इटली के शहर अपूलिया में जी-7 की मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी-7 की मुख्य गोल मेज पर बैठने का मौका तो नहीं मिला और उन्होंने न ही उन्होंने किसी समझौते पर संयुक्त हस्ताक्षर किए लेकिन जी-7 के दिग्गजों के साथ फोटो खिंचवाने और उन से हाथ मिलाने का मौका अवश्य मिला चाहे इस का कोई फायदा कुछ न हुआ सिवा इस के कि एक फोटो में नरेंद्र मोदी सभी आमंत्रित देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच में खड़े थे. भक्त लोग इस फोटो से बहुत खुश हुए थे.
एक और फोटो जिस की चर्चा करते हुए भक्तों की मंडली इतराई थी वह 15 जून की थी जिस में प्रधानमंत्री कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से हाथ मिला रहे थे. उन के बीच क्या बात हुई या कुछ हुई भी नहीं, यह एक्स के अपने ट्वीट में नरेंद्र मोदी ने नहीं लिखा.
उस के 5 दिनों बाद ही जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा की संसद में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर सांसदों ने, जिस में कुछ भारतीय मूल के भी हैं, खड़े हो कर एक कनाडियन नागरिक की मौत पर शोक प्रकट किया. प्रस्ताव स्पीकर ग्रेग फर्गस द्वारा लाया गया था. निज्जर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रैसिडैंट था और भारतीय सूत्रों के अनुसार खालिस्तान समर्थक था. कनाडा सरकार का कहना है कि इस हत्या में विदेशी हाथ, यानी भारतीय हाथ है.
दिल्ली में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान नरेंद्र मोदी जस्ट्रिन ट्रूडो से बड़ी रूखाई से पेश आए थे और उन्हें 5 दिन अपने हवाई जहाज के खराब होने के कारण यहीं रुकना भी पड़ा था. इस के बावजूद 19 जून को कनाडा संसद में निज्जर संबंधी प्रस्ताव का आना और उसे समर्थक मिलना भारतीय विदेश नीति की असफलता की निशानी ही है.
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