हिंदुओं का एक वर्ग समझता है कि यह विजय विधर्मियों की है, यह हार उन की है जो राम को वापस विशाल मंदिर में लाए थे. वे भ्रम में हैं. उस वर्ग को यह गलतफहमी है कि देश का कल्याण किसी देवीदेवता से हो सकता है. जिन देवीदेवताओं को पूज कर वह अपने और देश के कल्याण की तमन्ना कर रहा है, वही पुराण जहां से उस ने उन देवीदेवताओं के बारे में जाना है, वे देवीदेवता जीवनभर परेशान रहे, कष्ट भोगते रहे और न खुद सुख पा सके, न ही अपने साथ वालों को सुख दे सके.

यह माइंड कंडीशनिंग का कमाल है कि हम उन्हें पूजते हैं, उन के नाम पर लड़तेमरते हैं जिन्हें अपनों ने धोखा दिया, जिन्हें जिंदा सूली पर चढ़ाया गया, जिन के हाथों में कीलें ठोकी गईं. हर धर्म के पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में ही इस का स्पष्ट विवरण है.

इसलिए अफसोस यह न करिए कि हिंदू कौम गद्दार या कायर या विभाजित है. दुनिया के इस भौगोलिक श्रेत्र की जनता बेहद कर्मठ है, बेहद प्राकृतिक आपदाओं को झेलने लायक है, बेहद ज्ञानी है और सब से बड़ी बात यह कि संख्या में बेहद अधिक है. इस की कोई हानि कर सकता है तो इस के अपने ही लोग कर सकते हैं. गलत शासक, गलत नेता, गलत मार्गदर्शक, गलत पुजारी, गलत दक्षिणपंथी अपने पैसे या भक्ति के लालच में इस जनता को लूट सकता है, चूस सकता है, उस के प्रति क्रूर हो सकता है, चंद सिक्कों की खातिर विदेशी के हाथों बेच भी सकता है.

यहां मंदिर, यहां चौड़ा रास्ता, वहां आश्रम देश की जनता के लिए नहीं, उन स्थलों के दुकानदारों के लिए है. दर्द उन्हें तो होगा जिकी दुकानदारी कमजोर हो रही है. देश की जनता तो ऐसी है कि इसे 2 रोटी दोगे तो 200 रोटी पैदा कर देगी. फिजी, मौरिशस जैसे देश, जहां भारतवंशी ही हैं, भारत से कहीं ज्यादा उन्नत हैं. भारतीय मजदूरों ने पूरे रेगिस्तानी पश्चिमी एशिया के देशों को रेत से स्वर्ग बना डाला. यह जनता देश का कायापलट कर सकती है. इसे तो पौराणिकवादियों, दक्षिणपंथियों के चुंगल से बचाना है. हिंदू न कायर है न कामचोर है. वह सिर्फ पथभ्रष्ट है क्योंकि उस को पट्टी पढ़ाने वाले बेहद चालाक, चतुर और चालबाज हैं.

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