सौजन्य- मनोहर कहानियां

प्रस्तुति : सुनील वर्मा 

मेरा नाम नीतू सिंह ठाकुर है. मैं मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में गोटेगांव के एक प्रतिष्ठित परिवार की बेटी हूं. मेरे पिता चंद्रभान सिंह पिछले डेढ़ दशक से कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं. परिवार में मां के अलावा भाई, बहन सब हैं. पिता का अच्छा कारोबार है. कुल मिला कर परिवार हर तरह से संपन्न और खुशहाल है.

इसे अपनी खुशकिस्मती समझूं या बदकिस्मती कि एक प्रतिष्ठित परिवार की पढ़ीलिखी और सुंदर लड़की हूं. क्योंकि एमबीए की पढ़ाई करने के बाद जब मेरे मातापिता और परिवार के लोग मेरी शादी के लिए एक अच्छा वर और अच्छे खानदान की तलाश कर रहे थे, तभी मेरे लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के एक सजातीय विधायक जालम सिंह के बेटे मणिनागेंद्र सिंह उर्फ मोनू सिंह का रिश्ता आया.

जालम सिंहजी के बड़े भाई प्रह्लाद पटेल भी बीजेपी के बड़े नेता हैं और इन दिनों केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं.

यह 2016 की बात है, जब मेरी उम्र करीब 26 साल थी. मैं उन दिनों गुड़गांव की एक मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी कर रही थी. जालम सिंहजी का परिवार गाडरवारा में रहता था.

मेरे मातापिता ने मुझे जालम सिंहजी के बेटे मोनू पटेल के बारे में बता कर कहा कि उन्हें रिश्ता पसंद है. अगर मैं आ कर एक बार लड़के से मिल कर पसंद कर लूं तो बात पक्की कर के वे मेरी शादी की जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएंगे. हालांकि मेरे पिता खुद राजनीति में हैं, लेकिन पता नहीं क्यों मैं हमेशा से राजनीति से जुड़े लोगों से दूर रहना चाहती थी.

आत्मनिर्भर होने के बावजूद हमारे संस्कारों में यही सिखाया गया है कि मातापिता बेटी के लिए हमेशा अच्छा सोचते हैं. लिहाजा मैं मोनू से मिलने के लिए तैयार हो गई.

ये भी पढ़ें- ‘वो’ का साइड इफेक्ट

जालम सिंह व उन के बड़े भाई प्रह्लाद पटेल के अलावा उन के परिवार के लोग हमारे घर आए. साथ में मेरे सपनों का राजकुमार मणिनागेंद्र सिंह उर्फ मोनू सिंह भी था. सुदर्शन व्यक्तित्व और बेहद आकर्षक कदकाठी वाले मोनू को पहली नजर में देखने के बाद तो मैं ने पंसद कर लिया.

लेकिन जब कुछ समय अकेले में हम दोनों की बात हुई तो मुझे लगा कि उस के मेरे विचार तथा व्यक्तित्व एकदम अलग हैं. कहीं भी मोनू के अंदर एक शरीफ इंसान और अच्छे व्यक्ति होने के लक्षण मुझे नहीं दिखे थे.

हालांकि मुलाकात के दौरान मुझे बताया गया कि वह एमिटी से पोस्टग्रैजुएट हैं. मेरे सामने मोनू को एक सोशल वर्कर के रूप में पेश किया गया था, जो महिलाओं के कल्याण लिए काम करता है.

मेरे घर वालों ने जब मोनू के परिवार के जाने के बाद मेरी राय पूछी तो मैं ने साफ कह दिया कि मुझे मोनू पसंद नही हैं और मुझे ये शादी नहीं करनी है.

सुन कर घर वाले हैरान रह गए. मुझ से पूछा गया तो मैं ने बता दिया कि मीडिया में मैं ने उस के बारे में काफी पढ़ा व सुना है कि उस के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं और वह सिगरेट, शराब पीने के अलावा रसिया किस्म का इंसान भी है.

इसलिए मैं ने साफ कह दिया कि मुझे वह अच्छा इंसान नहीं लगा. घर वालों ने समझा कि मैं बाहर रह कर नौकरी करती हूं तो कहीं ऐसा न हो कि किसी और को पसंद करती हूं. इसलिए घर वालों ने कुरेदकुरेद कर मुझ से पूछा, लेकिन ऐसी कोई बात थी नहीं तो क्या कहती.

तब घर वालों ने समझा कि शायद राजनीतिक परिवार का तेजतर्रार लड़का होने के कारण मैं ने मोनू को नापसंद किया है. मुझ पर हर तरह का दबाव डाला गया. मुझे बताया गया कि वह सिगरेट या शराब नहीं पीता है और उस पर जो मुकदमे हैं, वो सब राजनीति से प्रेरित हैं.

वही हुआ जैसा आमतौर पर भारतीय परिवारों की सामान्य लड़कियों के साथ होता है. मेरे घर वालों ने तरहतरह की बातें समझा कर मुझे मोनू से शादी करने के लिए हां कहने पर मजबूर कर दिया. मैं ने भी सोचा कि शायद मैं ही गलत हूं, वाकई मोनू एक अच्छा इंसान हो.

मेरे हां करने के तुरंत बाद 10 दिन के भीतर ही सगाई की डेट तय कर दी गई. पता नहीं क्यों, उस वक्त मेरे घर वाले एक अनजाने से दबाव में फैसले ले रहे थे.

मुझ से कहा गया कि मैं इस बारे में किसी को न बताऊं. अपने किसी रिश्तेदार से भी इस रिश्ते को ले कर चर्चा न करूं. सब कुछ इतनी जल्दबाजी में हो रहा था कि मैं समझ ही नहीं पा रही थी क्या हो रहा है.

जब भी पूछती तो कहा जाता कि राजनीति में ये सब करना पड़ता है. तर्क दिया जाता कि विरोधी लोग नहीं चाहेंगे कि ये शादी हो, अलगअलग पार्टियों से जुड़े 2 परिवारों में कोई रिश्ता बने. मातापिता तर्क देते कि हम नहीं चाहते कि ये रिश्ता टूटे. उसी समय उन्होंने मेरा मोबाइल नंबर बंद करा दिया और मुझे एक नया नंबर दे दिया.

ये भी पढ़ें- प्यार की सौगात

रोज मुझ से यही कहा जाता कि मैं ने किसी को इस रिश्ते के बारे में बताया तो नहीं. इतना ही नहीं मेरे घर वालों ने एंगेजमेंट से एक दिन पहले ही हमारे रिश्तेदारों को भी सगाई के बारे में बताया. धूमधाम से सगाई का समारोह संपन्न हो गया, जिस में हमारे व मोनू के परिवार के चुनिंदा रिश्तेदार ही शामिल हुए थे.

सगाई होते ही मोनू का परिवार मेरे परिवार पर जल्द से जल्द शादी का दबाव बनाने लगा. लेकिन हमारी जन्मकुंडली के मिलान के कारण शादी की तिथि जल्द नहीं मिल रही थी. 6 महीने बाद शादी का एक अच्छा मुहूर्त निकल रहा था. दोनों परिवारों की सहमति से शादी की डेट भी फिक्स हो गई.

मैं सगाई के बाद वापस गुरुग्राम चली गई. सगाई के 15 दिन बाद मोनू ने मुझे भोपाल से फोन कर के कहा कि वह भोपाल में अपने पापा के सरकारी मकान पर है और मुझ से मिलना चाहता है. हालांकि मैं शादी से पहले इस तरह मिलना नहीं चाहती थी, लेकिन उन्होंने इतना दबाव डाला कि मुझे जाना पड़ा, आखिरकार हमारी शादी तो होनी ही थी.

लेकिन मैं जब भोपाल उन से मिलने गई तो मुझे जैसी आशंका थी पहली बार मोनू का असली चरित्र देखने को मिल ही गया. उन्होंने उस समय न सिर्फ शराब पी, बल्कि मुझसे जबरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की.

दबाव बना कर नौकरी छुड़वा दी

मैं ने किसी तरह अपनी इज्जत तो बचा ली, लेकिन इस के बाद मोनू मुझ से काफी नाराज हो गए थे. मैं ने कहा कि अगर आप ऐसा करेंगे तो मैं यह शादी नहीं करूंगी.

मैं ने शादी से मना करने की धमकी दी तो उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि तुम मुझे जानती नहीं हो, शादी के लिए मना करने के बारे में सोचना भी मत. वरना परिवार बरबाद हो जाएगा तुम्हारा.

शारीरिक संबध न बनाने और शादी से इंकार की धमकी से शायद उन के अहं को चोट लगी थी. मैं सिर्फ शारीरिक रिश्ते के लिए शादी नहीं करना चाहती थी. कोई भी लड़की सिर्फ फिजिकल रिलेशन के लिए शादी नहीं करती है. उस के पीछे उस की कुछ भावनाएं भी होती हैं.

काफी बहस और विवाद के बाद मैं वापस गुरुग्राम लौट गई. एक दिन मैं गुरुग्राम में शौपिंग कर रही थी तो एक ऐसा वाकया हो गया, जिस से मुझे उन के बारे में और ज्यादा जानने का मौका मिला.

मुझ से मोनू का काल मिस हो गया. पलट कर फोन किया तो उन्होंने मुझे गालियां दीं और कहा कि तुम्हें पता नहीं कि किस के साथ तुम्हारा रिश्ता हुआ है. कहां आवारागर्दी करती फिरती हो.

मेरा दिमाग घूम गया ये सब सुन कर. मैं ने साफ बोल दिया कि मैं इस रिश्ते में नहीं रहना चाहती हूं. मैं इतनी निगरानी में नहीं रह सकती. मेरे घर वालों ने कभी मुझ से ऐसे बात नहीं की, आप भी नहीं कर सकते. मोनू ने फिर मुझे बहुत गालियां दीं और परिवार को बरबाद करने का भय दिखाया. मैं ने रिश्ता तोड़ने की बात की तो कहा गया कि अब ये शादी हो कर ही रहेगी चाहे जो हो जाए.

उन्होंने यहां तक कह दिया कि चाहे मैं तुम्हें शादी के एक दिन बाद छोड़ दूं, लेकिन शादी अब मैं कर के ही रहूंगा, ये मेरी जिद है.

ये भी पढ़ें- 3 हत्याओं से खुला इश्क का खौफनाक मंजर

एक बार फिर मुझ पर हर तरह से दबाव डाला जाने लगा. मेरा परिवार भी मुझ पर दबाव बना रहा था जिस से मैं हार गई. अब मुझे लगता है कि अगर मैं ने तब हिम्मत दिखाई होती तो शायद हालात ऐसे न होते.

मेरे परिवार पर दबाव डाल कर 2 महीने बाद मोनू के परिवार ने मेरी गुरुग्राम की नौकरी छुड़वा दी और मैं नरसिंहपुर में मातापिता के पास आ गई.

हालांकि अभी हमारी शादी नहीं हुई थी. लेकिन मेरे घर पर आते ही उन्होंने मेरे कहीं भी आनेजाने पर रोक लगा दी. किसी से भी मिलने से मना कर दिया. मुझ पर नजर रखी जाने लगी. अगर मैं ने फोन पर किसी से बात की तो उस की डिटेल्स निकाल ली जाती थी और फिर सवाल किया जाता कि मैं ने क्यों और क्या बात की. वो मेरे फोन काल तक पर नजर रखने लगे.

मैं कभी बाजार जाती तो ड्राइवर को फोन कर के कहा जाता कि 10 मिनट हो गए हैं, वह कार में क्यों नहीं बैठी हैं. ये सब मुझे बहुत अजीब लग रहा था. मैं ने अपनी फैमिली से भी इस बारे में बात की और कहा कि मुझे ये रिश्ता ठीक नहीं लग रहा है.

लेकिन बात अब इतनी बढ़ चुकी थी कि घर वाले मुझ से कहते कि अगर रिश्ता टूटता है तो समाज में बदनामी होगी, गलत संदेश जाएगा. शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा. मेरी मां को लग रहा था कि एक बार तय होने के बाद अब अगर ये रिश्ता टूटता है तो मेरे लिए ठीक नहीं होगा.

एंगेजमेंट से पहले तक मैं सोशल मीडिया पर नहीं थी. लेकिन मोनू ने मेरी फेसबुक आईडी बना कर अपने साथ मेरी तसवीरें उस में लगा दीं. मुझ से कहा कि मैं कभी भी अकेले तसवीर पोस्ट न करूं.

लेकिन शादी से करीब 3-4 महीने पहले मोनू की एक गर्लफ्रैंड ने फेसबुक मैसेंजर के जरिए मुझ से संपर्क किया. उस ने अजीब सी भद्दी भाषा में मुझ से बात की और कहा कि जिस से तेरी शादी हो रही है वो तुझे पत्नी मानता ही नहीं है. वो मेरा है और मेरा ही रहेगा.

मोनू की गर्लफ्रैंड ने मुझ से दोबारा भी संपर्क किया और मुझ से काफी बदतमीजी से बातें की, उस ने मुझे बताया कि कई सालों से उस का मेरे होने वाले पति मोनू से अफेयर चल रहा है. ऐसी कई बातें उस ने मुझे बताईं जो मेरे और मेरे होने वाले पति से जुड़ी थीं.

मैं ने इस बारे में मोनू से बात की तो उस ने कहा कि ऐसे बहुत से लोग हैं, जो नहीं चाहते कि ये रिश्ता रहे. इस के बाद उस ने मेरा फेसबुक अकाउंट भी बंद कर दिया.

मुझे काफी चीजें पता चल रही थीं, लेकिन मैं इस रिश्ते में इतना फंस चुकी थी कि मैं परिवार के भावनात्मक दबाव के कारण शादी से पीछे नहीं हट पाई. मैं ने इस उम्मीद में शादी कर ली कि हो सकता है आगे चल कर सब ठीक हो जाए.

2017 में आखिर वो दिन भी आ गया जब धूमधाम से हमारी शादी हुई. मेरी शादी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत कई बड़े राजनेता शामिल हुए थे. सब ने शुभकामनाएं दी थीं, लेकिन न जाने क्यों मेरे अंतर्मन से आवाज आ रही थी कि मैं गलत जगह फंस गई हूं.

शादी के अगले दिन ही मुझे दानदहेज और शादी में रस्मों की कमी गिना कर मेरे पूरे परिवार को सब के सामने बेइज्जत किया गया. मैं ने व परिवार ने बरदाश्त कर लिया.

पति का चरित्र होने लगा उजागर

शादी के 10 दिन बाद मेरे पति मोनू मुझे मायके छोड़ने के बाद अपनी गर्लफ्रैंड्स से मिलने के लिए भोपाल चले गए. हमारे बीच बहुत बात नहीं हो रही थी. मैं समझ नहीं पा रही थी कि शादी के 10 दिन बाद ही उन्होंने मुझ से बात करनी क्यों बंद कर दी है, लेकिन सच यह था कि वह अपनी गर्लफ्रैंड्स के साथ थे और उन के पास मेरे लिए समय ही नहीं था.

मेरे सामने मोनू के चरित्र की एकएक सच्चाई उजागर हो रही थी. मायके से ससुराल आने पर मैं ने पति से साफ कहा कि आप अच्छे से रहिए लेकिन मुझे तलाक दे दीजिए. लेकिन मुझे धमकी दे कर कह दिया गया कि भूल कर भी मैं तलाक के बारे में बात न करूं.

दोबारा ससुराल आने के बाद से मुझे सब कुछ बहुत अजीब लगा. मेरे पति पूरा दिन सोते, शाम को उठते, दफ्तर जा कर दारू पीते और लेट नाइट घर आते और सुबह तक जागते. मैं 2 घंटे भी नहीं सो पा रही थी.

रात में मुझे उन के साथ जागना पड़ता और दिन में परिवार के साथ. जब तक वो गहरी नींद में न सो जाएं, मुझे झपकी लेने की भी इजाजत नहीं थी. मेरा पूरा रूटीन खराब हो गया था, इस का असर मेरी सेहत पर पड़ रहा था, मेरा वजन कम हो गया. मैं मानसिक अवसाद में आ गई.

ये बाहर से दूसरी लड़कियों के साथ फिजिकल हो कर आते और फिर घर में मेरे साथ रिश्ते बनाते. इस से मुझे इंफेक्शन हो गया. डाक्टर ने कहा कि अब मैं 6 महीनों तक कंसीव नहीं कर पाऊंगी.

डर मेरे भीतर तक बैठ गया था. मैं अचानक सो कर उठ जाती थी. मुझे पता नहीं चल पा रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है.

हमारे बीच संबंध सिर्फ शारीरिक थे. वो भी जबरदस्ती के. अपनी मर्दाना कमजोरी का गुस्सा वो मेरे जिस्म पर निकालते. मैं खुश थी या नहीं, इस की उन्हें कोई परवाह नहीं थी. मैं साल भर उन के साथ रही, उन्होंने एक बार भी मेरी आंखों में नहीं देखा.

शादी के बाद मुझे किसी से बात नहीं करने दी गई. एक बार भी मैं अकेले घर से बाहर नहीं निकली. मैं इतनी कमजोर हो गई थी कि मुझे सही से दिख भी नहीं रहा था. जबलपुर के एक अस्पताल में मुझे भरती किया गया.

मैं 10 दिनों तक अस्पताल में रही. मेरी बैकबोन में इंजेक्शन दिया गया, इस की वजह से मैं 2 महीनों तक बैठ नहीं पाई. ये सब शादी के 4 महीनों के भीतर हुआ. मुझे दिल्ली के एक साइकियाट्रिस्ट के पास ले जाया गया था, लेकिन उस से भी मैं अकेले बात नहीं कर पाई थी.

मेरा फोन भी उन्होंने ले लिया था. कभी किसी का मैसेज आता तो वही जवाब देते. मैं जब भी अपनी सास से उन के व्यवहार के बारे में बात करती तो वो यही कहतीं, ‘तुम उसे समझो और उस के साथ एडजस्ट करो.’

मैं कभी भी अपने पति से अपने रिश्ते के बारे में कोई बात कर ही नहीं पाई. मैं कुछ भी बोलती तो वो मुझ से मारपीट करते और छोड़ कर भोपाल अपनी गर्लफ्रैंड्स के पास चले जाते. मेरे पास बात करने के लिए कोई नहीं था. मैं बिलकुल अकेली हो गई थी.

घर में वो मझे एक नौकर की तरह इस्तेमाल करते. बाहर सब को यह बताते कि ये शादी उन की मरजी से नहीं हुई है. वो यह दिखाने की कोशिश करते कि उन की शादी हुई ही नहीं है.

शादी के 6-7 महीनों तक मैं ने एडजस्ट करने की कोशिश की. मैं बहुत बीमार रहने लगी. अवसाद मुझ पर हावी होता जा रहा था. मुझ पर बच्चा पैदा करने का दबाव बनाया जा रहा था, लेकिन जब तक मेरे रिश्ते पति से बेहतर न हों, मैं इसे और आगे बढ़ाना नहीं चाह रही थी.

धीरेधीरे इन की दूसरी गर्लफ्रैंड्स ने मुझ से संपर्क करना शुरू किया. हर बार जब ऐसा हुआ और मैं ने उन से ये बताया तो मुझे मारापीटा गया. ससुराल में किसी ने भी मेरा पक्ष लेने की कोशिश नहीं की. इन से जुड़ी लड़कियों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि यहां बयां नहीं की जा सकती. मेरे फोन में हजारों तसवीरें हैं, जिन में ये अपनी अलगअलग गर्लफ्रैंड्स के साथ हैं.

पति की गर्लफ्रैंड्स भेजती रहती थीं तसवीरें

ये सभी गर्लफ्रैंड्स 20-22 साल की थीं, जो शायद ड्रग्स या पैसे के लिए इन के पास आई हों. एक के बाद एक मुझे मैसेज करतीं, इन्हें पता चलता और मुझे बहुत मारापीटा जाता.

मैं सोचती कि इस में मेरी क्या गलती है मैं ने तो कभी किसी से बात करने की या कुछ जानने की कोशिश नहीं की, फिर ये सब क्यों हो रहा है. मेरा मायके जाना बंद करा दिया.

ये गर्लफ्रैंड्स के साथ ड्रग्स लेते. उन की बौडी पर रख कर ड्रग्स लेते और वो मुझे ये बात बतातीं. मैं ये सोच नहीं पा रही थी कि इस सब से मेरा क्या संबंध है, मुझे इतना प्रताडि़त क्यों किया जा रहा है. शादी से पहले मुझे पता नहीं था कि ये ऐसा भी करते हैं.

मैं ने अपने ससुर से बात की तो हमेशा उन्होंने यही कहा कि सब ठीक हो जाएगा. शादी के बाद ही मुझे पता चला कि शराब और ड्रग्स लेना इन की रोज की आदत है.

शादी के बाद मेरा पहला बर्थडे था. ये मेरे साथ नहीं थे, अपनी गर्लफ्रैंड के साथ थे. मुझे इस बारे में पता चला तो फिर मुझे बहुत मारापीटा गया.

मैं ने कभी इन्हें गर्लफ्रैंड्स से बात करने से नहीं रोका, मेरी हिम्मत ही नहीं हुई, क्योंकि मुझे पता था कि अगर मैं कुछ बोलूंगी तो फिर मेरे साथ मारपीट की जाएगी.

हमारा रिश्ता ऐसा था कि ये बस फिजिकल होने के लिए मेरे साथ होते. उस में भी बस जबरदस्ती ही करते. मैं ने न किया तो कभी उस का सम्मान नहीं किया गया. मैं न करती तो इतनी जोर से मेरा गला दबाया जाता कि मैं सांस तक नहीं ले पाती.

सब को पता था कि मेरे साथ गलत हो रहा है, लेकिन परिवार में किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की. मुझ से कहा जाता कि उसे जो करना है, वो करेगा. मुझे ही सहना होगा. रात भर मैं प्रताडि़त होती और दिन भर घर का काम संभालती.

पहले मुझे लग रहा था कि मेरे पति ही गलत हैं, फिर लगा कि इस में सब शामिल हैं. मेरे लिए सब से दर्दनाक यह था कि परिवार की कोई महिला कभी मेरी मदद के लिए आगे नहीं आई. उस घर में मेरी हमउम्र ननदें व अन्य लड़कियां थीं, लेकिन उन्होंने भी कभी मेरे दर्द को नहीं समझा.

शिकायत करने पर ससुराल वालों ने इसे कुंडली का दोष बता दिया. मुझ से कहा कि किसी ने टोटका किया है.

इन सारी चीजों से गुजरने के बाद मैं ने एक बार अपने ससुर जालम सिंह से हिम्मत कर के उन्हें सारी बातें बताईं. उन्होंने मुझ से कहा कि ये सब राजनीति में होता रहता है.

ससुराल छोड़ कर मायके आने के बाद पहली दीवाली पर मैं ने अपने मायके में ससुराल वालों को घर पर मिलने बुलाया था, लेकिन मेरे ससुर के अलावा कोई नहीं आया. मैं ने अपने ससुर से तलाक के लिए कहा तो उन्होंने मुझे धमकी दी कि इस बार तो तुम्हारी जुबान पर तलाक का नाम आ गया आगे से आया तो मैं तुम्हारे साथ क्या कर सकता हूं, पता नहीं.

एक दादी थीं, जो मुझ से कहती थीं कि तू यहां रहेगी तो मर जाएगी. यहां से भाग जा, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई. मैं दरवाजे की तरफ उम्मीद से देखती थी कि कोई आए और मुझे इस नरक से निकाल ले.

जब मुझे लगा कि अब मैं यहां जिंदा नहीं रह पाऊंगी या मेरे पति ही मुझे मार देंगे तो मैं ने बहुत हिम्मत कर के अपने भाई को अपनी ससुराल बुलाया. सिर्फ अपनी डिग्री और दस्तावेज लिए और शादी के 12 महीने बाद बाद एक दिन मौका पा कर उस घर से हमेशा के लिए निकल गई.

मायके आ कर मिला सुकून

मेरे पूरे जिस्म पर जख्म थे. मैं इतना कमजोर थी कि बिना सहारे के खड़ी नहीं हो पाती थी. मेरे चेहरे पर भी निशान थे. मेरी मां ये सब जान कर बहुत दुखी हुईं. अपने घर पहुंच कर 2 दिन तक बस सोती रही. मैं ने जब अपने पिता को ये सब बताया तो वह बुरी तरह टूट गए.

उन्होंने सोचा नहीं था कि मेरे साथ ये सब हुआ है. वो बस खामोश हो गए. सिर्फ इतना ही कहा कि जो भी हो, हम तुम्हारे साथ हैं. मैं डेढ़ साल अपने मायके में रही. फिर हिम्मत कर के नौकरी करने दिल्ली आ गई. अब मैं एक छोटी सी नौकरी कर रही हूं. किसी भी तरह इस रिश्ते से निकलने की कोशिश कर रही हूं.

मेरी मां अब अवसाद में हैं. मेरे पिता बीमार हैं. मेरे खराब रिश्ते का उन पर गहरा असर हुआ है. मैं उन का ध्यान रखने की कोशिश कर रही हूं.

मुझे शादी के बाद ही ये पता चला कि मेरे पति मोनू सिंह पर 45 आपराधिक मुकदमे हैं, जिन में हत्या और हत्या के प्रयास जैसे आरोप भी शामिल हैं. मुझ से उन की एजूकेशन के बारे में भी झूठ बोला गया था. महिलाओं की समाजसेवा के नाम पर वह उन की अस्मत से खिलवाड़ करते हैं.

अब मैं अकेले दिल्ली में रह कर नौकरी करती हूं और अदालत में तलाक के लिए लड़ रही हूं. मैं बहुत हिम्मत कर के अपनी कहानी बता रही हूं. मेरी इस कहानी से आप लोग विचलित हो सकते हैं, लेकिन ये मेरा और हमारे समाज का सच है.

मैं ने नरसिंहपुर में अपने ससुराल वालों के खिलाफ अपने उत्पीड़न, दहेज उत्पीड़न व अपने साथ हुई घरेलू हिंसा के लिए कई बार एफआईआर कराने की कोशिश की. मेरी शिकायत तो ली गई, लेकिन उस पर कभी कोई काररवाई नहीं हुई.

मैं ने भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं को संदेश दिए और अपने मामले की तरफ ध्यान खींचने की कोशिश की, लेकिन सब ने नजरअंदाज कर दिया. मैं ने तो प्रधानमंत्रीजी को भी पत्र लिख कर पूछा कि क्या इस देश में 2 कानून हैं. एक आम आदमी के लिए और दूसरा सत्ता में बैठे लोगों के लिए.

दिल्ली के थाने में कराई रिपोर्ट दर्ज

मैं ने दिल्ली की एक अदालत में अपने पति से तलाक लेने के लिए आवेदन किया हुआ है. सवा साल हो गया है, लेकिन कोई पहल नहीं हुई है. मेरी उम्मीद पूरी तरह से टूट गई है. शुरुआत में सिर्फ एक साल मैं अपनी ससुराल में थी, उस के बाद डेढ़ साल मैं अपने मायके में रही.

मैं सब कुछ छोड़ कर अपने मायके आ गई, जौब की तैयारी की, 3 साल बाद मैं सब छोड़ कर गुड़गांव चली आई. और अब दिल्ली में नौकरी करते हुए अपने लिए इंसाफ की लडाई लड़ रही हूं.

ससुर और सास सुमन पटेल को कई बार बताया लेकिन उन्होंने मोनू का ही साथ दिया. मैं ने दिल्ली आने के बाद सब से पहले 17 नवंबर, 2020 को दिल्ली के वसंत कुंज थाने में बड़े ससुर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, ससुर विधायक जालम सिंह पटेल, पति मोनू पटेल, सास सुमन सिंह पटेल, बड़ी सास पुष्पलता पटेल, ननद फलित सिंह पटेल, देवर प्रबल पटेल के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी.

इसी दौरान इन्हीं लोगों के खिलाफ घरेलू हिंसा का एक आवेदन भी दिया गया था. मैं ने दिल्ली में घरेलू हिंसा व दहेज उत्पीड़न का जो मामला दर्ज कराया था, उस में कोई काररवाई नहीं हुई है. इस के बाद मैं ने फिर 5 जनवरी, 2022 को महिला अत्याचार निवारण सेल साउथ दिल्ली के एसीपी को शिकायत की.

पूरी तरह निराश हो कर अब मैं अपनी मीडिया के सामने इंसाफ की गुहार ले कर आई हूं और जानना चाहती हूं कि आखिर मेरा दोष क्या है.

बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार को बताना चाहिए कि बेटी को किस से बचाना है और कैसे बचाना है. वो अपनी गर्लफ्रैंड्स के साथ हैं. उन की ड्रग्स पार्टियां चल रही हैं, लेकिन मेरे 6 बेशकीमती साल इस खराब रिश्ते में गुजर गए.

कितनी ही बार आत्महत्या का खयाल मेरे मन में आया था. मैं ने हर दिन हालात से जंग लड़ी है. मैं जानती हूं कि ये लड़ाई बहुत लंबी है और मुझे बहुत हौसले की जरूरत होगी.

अब मैं अपनी ये कहानी इसलिए बता रही हूं ताकि किसी और लड़की के साथ ऐसा न हो. कोई और लड़की ऐसे खराब रिश्ते में हो तो निकलने की कोशिश करे. सरकार और समाज उसे न्याय दिलाने के लिए आगे आए.

(नीतू सिंह ठाकुर द्वारा सुनाई गई आपबीती पर आधारित)

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...