जहां चीन 50 देशों को मिला कर एशिया, अफ्रीका और यूरोप को वन बैल्ट वन रोड को बनवा कर जोड़ने की मेहनती व कठिन डगर पर चल रहा है वहीं भारत को अपने पौराणिक काल को पुनर्जीवित करने की लगी हुई है. चीन सिल्क रोड को नया रूप दे रहा है, हम नई तकनीक का इस्तेमाल यज्ञों, हवनों, स्नानों, कुंभों, पूजाओं, मंदिरों में कर रहे हैं. आज का किशोर जब बड़ा होगा तो अगर चीन का हुआ तो बीजिंग से लंदन तक बाइक पर जा सकेगा, भारत का हुआ तो पाकिस्तान व बंगलादेश में भी घुसेगा तो उस पर देशद्रोही का ठप्पा लग जाएगा.
हमारे देश में स्कूली किताबों में पुरातन का गुणगान करने के लिए कड़ी मेहनत की जा रही है. चीन में पहाड़ों, नदियों, रेगिस्तानों को पार करने में पैसा और शक्ति लग रही है. हम अपने किशोरों को धर्म भक्त बना रहे हैं ताकि वे मोबाइलों व कंप्यूटरों की पूजा करें. चीन में वे नए रास्तों को खोज रहे हैं.
किशोरों के दिमाग के साथ खेलने के लिए देश में बहुत से संस्थान उग आए हैं जिन की नशीली दवाएं महान संस्कृति, संस्कारों का गुणगान करना सिखा रही हैं. विकास के नाम पर जो कल का महान भारत हम बनाने चले थे वह तो लगता है पिछले कल का है, जो हमारे लिए आदर्श है. हमारे नेताओं का चोला बदल गया है, सोच बदल गई है.
आज के किशोर के पास बहुत कम समय है कि वह बिगड़ती हालत को सुधार सके. किशोर के पास 5-7 साल होते हैं जब उस में समझ तो होती है पर जिम्मेदारियां नहीं होतीं और अगर इन दिनों उसे पुरातन की दवा दे दी गई तो वह नवीनता को सदासदा के लिए भूल जाएगा. उसे फलनेफूलने और प्रयोग करने की जो छूट चाहिए वह हमारा तंत्र बंद कर रहा है. हम भारत को महान बनाने में लगे हैं, हमारे जैसा चीन एशिया और यूरोप को मिला कर विशाल बाजार बनाने में लगा है. जो काम हमारी सरकार कर रही है वह किशोरों को भक्ति की गुलामी करने को मजबूर कर देगी.