Social Media : इंफ्लुएंसर्स आजकल नाचगाना, फालतू के स्टंट के रील्स बना व उन्हें सोशल मीडिया पर डालडाल कर आम लोगों को इस तरह हिप्टोनाइज कर चुके हैं कि अब सही और गलत की पहचान के लिए स्क्रीन पर दिखने वाला ही परफैक्ट लगता है. सोशल मीडिया पर इंस्टाग्राम, फेसबुक रील्स, व्हाट्सऐप रील्स, यूट्यूब कार्टून इतने हावी हो गए हैं कि देखने वालों की रैशनल कैपेसिटी ही खत्म हो गई है.
अब फाइनैंशियल ज्ञान
इस का फायदा इंफ्लुएंसर्स उठा ही रहे हैं, लोगों को फालतू की चीजें बेच कर, फालतू की जगहों पर ले जा कर, फालतू का बेकार का खाना खिला कर उन्हें वे लूटे जाने के लिए भी तैयार कर लेते हैं. जैसे धर्मवाले चमत्कारों की, भावनाओं की कहानियां सुनासुना कर उत्तेजित कर लेते हैं कि भक्तों को आज भी भगवान गड़ा हुआ सोना दिलवा सकते हैं, मनचाही लडक़ी कदमों में ला पटक सकते है, वैसे ही अब कुछ इंफ्लुएंसर्स अपने भक्तों/फौलोअरों के साथ कर रहे हैं.
ये इंफ्लुएंसर्स अब फाइनैंशियल ज्ञान भी मुफ्त में बांट रहे हैं. ये शेयर बाजार की बारीकियां भी बता रहे हैं. बैंक की 7-8 फीसदी की एफडी के चक्कर में न पड़ो, स्टौक मार्केट में जाओ, 15 से 20 फीसदी रिटर्न मिलना पक्का है. आईपीओ में इनवैस्ट करो, 30-40 फीसदी लाभ मिल सकता है. डिजिटल कौयन में लगाओ, 10 वर्षों में 20 हजार गुना तक कमा सकते हो.
भरोसा न हो तो व्हाट्सऐप ग्रुप में जुड़ो, लोगों के बैंकों के खातों पर नजर डालो. कैसे पैसे मिलते नहीं, टपकते हैं. स्क्रीन कह रही है, तो सही ही होगा. वेद, पुराण, कुरान, बाइबिल में लिखा है तो सही ही है न, तो हमारी बात भी मान लो. स्क्रीन गलत नहीं होती. और फिर, आप स्क्रीन के अलावा कुछ पढ़तेलिखते तो हो ही नहीं कि आप को कहीं और से ज्ञान मिलेगा.
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