सब्जी बेचने वाले बड़ेबड़े आढ़त हैं. बाजार में भारी मात्रा में सब्जी आने के कारण सब्जियों के रेट काफी कम हो जाते हैं. सब्जी दलालों की मनमानी भी मंडी का माहौल बिगाड़ देती है. हरी सब्जियों की खरीद का भाव मंडी में मौजूद सब्जी दलाल ही तय करते हैं. बाजार में इन दलालों का दबदबा रहता है. मजबूरन किसानों को अपने उत्पाद बेहद कम दामों पर इन दलालों को बेचने पड़ते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...