देश की किसी सड़क को देख लीजिए. आज सड़क बनेगी. कल से तरहतरह के सरकारी लोग आ कर उस में गड्ढे करने लगेंगे. लोगों के वाहन टेढ़ेमेढ़े चलेंगे. गड्ढों में पानी भरेगा, मिट्टीधूल उड़ेगी. एकदो उत्साही इलाके के पार्षद से मिलेंगे तो जेई साहब आ कर मुआयना करेंगे और मजदूर आ कर उन गड्ढों में ईंटरोड़े भर जाएंगे. कुछ दिन राहत होगी.

यही काम भाजपा सरकार अर्थव्यवस्था के साथ कर रही है. उस ने चुनाव तो जीत लिया लेकिन देश से आजादी का माहौल छीन लिया. नोटबंदी, जीएसटी, आधार, ट्रैफिक नियमों में भारी जुर्मानों, अतिरिक्त करों से देश की सड़कों पर गड्ढे ही नहीं खोद दिए गए, पुलिस बैरियर भी लगा दिए गए. सो, आर्थिक विकास ट्रैफिक जाम में फंस गया है.

अब आननफानन 2-4 कदम उठाए गए हैं और उम्मीद की जा रही है कि देश का विकास तेजी से दौड़ेगा. यदि ऐसा संभव था तो यह ज्ञान हमारे दिव्यज्ञानियों को पहले क्यों नहीं आया. विश्वगुरु भारत तो दुनिया का सब से बुद्धिमान देश है. कर कम कर के क्यों नहीं पहले से ही, विकास तो छोडि़ए, देश जैसा चल रहा था, वैसा ही चलने दिया गया?

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कंपनियों को आयकरों में छूट, कुछ चीजों पर जीएसटी में राहत, कुछ नियमों में छूट से उम्मीद कम ही है कि देश में विकास का माहौल पैदा होगा क्योंकि देश में धौंस और जबरदस्ती का जो वातावरण पैदा हो गया है, वह जल्दी जाने वाला नहीं है.

मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री रहने के समय एकएक कर के छूटें दी गई थीं, देश में खुला माहौल था. 2014 से पहले भगवा ब्रिगेड राहुल, सोनिया, मनमोहन पर भद्दे मजाक करने की आजादी तक रखती थी. कंप्ट्रोलर जनरल औफ इंडिया विनोद राय ने काल्पनिक हानि के आंकड़े पेश कर दिए और उन के पद पर कोई आंच नहीं आई. आज जो कर छूटें दी गई हैं उन के पीछे यह मानना कहीं नहीं है कि ये कदम देश के लिए हितकारी हैं. ये कदम तो डर कर उठाए गए हैं कि भाजपाप्रेम की कलई खुल गई है.

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