सौजन्य: मनोहर कहानियां

Writer- श पी.एल. कश्यप ‘अलंकृत’

इधर लखनऊ पुलिस 3 लाशों का सच जानने के सिलसिले में उस के हत्यारे की तलाश में जुटी थी, तो वहीं हत्यारा सरफराज खुद को बचाने का तानाबाना बुन कर पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था.

विधानसभा चुनावों की गहमागहमी में एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 3 लाशों के बरामद होने से कानूनव्यवस्था पर अंगुली उठने लगी थी. बरामद लाशों के पहनावे आदि से उन के मुसलिम होने का संदेह हुआ था. इस वजह से पुलिस और भी चिंतित हो गई थी. पुलिस को इस बात की आशंका थी कि कहीं इसे कोई राजनीतिक दल या सोशल मीडिया सांप्रदायिक मुद्दा न बना दे.

पहली लाश 6 जनवरी, 2022 को सुबहसुबह लखनऊ जिले के सीतापुर रोड से इटौंजा थाना क्षेत्र में मिली थी. उसे थानाप्रभारी सुभाषचंद्र सरोज ने एक सड़क ठेकेदार की सूचना पर बरामद किया था.

वह एक 25-26 वर्षीय युवक की लाश थी, जो सुलतानपुर गांव के पास सुनसान जगह पर सड़क किनारे  गड्ढे में पड़ी हुई थी. उस की गरदन आधी कटी थी, लेकिन शरीर पर कहीं भी चोट के निशान नहीं थे. उस का पहनावा मुसलिमों जैसा था.

शव बरामदगी के बाद उसे अज्ञात लाश के तौर पर पंचनामा कर भादंवि की धारा 302 के तहत अनजान व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई थी. इसी के साथ आगे की काररवाई शुरू की जा चुकी थी.

दूसरी लाश 2 दिनों के बाद 8 जनवरी, 2022 को मलीहाबाद थानांतर्गत जेहटा रोड पर यादव खेड़ा गांव के पास मिली थी. वह लाश एक 60-62 साल के व्यक्ति की थी. इस की भी मलीहाबाद थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया था. इस लाश की गरदन कटी हुई थी, लेकिन उस पर जख्म के कई निशान थे. यह लाश भी पहली नजर में देखने पर मुसलिम व्यक्ति की लग रही थी.

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