सरकार ने ज्यादा कर जमा करने की नियत से कैशलैस औनलाइन पेमैंट करने की जबरदस्ती नीतियां बना कर देश पर थोप दी हैं. कंप्यूटर शिक्षा से अनजान लोगों ने स्मार्टफोन तो जैसेतैसे खरीद लिए पर अब वे जी के जंगाल बन रहे हैं. कभी मैसेज आ जाते हैं कि बिजली रात को काट दी जाएगी तो कभी कि क्रैडिट कार्ड ब्लौक हो जाएगा या बैंक अंकाउट फ्रीज हो जाएगा.

इन विभागों को फोन करो तो वहां केवल नंबर दबाने वाले फोन होते हैं जो अकाउंट नंबर, जन्मतिथि से ले कर तरहतरह के वर्षों पहले दिए पासवर्ड पूछते हैं और कोर्ई भी गलती होने पर फटाक से बंद हो जाते हैं. सरकारी विभागों और बैंकों व इंश्योरैंस कंपनियों के दफ्तर कहां हैं, यह मालूम ही नहीं पड़ता.

इस कमी का शातिर लोग जम कर फायदा उठा रहे हैं. वे मैसेज भेज कर लिंक भेजते हैं जो किसी ऐप को डाउनलोड करने को कहता है, ऐप से फोन की सारी जानकारी ले ली जाती है, फिर मीठी आवाज में बोलने वाली लड़कियों के फोन आते है जो तुरंत किसी समस्या को हल करने का वादा करती हैं और बैंक अकाउंट नंबर, कार्ड नंबर, बिल का ब्योरा आदि सब पूछ लेती हैं. फिर 2 दिनों बाद पता चलता है कि अकाउंट में तो पैसा बचा ही नहीं.

दिल्ली में सितंबर के पहले सप्ताह में ही कम से कम एक हजार लोगों को ऐप गिरोह ने ठगा. बिजली कट जाने का मैसेज दे कर उन्हें फंसाया गया. किसी एक के शिकायत करने पुलिस ने कुछ किया और अपराधियों को पकड़ा पर पैसा वापस मिलेगा, इस का कोई चांस नहीं है. ये अपराधी जेल चाहे जाएं पर जिन का पैसा लूटा गया उन का क्या? क्या उन को सरकार को कोसना नहीं चाहिए कि उस ने पिछले 5-7 सालों में हर चीज औनलाइन बना कर जनता को कंप्यूटर का गुलाम बना दिया और गुलाम को यह भी मालूम नहीं कि जो उसे हुक्म दे रहा है वह सरकार का कोई कर्मचारी है या कोई बेईमान.

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