Israel : इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने गाजा पट्टी के हमास और लेबनान के हिजबुल्ला और न जाने किनकिन के रेडियो वेव्स से चलने वाले टैलिकौम वायरलैस इंस्ट्रूमैंट्स में बैटरी के साथ बारूद डाल दिया है. यह पता करने में उस के विरोधियों को ही नहीं, दोस्तों को भी सिर के बाल नोचने होंगे. हैंडहेल्ड इन इंस्ट्रूमैंट्स को इजराइल मनमाने ढंग से औपरेट कर सकता था, यह तकनीक उस के पास थी. उस की इस तकनीक ने दुनिया के सभी जासूसों, नेताओं, सेनाओं और कंप्यूटर बनाने वालों को पसीने ला दिए हैं.

यह कमाल सिर्फ हैकिंग का नहीं था. बनते समय या लातेलेजाते समय इन इंस्ट्रूमैंट्स को खोलना और उन में ऐसा एक्सप्लोसिव डालना जो दूर से कभी भी चलाया जा सकता है, यह दर्शाता है कि किसी के हाथ में भी कोई मोबाइल, किसी की मेज पर कोई कंप्यूटर, किसी कंपनी में बड़ा कंप्यूटर, डाटा सैंटर, बिजलीघर, परमाणु संयत्र, सैटेलाइटें, कैमरे कुछ भी सुरक्षित नहीं हैं.

इजराइल ने पहले पेगासस सौफ्टवेयर भी बनाया था जिसे आसानी से किसी के मोबाइल में डाला जा सकता है और जो मोबाइल के मालिक की हर बात, हर फोटो, हर मैसेज रिकौर्ड कर सकता है. भारत सरकार ने यह सौफ्टवेयर खरीदा है और आज भी कितने मोबाइलों पर चलाया जा रहा है, पता नहीं.

टैक्नोलौजी इस तरह से हर जने की जिंदगी में घुस जाएगी, इस का अंदाजा कहानियां लिखने वाले वर्षों से कर रहे हैं और 1948 में लिखी जौर्ज औरवेल की किताब ‘1984’ में इस का एक अंदाजा पेश किया गया था. तब यह केवल साइंस फिक्शन लगता था, असलियत नहीं. लेकिन अब 2024 में इजराइल ने तकनीक से ही सैकड़ों को घायल कर डाला.

मतलब साफ है कि आज एप्पल, सैमसंग, वनप्लस, जियो, एयरटेल, रिलायंस, टाटा स्काई के पास आप के कितने रहस्य कहांकहां दबे हैं, आप को नहीं मालूम. आम आदमी बेचारा है, बिना ताकत वाला है, इसलिए उस का नुकसान नहीं हो सकता पर कितने नेता आज ब्लैकमेल हो रहे होंगे क्योंकि ये कंपनियां सरकार को कितना ब्लैकमेल करने लायक सामग्री दे रही हैं, क्या मालूम?

दूसरी पार्टियों के नेताओं के हृदय परिवर्तन क्यों हो रहे हैं कि वे भारतीय जनता पार्टी की शरण में अचानक चले जाते हैं, यह अब अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.

आज की टैक्नोलौजी ने अगर जिंदगी आसान की है तो यह भी मान लीजिए कि इस ने सबकुछ थोड़े से लोगों को बांध कर रखने में भी सहायता की है.

जैसे हमारे पौराणिक ग्रंथों में अपनी जाति की औरतों तक को हथियार उठाने की इजाजत नहीं थी कि कहीं वे भी टैक्नोलौजी का ज्ञान हासिल न कर लें, वैसे ही आज की टैक्नोलौजी एक उच्च वर्ग पैदा कर रही है जो ताकतवर लोगों को भी पंगु बना रही है. विज्ञान की पहुंच आप के जिगर तक ही नहीं है, आप के दिमाग, हाथपैर तक में भी है. सो, होशियार रहिए कौन जाने इस विज्ञान की नब्ज असल में किस के पास है.

यह नब्ज अच्छे शासक के पास भी हो सकती है जो भला करना चाहता है और किसी कट्टर के पास भी जो आप को गुलाम बना कर मौज करना चाहता है.

हिटलर मरा है, उस की सोच नहीं.

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