Broadcasting Bill : सोशल मीडिया पर मिसइन्फौर्मेशन और डिसइन्फौर्मेशन को कंट्रोल करने के बहाने दुनिया के कई देश सोशल मीडिया के बहाने ट्रेडिशनल मीडिया पर चैकिंग स्टाफ बैठाने की स्कीमें बना रहे हैं. लोगों को गुमराह न किया जाए, कह कर वे चाहते हैं कि सरकार, नेताओं, प्रैसिडैंटों, प्राइममिनिस्टरों, गवर्नरों, मेयरों, पुलिस अफसरों की पोल सोशल मीडिया या ट्रेडिशनल मीडिया पर न आए ताकि वे गुनाहगार, जो अपने पौवर का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, मौज से जी सकें.
आस्ट्रेलिया में सितंबर में इसी तरह के लाए गए एक बिल को कानून बनने से पहले ही वापस लेने का फैसला किया गया है. भारत में Broadcasting Bill और सोशल मीडिया पर कंट्रोल जून 2024 के चुनावों के बाद वापस ले लिया गया था पर शायद अब हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा की जीत के बाद फिर लाया जाएगा.
सोशल मीडिया बेहद गैरजिम्मेदार है, इस में शक नहीं है. इस पर लोग हर तरह की गंद डाल सकते हैं, जो कुछ सौ से ले कर लाखों लोगों तक पहुंच सकती है. जिन लोगों को धर्म के तथाकथित चमत्कारों की झूठी कहानियों की आदत पड़ी है वे आमतौर पर इस तरह की अफवाहों/खबरों को मोबाइलों पर ठाठ से पढ़ते हैं और फिर उन्हें दैविक, गोस्पल वर्ड्स मान कर सच मान लेते हैं.
इन पर कंट्रोल करना चाहिए पर सरकार अगर कंट्रोल करेगी तो पक्का है कि उस का इंट्रस्ट अपने बारे में डिसइन्फौर्मेशन ज्यादा परोसना होगा. भारत में देख लें, जितने सरकारी विज्ञापन छपते है उन में आधे तो नकली खबरों से भरे होते हैं.
सोशल मीडिया पर कंट्रेाल करने की मंशा है तो एक ही तरीका है. इसे महंगा किया जाए. अब यह काम कौन करेगा, यह नहीं कहा जा सकता. जिम्मेदार एडवर्टाइजरों का काम है कि वे मुफ्त में मीडिया कंज्यूम करने वालों के यहां एडवर्टाइज न करें तो मिसइन्फौर्मेशन पर कंट्रोल होगा.
सोशल मीडिया यूजर्स अपने छोटेछोटे एसोसिएशन बना सकते हैं और ये चाहे सैकड़ों की तादाद में बनें. हर एसोसिएशन यदि सोशल मीडिया कंटैंट का रिव्यू करेगा तो इस पर कंट्रोल होगा.
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