Russia-Ukraine : रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध व इजरायल की हमास व हिजबुल्ला से जारी झड़पें शासकों को यह जताने के लिए काफी होनी चाहिए कि आज के युग में जमीन पर कब्जा कर लेने या लोगों को मार डालने से कोई बड़ी जीत हासिल नहीं होती. हालांकि, पिछले 2 विश्वयुद्धों, कोरियाई युद्ध, वियतनाम-अमेरिका लड़ाई, अफगानिस्तान पर रूस व अमेरिकी फौजें यह सबक सीख चुकी हैं कि आज के युग में किसी की जमीन पर कब्जा करना बेकार की कवायद है और अपना झंडा दूसरे की जमीन पर फहराने से किसी को कोई लाभ नहीं होता. हां, शासकों को अपनी सेना का इस्तेमाल करने की लगी रहती है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अब यूक्रेन के जंजाल में फंस गए हैं और उन के युवा फ्रंट पर जाने से मना करने लगे हैं. पुतिन को अब बाहर से मजदूरी पर सैनिक बुलाने पड़ रहे हैं. न जाने कितने भारतीय नौकरी के ?ांसे में रूस ले जाए गए हैं जो फ्रंट के नजदीक सेना की मदद कर रहे हैं और देशों के मजदूरों को भी सैनिक वरदी पहना कर युद्ध में झोंका जा रहा है.
नई खेप 10 हजार उत्तरी कोरियाई सैनिकों की यूक्रेन फ्रंट पर पहुंची है पर रूसी सैनिक इन लोगों को सहजता से साथी समझने से इनकार कर रहे हैं. वे कोरियाई सैनिकों को मरने के लिए आगे कर देंगे पर वे भूल रहे हैं कि किम जोंग उन की सेना को मरने के लिए पहले से ही तैयार कर रखा गया है. ताजा खबरों के हिसाब से उत्तरी कोरिया 1 लाख तक सैनिक भेज सकती है.
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