गुजरात में कांग्रेस का भारतीय जनता पार्टी को भारी चुनौती देने में सफलता पा लेने और बाद के कई उपचुनावों के परिणामों से स्पष्ट है कि देश को अगर एक पार्टी की तानाशाही से बचाना है तो सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ बाकी पार्टियों को एकसाथ मिल कर काम करना होगा. यह आसान नहीं है क्योंकि ‘फूट डालो राज करो’ की हिंदू संस्कृति हमारी रगरग में भरी है और इस का परिणाम हम सदियों से भुगत रहे हैं.

देश की उन्नति के लिए जरूरी है कि पूरा देश एक सोच के साथ निर्माण के कार्य में लगे और जाति, वर्ण, धर्म, भाषा और संस्कृति के भेदभावों को भुला दे. भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह 2014 में एक स्वच्छ, विकास को समर्पित सरकार का रोडमैप पेश किया था, वह आकर्षक था पर अब पता चल रहा है कि कथनी और करनी में बहुत अंतर है. देश को भ्रष्टाचारमुक्त शासन तो नहीं मिला, ऊपर से धार्मिक अनाचारयुक्त शासन पल्ले में मिल गया है.

देशभर में आज विध्वंसक बातें हो रही हैं. कहीं गाय के नाम पर हत्याएं हो रही हैं, कोई कभी पद्मावती के नाम पर तो कोई लव जिहाद का नाम ले कर उत्पात मचा रहा है. कोई संविधान बदलने की बात कर रहा है. कभी लोगों की नकदी पर हमला हो रहा है तो कहीं चुनाव जीतने के घिनौने हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. देश बिखर सा रहा है. अर्थव्यवस्था में स्थायित्व की बात है ही नहीं.

देश की आंतरिक नीतियां हों या विदेश नीति, कभी उत्तर की ओर दौड़ती है तो कभी दक्षिण की ओर. कभी पाकिस्तान व चीन हमारे गहरे दोस्त बन जाते हैं तो कभी शत्रु. कभी नई तकनीक की बुलेट ट्रेनों की बात होती है तो कभी रामसीता की विशाल मूर्तियों को विकास की गोली बताया जाता है.

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