वैशाली जिले का एक छोटा सा गांव है चकवारा, जो गंडक नदी के तट पर बसा है. इस गांव में करीब 100 से ज्यादा परिवार रहते?हैं. इन में महज 2 लोग ही नौकरी करते हैं, बाकी की जीविका सब्जियों की खेती पर टिकी है. खेती की बदौलत ही इस गांव के 99 फीसदी मकान पक्के हैं. यहां के युवाओं में खेती की ललक आज भी देखी जा सकती है. चकवारा गांव निवासी संजीव कुमार एक प्रगतिशील किसान हैं. उन्होंने इंटर तक शिक्षा ग्रहण की. इस के बाद वे अपनी लगन व मेहनत के बल पर जल्द तैयार होने वाली फूलगोभी हाजीपुर अगात के बीज का उत्पादन कर रहे हैं. यह किस्म सामान्य फूलगोभी के मुकाबले पहले तैयार हो जाती है. जहां पर सामान्य गोभी के पौधे में 60 से 65 दिनों में फूल आते हैं, वहीं हाजीपुर अगात में 40 से 45 दिनों में फूल आने लगते हैं. इस की खासीयत यह भी है कि इस के पौधे में धूपबारिश सहने की कूवत ज्यादा होती है. इस के फूल सफेद, ठोस व खुशबूदार होने के अलावा 3 से 4 दिनों तक ताजा बने रहते हैं.
संजीव कहते हैं कि उन के परिवार में पारंपरिक बीज से गोभी की खेती 4 पीढि़यों से की जा रही?है. वे 3 एकड़ में खेती कर के लाखों की आय हासिल कर रहे हैं. अगात गोभी के बीज की खेती विभिन्न प्रकार की जमीनों में की जा सकती है. मगर गहरी दोमट मिट्टी जिस में सही मात्रा में जैविक खाद हो, इस के लिए अच्छी होती है. हलकी रचना वाली मिट्टी में सही मात्रा में खाद डाल कर इस की खेती की जा सकती है. जिस मिट्टी का पीएच मान 5.5-6.5 के मध्य हो वह फूलगोभी के लिए अच्छी मानी गई?है. संजीव का कहना है कि पहले खेत को पलेवा करें. जब जमीन जुताई लायक हो जाए, तब उस की जुताई 2 बार मिट्टी पलटने वाले हल से करें. इस के बाद 2 बार कल्टीवेटर चलाएं और हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं.
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हाजीपुर अगात वर्ग की किस्मों में सितंबर व मध्य अक्तूबर तक फूल आते हैं. उस दौरान तापमान 20-25 डिगरी सेल्सियस तक होता है. इस की बोआई मध्य जून तक व रोपाई जुलाई के पहले हफ्ते तक कर देनी चाहिए. अच्छी उपज के लिए खेत में सही मात्रा में खाद डालना बेहद जरूरी है. इस के लिए गोबर की अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद और आर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करें. संजीव अपने बीज के नमूने विदेशों में भी भेजते हैं. उन्होंने गोभी के बीज को नार्वे, स्वीडन, इथोपिया, ब्रिटिश उच्चायोग, हंगरी, जापान कसटर्नल आफ एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन, कनाडियन उच्चायोग, हालैंड और कोरियाल ट्रेड सेंटर को भेजा, जहां से उन्हें तारीफ मिली.
कोरिया की बीज कंपनी के प्रतिनिधियों ने हाजीपुरा में होने वाली फूलगोभी की खेती को देखने की इच्छा जाहिर की और वहां के किसानों को अपने यहां आने की दावत भी दी. संजीव का कहना है कि इस बीज को उन्होंने तैयार किया है.
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पुरस्कार व सम्मान
संजीव को इस काम के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान परिषद, वाराणसी द्वारा साल 2009 के राष्ट्रीय सब्जी किसान मेले व प्रदर्शनी में रजत पदक व प्रशस्तिपत्र दिया गया. साल 2010 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा उन्नत प्रौद्योगिकी व अन्य आधुनिक तकनीकों को अपना कर कृषि की उत्पादकता बढ़ाने व कृषि के व्यवसायीकरण के प्रोत्साहन में सराहनीय योगदान के लिए उन्हें प्रशस्तिपत्र दिया गया. साल 2013 में इसी संस्थान द्वारा आयोजित किसान मेले में उन्हें प्रगतिशील किसान की उपाधि से सम्मानित किया गया.
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साल 2011 में अमति सिंह मेमोरियल फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा उन्हें उद्यान रत्न पुरस्कार से नवाजा गया. साल 2012 में उन्हें इंडिया एग्रो पुरस्कार मिला. बिहार दिवस समारोह में साल 2012 में उन्हें कृषि क्षेत्र में कामयाबियों के लिए प्रशस्तिपत्र दिया गया. साल 2013 में उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा कृषि क्षेत्र का सर्वोत्तम पुरस्कार दिया गया.