भारतीय घरों में बैगन का इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता  है, इसीलिए इस की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. बैगन की फसल अकसर कीड़ों व रोगों की चपेट में आती रहती  है, लिहाजा इस का खयाल रखना बेहद जरूरी  है.

खास कीट और रोकथाम

तना व फल छेदक : इस कीट की इल्ली अंडे से निकलने के बाद तने केऊपरी सिरे से तने में घुस जाती है. कीट के कारण तना मुरझा कर लटक जाता है व बाद में सूख जाता है. फल आने पर इल्लियां उन में छेद बना कर घुस जाती हैं और अंदर ही अंदर फल खाती हैं. उन के मल से फल सड़ जाते हैं. नियंत्रण के लिए रोग लगे फलों को तोड़ कर नष्ट करें. इल्लियों को इकट्ठा कर के नष्ट करें.

कीटों का हमला होते ही ट्राइजोफास 40 ईसी 750 मिलीलीटर या क्वीनालफास 25 ईसी 1.5 लीटर दवा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. फल वाली दशा में फल तोड़ने के बाद ही कीटनाशी का छिड़काव करना चाहिए.

जैसिड : ये कीड़े पत्तियों का रस चूसते हैं, जिस से पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ जाती हैं. बचाव के लिए खेत को खरपतवार मुक्त रखें ताकि कीटों के घर खत्म हो जाएं. शुरू की दशा में 5 मिलीलीटर नीम का तेल व 2 मिलीलीटर चिपचिपे पदार्थ का प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. खड़ी फसल में आक्सी मिथाइल डिमेटान मेटासिस्टाक्स या डायमेथोऐट रोगर की 1.5 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.

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