आप ने न जाने कितनी बार अनजान जगहों पर अनजान लोगों से कोई न कोई ऐड्रैस जरूर पूछा होगा. जब हम खुद किसी जगह के बारे में नहीं जानते तो दूसरों से पूछना मजबूरी हो जाती है. फिर यह अच्छी बात भी है कि महान देश के महान नागरिक ऐसे पते बताने में पूरी दिलचस्पी लेते हैं. लेकिन यह साधारण सी बात हमारे दिमाग में अकसर हलचल पैदा करती है कि हमें आज तक ऐसा कोई शख्स नहीं मिला जो हमारे द्वारा पूछे गए किसी भी ऐड्रैस को बताने में अपनेआप को असमर्थ बताता हो. वह कभी हार ही नहीं मानता, चाहे सही ऐड्रैस जानता हो या नहीं. वह बताने का कर्तव्य सौ फीसदी पूरी निष्ठा के साथ निभाता है.
लोग पता बताने में ऐसे गंभीर, दत्तचित्त हो कर डूब जाते हैं कि अपने अति जरूरी काम छोड़ कर एक दक्ष गाइड की तरह कुछ न कुछ निर्देशन अवश्य करते हैं. कोई भी महानुभाव हरगिज ऐसा नहीं कहता, ‘सौरी, मुझे इस ऐड्रैस का कोई अनुमान नहीं.’ हमारी पूरी जिंदगी इसी खोजबीन में निकल गई, अब तो उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच गए जहां सठिया जाने के पूरे चांस रहते हैं लेकिन इस अद्भुत विषय पर हमारा अघोषित शोध आज भी बदस्तूर जारी है. हम इस अंतहीन विषय को ले कर भारत के अनेकानेक राज्य, शहर, जिले, गांव, ढाणी की जनता पर सर्वे कर चुके, परिणाम हमेशा रोचक ही निकलते हैं.
हम तो आप को भी सुझाव देंगे कि यदि आप के पास फालतू का समय है और करने को कोई काम नहीं तो निठल्ले पड़े रहने से बेहतर होगा कि आप भी हमारे अभियान से जुड़ें. इस मुहिम से शहर की जनता की सामाजिक संवेदनशीलता को मापसकते हैं. प्रयोग करना चाहें तो, कागज के एक पुर्जे पर कोई भी गलतसलत पता लिख डालें और निकल पड़ें किसी भी शहर, कसबे के बाशिंदों की आईक्यू को जांचने. शहर के व्यस्त चौराहे, बाजार, गलीनुक्कड़ पर खड़े लोगों की मुफ्त सेवा लेनी शुरू करें. हम दावा करते हैं कि अब आप को कुछ नहीं करना है, जो भी करना है वह सामने वाला करेगा. वह आप के गलत पते को भांप भी जाए तो भी इस अनसुलझी पहेली अथवा चुनौती को स्वीकार कर उसे सुलझाने में डूब जाएगा.
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