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‘‘झुंड के झुंड कबूतरों से भरा ‘ट्राफलगर स्क्वायर,’ इस चौक स्थल में कबूतरों को दाना खिलाइए, उन्हें कंधे पर बिठाइए और फोटो खिंचवाइए.

‘‘थोड़ा आगे बढ़ने पर बिग बेल यानी घंटाघर की बड़ी सी घंटी और वह खेलतमाशों का चौराहा ‘पिकेडिली स्क्वायर. लंदन में देखने को और भी बहुत कुछ है, यहां के हरेभरे कंट्री साइड, लंबेलंबे मोटर ड्राइव...’’

गाइड अपने व्यवसाय के व्यवहार अनुरूप जानकारियां भी देता जा रहा था, पर स्त्रियां या तो थकान ?से निढाल थीं या फिर दिनभर किए खर्च के गुणाभाग में व्यस्त.

रितु का तो बुरा हाल था. हैंड बैग की खरीदारी से उस का सारा बजट गड़बड़ा गया था. ‘रजत कितना नाराज होगा,’ उसे धुकधुकी सी लग रही थी.

रजत काम से लौटा तो बहुत अच्छे मूड में था, ‘‘आज तो भई मजा आ गया. वह डील साइन हुई है कि समझ लो कंपनी के वारेन्यारे. चलो, अब जल्दी से चाय पिला दो. कपड़े बदल कर नीचे हौल में पहुंचना है. काम सफल होने पर एक छोटा सा आयोजन है.’’

केतली का प्लग लगाते हुए रितु को लगा, बस, यही समय है सबकुछ दिखाबता दो. रजत का मूड भी अच्छा है और कहनेसुनने और नाराज होने के लिए ज्यादा समय भी नहीं है उस के पास.

रितु ने अभी मुंह खोला भी न था कि रजत ही पूछ बैठा, ‘‘क्यों मैडम, तुम ने क्या किया? क्या लिया? कल के खानेपीने के लिए भी कुछ रख छोड़ा है कि सब स्वाहा कर दिया.’’

‘‘मैं ने तो बस गुड्डू का ही सामान लिया है... और रिश्तेदारों को देने के थोड़े से उपहार. अपने लिए तो बस, एक हैंड बैग ही लिया.’’

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