भारतीय जनता पार्टी ने अपने वोटबल पर मुसलिम महिलाओं को आतंकित करने वाले तिहरे तलाक की प्रथा को जबरन बंद करवा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस तरह के कानून को बनाने का आदेश दिया था. यह सामाजिक सुधार आवश्यक है, इस में दोराय नहीं है. हिंदू व्यक्तिगत कानूनों में कई दशकों से बदलाव किए जा रहे हैं और हिंदू समाज उन्हें सहजता से मानता रहा है. हिंदू कट्टरपंथियों ने भी 1950-56 के बाद सुधारों पर नाकभौं नहीं चढ़ाई है.

कठिनाई यह है कि कुछ ऐक्टिविस्ट औरतों के कहने पर लाया गया यह सुधार पूरे कट्टर मुसलिम समाज को बदलेगा, इस में संदेह है. जैसे हिंदुओं का दहेज कानून, बाल विवाह कानून, संपत्ति का बेटियों में समान वितरण कानून केवल कागजों पर मुंह चिढ़ा रहे हैं वैसे ही यह कानून केवल सरकारी किताबों में रह जाएगा और इक्कादुक्का मामले ही अदालतों तक आएंगे.

इस कानून का एक लाभ यह होगा कि तिहरे तलाक की तरह अब कुछ और हिंदू विवाह मामलों में परिवर्तन किए जाने की मांग उठ सकती है. जाति में विवाह करने की परंपरा को समाप्त करने के लिए किसी भी विवाह के लिए दिए गए विज्ञापन में जाति के उल्लेख को अपराध घोषित किया जाना चाहिए. हर पंडित को, चाहे वह हाथ से कुंडली बनाए या कंप्यूटर से, अपराधी माना जाए.

उन सभी खाप पंचायतों के सरपंचों व पंचों को अपराधी माना जाए जो जाति के बाहर विवाह पर मरनेमारने की बात करते हैं. बाल विवाहों के मामलों में पंडितों को ही सजा दी जाए, मातापिता को नहीं क्योंकि मातापिता पंडितों के बिना तो बच्चों का विवाह कर ही नहीं सकते.

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