डा. नागेंद्र कुमार त्रिपाठी, वैज्ञानिक, पशुपालन
विदेशी व संकर नस्ल की गायों को अपने देश में अलगअलग नस्ल की गाय पाली जाती हैं. इन गायों के दूध देने की क्षमता भी काफी अधिक है, परंतु पशुपालकों को विदेशी व संकर नस्ल की गायों की पहचान करना काफी टेढ़ी खीर साबित होता है, इसलिए यह जानना जरूरी है कि पशुपालक इन की पहचान कैसे करें.
प्रमुख देशी नस्लें साहिवाल
यह लंबे सिर, छोटे सींग, मध्यम आकार, लाल रंग, ढीले चमड़े व लंबे थनों वाली नस्ल है, जो प्रति ब्यांत (300 दिन) तकरीबन 1,900 लिटर दूध देने की क्षमता रखती है.
लाल सिंधी
यह गहरे लाल और भूरे रंग की मध्यम आकार की गाय है. लाल सिंधी गाय का सींग छोटा और कान काफी बड़ा होता है. इस नस्ल की गाय प्रति ब्यांत तकरीबन 1,600 लिटर दूध देती है.
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गिर
यह सफेद चित्तियों से युक्त लाल रंग की मध्यम आकार की नस्ल है, जो गुजरात की गिर पहाडि़यों में पाई जाती है. इस के सींग मध्यम आकार के, पीछे की ओर मुड़े हुए, कान लंबे लटकते हुए व पूंछ कोड़े जैसी होती है. यह प्रति ब्यांत तकरीबन 1,500 लिटर दूध देती है.
थारपारकर
यह गठीले शरीर, लंबा चेहरा, मध्यम आकार के सींग, लंबे काले गच्छों से युक्त पूंछ व बड़े कान वाली गाय है, जो राजस्थान के थार मरुस्थल और कच्छ में पाई जाती है. यह प्रति ब्यांत तकरीबन 2,200 लिटर दूध देने की क्षमता रखती है.
हरियाणा, कौकरेज व देवनी
दूध उत्पादन के नजरिए से ये गाएं खास हैं. हालांकि हमारे राज्य की भौगोलिक और जलवायु के नजरिए से हरियाणा नस्ल की गाय उपयुक्त है.